
रिश्तों में प्यार और अंतरंगता का बहुत महत्व होता है। यह ना सिर्फ रिश्तों को मजबूत बनाता है बल्कि आप दोनों को एक दूसरे के करीब भी लाता है।
प्यार में पड़ना काफी आसान होता है या यूं कहना चाहिए कि किसी के प्रति आकर्षित होना ज्यादा आसान होता है। कई बार लोग इस आकर्षण को प्यार समझने की गलती कर बैठते हैं। लेकिन असल में यह कुछ दिनों की खुमारी होती है जो साथ रहने के कुछ समय बाद ही उतरने लगती है। असल प्यार इससे कहीं अलग होता है। अगर प्यार सच्चा हो तो उसकी चमक समय के साथ कभी फीकी नहीं पड़ती बल्कि निखरती जाती है।
हम कई बार कोई रोमांटिक फिल्म देखते हैं या नॉवेल पढ़ते हैं तो उसके चरित्रों के ईद-गिर्द ही खुद को रखकर सोचने लगते हैं। लेकिन असल जिंदगी में रिश्ते निभाना इतना आसान नहीं होता है। प्यार में पड़ना कोई गलत बात नहीं है लेकिन रिश्ता शुरु करने से पहले दो लोगों की स्वीकृति बहुत जरूरी होती है। जब आप दोनों एक रिश्ते में बंधते हैं तो आकर्षण धीरे-धीरे खत्म होने लगता है और फिर वहीं से एक असली रिश्ते की शुरुआत होती है।
किसी रोमांटिक में हम पर्दे पर ख्ुाद को अपने साथी के साथ महसूस करते हैं। तो कोई भी प्रेम कहानी हमें अपनी कहानी सी लगती है। लेकिन असल जिंदगी में रिश्ते निभाना इतना आसान नहीं होता। गुलजार कहते हैं कि प्रेम तो एकतरफा हो ही नहीं सकता। इसके लिए दो लोगों की स्वीकृति बहुत जरूरी होती है। जब आप दोनों एक रिश्ते में बंधते हैं तो आकर्षण धीरे-धीरे खत्म होने लगता है और फिर वहीं से एक असली रिश्ते की शुरुआत होती है।
जिस तरह किसी छोटे पौधे को पानी से सींचने पर ही वो एक दिन फल देने के काबिल बन पाता है। उसी प्रकार की देखभाल रिश्ते भी चाहते हैं। प्रेम दो लोगों को सिर्फ जिस्मानी नहीं बल्कि रूह के दर्जे पर भी जोड़कर रखता है। और अगर रिश्तों के धागे का एक सिरा मन से न जुड़ा हो, रिश्ते महज औपचारिकता बनकर रह जाते हैं। जिन्हें निभाया नहीं जाता बस उनका भार उठाया जाता है। जिसे कभी दिलो-जान से चाहते थे आज उसके साथ होते हुए भी मीलों की दूरियां नजर आती हैं। ऐसा सिर्फ रिश्ते में अंतरंगता और प्यार की कमी के कारण ही होता है।
जानिए किस तरह रिश्तों में प्यार और अंतरंगता को बढ़ा सकते हैं।
छोटे-छोटे मुद्दे पर भी बात करें
बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं, लेकिन छोटी-छोटी खुशियों को नजरअंदाज कर देते हैं। रिश्तों में अंतरंगता बनाए रखने के लिए जरूरी नहीं है कि हमेशा शारीरिक जुड़ाव के बारे में सोचा जाए। खुद को एक दूसरे के करीब लाने के लिए एक दूसरे से जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर भी बात की जानी चाहिये। अंतरंगता के महत्व को समझते हुए एक रिश्ते में आप जितना खुलेंगे उतना ही आप साथ मजबूत होगा।
सब कुछ बाटें
प्यार तो है ही ऐसी चीज जो बांटने से बढ़ती है। और अंतरंग संबंधों में भी यह जरूरी है कि दोनों अपनी हर चीज एक दूसरे से साझा करें। फिर चाहे वो खुशी हो या गम। इतना ही नहीं अगर दोनों एक दूसरे के काम में हाथ बटाएंगे तो यह और भी अच्छा हो सकता है जैसे अगर पति ने ब्रेकफास्ट बनाया तो पत्नी ने बिजली का बिल जमा कर उसकी मदद कर दी।
मुश्किलों से निकालने का प्रयास करें
रिश्तों में अंतरंगता तब बढ़ती है जब दोनों में इतना लगाव हो कि तकलीफ एक हो और उसका असर दूसरे पर दिखे। आपस में इतना प्यार होना चाहिए कि आप एक दूसरे की मुश्किलों में ना सिर्फ उसका साथ दें बल्कि उसे इससे निकालने का भी प्रयास करें।
रिश्तों की डोर बहुत नाजुक होती है। एक बार डोर टूट गयी तो इसे जोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए इसका खास खयाल रखें।
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