
इस समय दुनिया की कुल आबादी 7.8 अरब हो चुकी है, इसमें से 1.3 अरब लोग सिर्फ भारत में रहते हैं। लगातार बढ़ती इंसानों की जनसंख्या हर देश के लिए कई तरह की चुनौतियां पैदा कर रही है। यही कारण है कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूकता के लिए 11 मई को हर साल विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जाता है। इस जनसंख्या दिवस पर दुनिया के सभी देश कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहे हैं। यही कारण है कि इस बार जनसंख्या दिवस की थीम 'महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा' रखा गया है। कोरोना वायरस महामारी ने हमें बताया है कि प्रकृति के आगे इंसान हमेशा बौना साबित होगा। प्रकृति इंसान के विकास की यात्रा को रोक भी सकती है और पीछे मोड़ भी सकती है। आइए जानते हैं भविष्य में जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के बारे में।
बढ़ती जनसंख्या से स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
कोरोना वायरस महामारी ने हमें बताया है कि तमाम विकास के साथ-साथ अगर स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने की तरफ ध्यान नहीं दिया जाएगा, तो इंसानों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहेगी। जिस तरह से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है और दुनिया का तापमान बढ़ता जा रहा है, उससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया है कि आने वाले समय में कोविड-19 जैसी और महामारियों का सामना करने के लिए हमें अभी से तैयार रहना चाहिए। भारत जैसा देश, जहां जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा है और स्वास्थ्य सुविधाएं शहरों तक में पर्याप्त नहीं हैं, ऐसे में भारत के लिए चुनौती और भी बड़ी है।
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हवा से फैलने वाली बीमारियों के खतरे
हवा में फैलने वाली सभी संक्रामक बीमारियां ऐसे स्थानों पर और ज्यादा फैलती हैं, जहां जनसंख्या का घनत्व ज्यादा हो। यही कारण है कि भारत में जब कोरोना वायरस महामारी ने दस्तक दी, तो सबसे ज्यादा बुरा हाल उन शहरों का हुआ, जहां जनसंख्या बहुत ज्यादा थी। वैश्वीकरण के इस युग में दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई महामारी आती है, तो उसे पूरी दुनिया में फैलने में महज कुछ महीनों का ही समय लगेगा, ये बात हमें कोरोना वायरस महामारी ने बता दिया है।
पानी से फैलने वाली बीमारियों के खतरे
हवा के साथ-साथ पानी से फैलने वाली बीमारियां भी पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती हैं। भारत में ऐसे तमाम हिस्से हैं, जहां लोगों के पास आज भी पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में गंदा और बासी पीने से भी हर साल सैकड़ों लोग बीमारियों के कारण मरते हैं। आने वाले समय में पीने के पानी की किल्लत भी एक बड़ी चुनौती बनेगी। ऐसे में लोग गंदा पानी पीने को मजबूर होंगे और इसका खामियाजा उन्हें बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में भुगतना पड़ेगा।
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लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के खतरे
महामारियों को छोड़ भी दें, तो दुनिया में सबसे ज्यादा लोग लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से मर रहे हैं। लोगों की खराब लाइफस्टाइल का एक कारण लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या भी है। जनसंख्या के दबाव में दुनिया में रोजगार के अवसर घट रहे हैं। जीवन में सफलता के लिए संघर्ष और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। ऐसे में लोगों के पास अपनी सेहत पर ध्यान देने के लिए समय नहीं है। दुनिया में जिन बीमारियों के कारण सबसे ज्यादा लोग मरते हैं वो इस प्रकार हैं- हार्ट से संबंधित बीमारियां, स्ट्रोक, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, क्रॉनिक पल्मोनरी डिजीज, कैंसर, डायबिटीज, अल्जाइमर, डायरिया जैसी बीमारियां आदि।
लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों में वो बीमारियां भी शामिल हैं, जो प्रदूषण के कारण फैल रही हैं। पूरी दुनिया में बढ़ता प्रदूषण भी लोगों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहा है।
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