
बच्चों को केमिकल रंगों को न देकर सूखा रंग और गुलाल दीजिए जिससे होली का मजा दोगुना हो जाए।
होली का नाम आते ही रंग भरा वातावरण सामने आ जाता है। ऐसे में बच्चे ज्यादा हुडदंग मचाते हैं और रंगों का प्रयोग करते हैं जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर पडता है। भारत में हर साल लगभग 80 प्रतिशत लोगों को रंगों के दुष्प्रभाव का सामना करना पडता है। डॉक्टरों के अनुसार होली के बाद त्वचा, कान, आंख व सांस के मरीज 50 प्रतिशत तक बढ जाते हैं जिसमें बच्चों की संख्या ज्यादा होती है। बच्चों की त्वचा बहुत कोमल और नाजुक होती है जो इन केमिकलयुक्त रंगों को बर्दास्त नहीं कर पाती है और बच्चों को कई प्रकार के चर्म रोग हो जाते हैं। इसलिए होली में बच्चों को केमिकलयुक्त और गीले रंगों की बजाय सूखे रंग और गुलाल दीजिए।
गीले रंगों का बच्चों पर नुकसान -
- रंगों में लेड ऑक्साइड, एल्यूमिनियम ब्रोमाइड व लेट सल्फेट जैसे केमिकल होते हैं, जिसका असर सीधे शरीर की त्वचा पर पडता है।
- कई केमिकल इतने हानिकारक होते हैं कि इनसे बच्चों को किडनी फेल, हार्ट अटैक, फेफडे का इंफेक्शन, कैंसर और अस्थमा हो सकता है।
- केमिकलयुक्त रंगों से एलर्जी, सांस की बीमारी, निमोनिया हो सकता है।
- बच्चों की आंखों में रंग पडने से सूजन आ सकती है।
- बच्चों की कोमल खुल त्वचा पर केमिकलयुक्त रंग पडने से चर्म रोग हो सकते हैं।
- केमिकलयुक्त रंगों का पानी अगर बच्चे की कान में चला जाए तो न केवल जलन होगी बल्कि छाले भी बन सकते हैं।
कैसे बनाएं सूखा रंग –
हरा सूखा रंग -
हरे रंग के लिए हिना पाउडर इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे चेहरे पर कोई निशान नहीं आएगा। गुलमोहर की पत्तियों को सुखाकर भी चमकदार हरा गुलाल तैयार किया जा सकता है।
नारंगी सूखा रंग -
टेसू के फूल जिनको ढाक भी कहा जाता है, इसे सूखाकर पाउडर बना लीजिए और फिर इसमें थोड़ा-सा टेलकम पाउडर मिलाकर बच्चों को खेलने के लिए दीजिए।
पीला सूखा रंग -
अमलतास, पीले रंग के गुलदाउदी और गेंदे के सूखे फूलों का पाउडर बनाकर इसे बेसन के साथ मिलाकर या फिर सिर्फ फूलों के पाउडर से भी बच्चे होली खेल सकते हैं। इसके अलावा सूखे गेंदे के फूलों की पंखुडियों के पाउडर में हल्दी अथवा बेसन को मिलाकर भी पीला रंग बनाया जा सकता है। 5 बडे चम्मच बेसन को 2 बड़े चम्मच हल्दी पाउडर में मिलाएं। इसे खुशबूदार बनाने के लिए कसूरी हल्दी का प्रयोग कीजिए। बेसन की जगह अरारोट पाउडर, चावल का आटा, गेहूं का आटा, मुल्तानी मिट्टी का पाउडर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
लाल सूखा रंग –
लाल चंदन की लकडी के पावडर में सूखे लाल गुडहल के फूल को पीसकर लाल सूखा रंग बनाया जा सकता है।
गुलाल -
गुलाल सूखा चूर्ण होता है जो रसायनों और हर्बल के प्रयोग से बनाया जाता है। इसमें रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इससे न तो जलन होती है और न ही एलर्जी। गुलाल पर्यावरण के अनुकूल होता है। बच्चों को होली खेलने के लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है।
बच्चों को बाजार में आए इन केमिकल रंगों को न देकर सूखा रंग और गुलाल दीजिए जिससे होली का मजा दोगुना हो जाए।
Read More Articles On Holi Special In Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।