
40 साल के बाद गर्भधारण करने से कई प्रकार की जटिलतायें हो सकती हैं, इस लेख में जानिए इस दौरान होने वाले जोखिम के बारे में।
चालीस की उम्र के बाद गर्भवती होना मां और होने वाले बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। गर्भवती होने के लिए आदर्श उम्र 25 से 35 की है। इसके बाद गर्भावस्था की योजना बनाना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में सामान्य प्रसव की संभावना बहुत कम होती है और गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है। उम्र ज्यादा होने के बाद प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, साथ ही डायबिटिज होने का खतरा ज्यादा होता है। 40 की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी में प्रसव के लिए सिजेरियन की संभावना बढ़ जाती है। इस उम्र में शरीर ज्यादा ऊर्जावान नहीं रहता जिसके कारण बच्चे की देखभाल में समस्या होती है। आइए हम आपको 40 साल के बाद गर्भावस्था के छुपे जोखिम के बारे में बताते हैं।
40 साल के बाद प्रेग्नेंसी के जोखिम
कैंसर का खतरा
40 साल के बाद गर्भ धारण करने के बाद महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। गर्भवती होने के बाद हार्मोन में बदलाव होते हैं जिसके कारण कैंसर की संभावना बढ़ती है। स्वीडेन में हुए एक अध्ययन के अनुसार 35 साल के बाद गर्भवती होने के कारण महिलाओं में बेस्ट कैंसर होने का खतरा सामान्य प्रेग्नेंसी की तुलना में 26 प्रतिशत ज्यादा होता है।
गेस्टेशनल डायबिटीज
इस प्रकार का डायबिटीज केवल गर्भावस्था के दौरान होता है और 40 साल की उम्र के बाद गर्भधारण करने वाली महिलाओं में यह ज्यादा पाया जाता है। गर्भावधि मधुमेह के कारण भ्रूण का वजन ज्यादा हो सकता है, बच्चे का वजन बढ़ने के कारण प्रसव के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा बच्चे को भी भविष्य में मधुमेह होने की आशंका बढ़ जाती है।
उच्च रक्तचाप
गर्भावस्था के दौरान 20 सप्ताह के बाद क्रोनिक हाइपरटेंशन और इसके बाद गेस्टेशनल हाइपरटेंशन के कारण महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। प्रीक्लम्पशिया (यह स्थिति महिला के यूरीन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने से आती है) के कारण भी ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है।
गर्भपात की आशंका
इस उम्र में गर्भवती होने से गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। गूणसूत्र में असामान्यता के कारण मिसकैरेज की ज्यादा संभावना होती है। शोधों के अनुसार 40 के बाद गर्भवती होने की वजह से गर्भपात की आशंका 15 प्रतिशत तक ज्यादा होती है।
प्रसव के लिए सिजेरियन
35 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं को प्रसव के लिए सिजेरियन का सहारा लेना पड़ सकता है। इस दौरान प्लासेंटा प्रीविया की समस्या ज्यादा होती है, इसमें गर्भनाल ग्रीवा को ब्लॉक कर देता है जिसके कारण डिलीवरी के लिए सिजेरियन करना पड़ता है।
बच्चे में समस्यायें
40 की उम्र के बाद गर्भवती होने वाली महिलाओं के बच्चों में कई प्रकार की विसंगतियां हो सकती हैं। यदि मां को गर्भावधि मधुमे है तो बच्चे का वजन ज्यादा हो सकता है, डाउन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है, बच्चे को दिमागी समस्यायें भी हो सकती हैं। बच्चा अविकसित भी पैदा होता है।
2010 में हुए एक शोध में यह बात सामने आयी है कि यदि पिता की उम्र 40 से ज्यादा है और मां की उम्र 30 से कम, ऐसे में बच्चे को ऑटिज्म जैसे मानसिक विकार हो सकते हैं।
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