आयुर्वेद के अनुसार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात, पित्ता और कफ को संतुलित रखना बहुत जरूरी होता है। इनमें से किसी एक दोष का असंतुलित होने से शरीर में विषैले तत्व बढ़ने लगते है जिससे शरीर बीमार पड़ सकता है। पंचकर्म चिकित्सा से शरीर का शोधन कर त्रिदोषों को संतुलित किया जाता है और विषैले तत्व को शरीर से बाहर निकाला जाता है। पंचकर्म थेरेपी में वमन, विरेचन, नस्य, बस्ती और रक्तमोक्षण इन पांच क्रियाओं का समावेश होता है। पंचकर्म थेरेपी क्या है, यह कैसे काम करती है, किन-किन रोगों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। आइए इस विडियो के माध्यम से पंचकर्म थेरेपी डॉक्टर शिल्पी शंकर से जानें।
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