इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्या का इलाज मुश्किल नहीं होता, लेकिन इस बीमारी और इससे होने वाली समस्याओं को ठीक होने में थोड़ा वक्त जरूर लगता है और यह लक्षण धीरे-धीरे ठीक होते हैं। लेकिन इसके लक्षण हल्के होते हैं। जी मिचलाना, मल में असामान्य तरल निकलना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इस बीमारी में ज्यादातर खानपान संतुलित और नियमित रखने की सलाह देते है। ना ज्यादा खाना पीना चाहिए, ना ही ज्यादा देर भूखा रहना चाहिए। जंकफूड से परहेज करना बहुत जरूरी होता है। फाइबरयुक्त आहारों का सेवन इसमें फायदा करता है। इसमें यदि मरीज को बुखार या दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी से बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है, तो सबसे पहले इन्हीं के लिए दवाएं देते हैं।साथ ही, एक बार दवाएं दिए जाने के बाद, आपको डॉक्टर दोबारा जल्द बुलाता है, ताकी वह इस बात की जांच कर सकें कि कहीं दवाओं के साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहे हैं या दी गई दवाएं आपको फायदा पहुंचा रही है, या नहीं। क्योंकि ऐसा होने पर आपका दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के मरीजों में तनाव की समस्या भी हो सकती है और इसके कारण इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और गंभीर हो जाता है। इसलिए डॉक्टर तनाव होने पर उसकी भी दवाएं भी दे सकते हैं।मरीज इस बीमारी में कम सोचे और सकारात्मक सोच रखे तो ये लक्षण कम हो जाते है।
अन्य़ बीमारियांBy Onlymyhealth editorial teamSep 21, 2016
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