ब्रेन कैंसर की वह नार्मल स्थिति होती है जिसकी रोकथाम आसानी से की जा सकती है। इस स्थिति में कोशिकाओं का विकास बहुत धीरे होता है। टयूमर दिमाग से शरीर के दूसरे हिस्से में नहीं फैलता है। इस स्टेज को आसानी से सर्जरी के जरिए स्कल को खोलकर टयूमर को हटाया जा सकता है। कीमोथेरेपी ओर रेडिएशन थेरेपी के जरिए भी इस स्टेज का इलाज किया जा सकता है। ब्रेन कैंसर की इस स्थिति में घातक ब्रेन सेल्स के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगते हैं। अगर इसका निदान नहीं किया गया तो टूयमर बढने लगता है और घातक साबित हो सकता है। कीमोथेरेपी के जरिए इस अवस्था का इलाज संभव है। ब्रेन कैंसर की इस स्थिति में टयूमर परिपक्व होकर आक्रामक हो जाता है। घातक कैंसर सेल्स तेजी से फैलकर शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं।
दिमाग को शरीर के अन्य संकेतों को पहचानने में दिक्कत होने लगती है। आदमी को शरीर का संतुलन बनाने में दिक्कत होने लगती है। बुखार और उल्टी लगातार होने लगती है। रेडिएशन थेरेपी के जरिए इस स्टेज का इलाज कुछ हद तक संभव है। यह ब्रेन कैंसर की आखिरी अवस्था होती है। इसमें टूयमर पूर्णतया विकसित होकर शरीर को पूरी तरह से क्षति पहुचाने लगता है। घातक उतकों की पहचान मेडिकल जांच के द्वारा भी मुश्किल से हो पाती है। कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और लेजर थेरेपी द्वारा इस स्टेज पर इलाज के लिए सुझाव दिया जा सकता है। मस्तिष्क कैंसर के रोगियों को की उम्र बढाने में व्यायाम कारगर साबित होता है। एक अध्ययन में कहा गया है कि इस रोग से पीडित रोगी को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।