कुछ लोग जब अध्यामिकता की ओर बढ़ने लगते हैं तो कुछ-कुछ गतिविधियां भी बदलने लगती है। जैसे लोग प्रणायाम, ध्यान और अन्य तरह की क्रियाओं में शामिल होने लगते हैं। कुछ लोग योगासन करने लगेंगे तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो धार्मिक किताबों को पढ़ना अध्यामिकता समझते हैं। जब कि यह अध्यात्मिकता बिल्कुल भी नहीं है लोगों का यह सिर्फ भ्रम है। यहां आपको बता दें कि अध्यात्मिकता न तो कोई गतिविधि है और न ही ऐसी कोई चुनौती, जिसे करने से आप आध्यात्मिक हो जाएंगे। अध्यात्मिकता क्या है, आइए इस सवाल का जवाब साइक्लॉजिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर पुलकित शर्मा से इस विडिया के माध्यम से जानते हैं- डॉक्टर पुलकित कहते हैं कि जिंदगी जीने और समझने का ढंग है आध्यात्मिकता। अगर आप अपनी जिंदगी को आध्यात्मिकता में बिताना चाहते हैं तो आप जो दिनभर जो भी एक्टिविटी करते हैं उसे 24 घंटे ध्यान में रखिए। और ध्यान से ही हर एक एक्टिविटी को करें। और आप यह देखें कि खुद को बेहतर कैसे बना सकते हैं साथ ही अपने आस-पास की जिंदगी को भी कैसे अच्छी कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो ज्यादा से ज्यादा अध्यात्मिकता आपकी जिंदगी में अवशोषित हो जाएगी। और यह आपके जीवन का हिस्सा बन सकेगी।
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