त्वचा के नीचे स्थित सिबेसस ग्लैंड्स से त्वचा को नमी प्रदान करने वाला तेल निकलता है। ये ग्लैंड्स चेहरे, पीठ, छाती और कंधों पर सबसे ज्यादा होते हैं। अगर ये ज्यादा सक्रिय हो जाएं तो रोमछिद्र चिपचिपे होकर ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें बैक्टीरिया पनपकर एक्ने का कारण बनता है। ये ज्यादातर टीनएज की उम्र से शुरू हो जाते है। एक्न जब पूरी तरह से ठीक नहीं होते है तो दाग छोड़ देते है जिन्हे स्कार्स बोलते है। इसको ठीक करने के लिए कई तरह के ट्रीटमेंट कराए जा सकते है। जैसे माइक्रोडर्माब्रेशन ( Microdermabrasion), इसमे एक मशीन को चेहरे पर रोटेट किया जाता है। इससे स्कार्स चले जाते है। ये पुरानी त्वचा को हटाकर नई त्वचा का निर्माण करता है। इसके अलावा कैमिकल पील भी कराया जा सकता है। कैमिकल पील्स को डर्मा पीलिंग के रूप में भी जाना जाता है। इस प्रक्रिया में एक कैमिकल एप्लीकेशन का प्रयोग त्वचा पर किया जाता है जो मृत त्वचा की ऊपरी परत को हटाता है और क्रमिक रूप से पील कर देता है। त्वचा का रिजेनरेशन होता है और नयी बनने वाली त्वचा अधिक मुलायम और साफ होती है और पुरानी त्वचा के मुकाबले इसमें रिंकल्स काफी कम होते हैं। इसके साथ ही एक नई तकनीकि सी ओ 2 नैनो फ्रैक्शन का प्रयोग भी किया जा सकता है। इससे स्कार्स बहुत जल्दी जाते है। इससे नई और कोमल त्वचा का निर्माण होता है।
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