बाथरुम जाने की आदत

संता और बंता बाथरुम जाने की बात पर लड़ रहे थे। संता के अनुसार रोज बाथरुम जाना जरूरी है जबकि बंता बोल रहा था ऐसा नहीं है। वो रोज नहीं जाता और फिर भी संता से ज्यादा स्वस्थ है। संता-बंता की ये लड़ाई अकबर के दरवाजे तक पहुंची जिसका जवाब अकबर के पास भी नहीं था। तब बीरबल को बीच में आना पड़ा। तब बीरबल ने वहां सभा में मौजूद सभी लोगों को समझाया जो जैसे स्वस्थ रहे उसके लिए वही स्वास्थ्य की परिभाषा भी है। इस पर बेवजह झगड़ा क्यों करना। यानी सेहत और बॉथरूम का कनेक्‍शन है।
क्या है स्वस्थ रहने परिभाषा

सही भी बात है। कोई दाल खाने से स्वस्थ रहता है तो किसी को दाल से ही उल्टी होती है। ऐसे ही कोई सुबह उठकर बाथरुम जाता है तो किसी को नाश्ते के बाद बाथरुम जाना पड़ता है। लेकिन सब स्वस्थ हैं। ऐसा सबकी अपने-अपने स्वास्थ्य संबंधी आदतों के कारण है। अगर आपको भी अफनी सेहत के बारे में जानना है तो इस स्लाइड शो में विस्तार से जानें अपने टॉयलेट जाने की आदतों के बारे में।
ये कोई रुल नहीं की दिन में एक बार ही जाएं

इस दुनिया में इस तरह का ऐसा कोई नियम नहीं है कि दिन में केवल एक बार ही टॉयलेट जाएं। काफी लोग दिन में एक से अधिक बार टॉयलेट जाते हैं तो कई इससे भी अधिक बार एक दिन में टॉयलेट जाते हैं। वहीं कई दो-तीन दिन में केवल एक बार टॉयलेट जाते हैं तो भी सवस्थ रहते हैं। संक्षेप में कहें तो मतलब कि अगर आपको अपने टॉयलेट जाने को लेकर किसी भी तरह की समस्या नहीं हो रही है तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
नियमित रहना सही है

अगर आप अपने बाउल मूवमेंट को सेट कर लेंगे तो मतलब है कि आपकी पाचन क्षमता अच्छी है। लेकिन नियमित नहीं होने पर भी चिंतित होने की जरूरत नहीं है। आप दिन में कभी भी टॉयलेट जा सकते हैं। कई बार सुबह उठकर लेटे लेटे प्रेशर नहीं बनता। ऐसा बाउल पर प्रेशर ना बनने के कारण होता है। ऐसे में जब आप खड़े होते हैं औऱ थोड़ा घूमने-फिरने लगते हैं तो प्रेशर बन जाता है। ऐसा बाउल के खुलने और उस पर प्रेशर बनने के कारण होता है।
खाने के बाद टॉयलेट जाना गलत नहीं

खाने के बाद टॉयलेट जाना हमेशा अस्वस्थता की निशानी नहीं होती। अगर खाने के तुरंत बाद आप टॉयलेट जाते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि आपकी पाचन क्षमता काफी अच्छी है। इसका मतलब है कि आपका डाइजेस्टिव ट्रेक्ट का विकास नहीं हुआ है। ऐसा अकसर बच्चों में होता है। बच्चे खाने के तुरंत बाद टॉयलेट चले जाते हैं।
चाय-कॉफी सच में सहायक है?

ये सच है। चाय-कॉफी से सच में टॉयलेट जाने और फ्रेश होने में मदद मिलेगी। लेकिन ऐसा क्यों होता है ये बहुत ही कम लोगों को पता है। ऐसा कैफीन द्वारा बाउल को उत्तेजित कर देने से होता है। गर्म कैफीन मल को नरम कर देता है जिससे मलद्वार पर प्रेशर पड़ता है और लोगों को टॉयलेट जाने की जरूरत पड़ती है।
पीरियड्स में अधिक होता है

पीरियड्स में महिलाओं को एक से अधिक बार टॉयलेट जाने की जरूरत पड़ जाती है। ऐसा पीरियड में प्रोस्टेग्लैंड हार्मोन की रीलिज होने के कारण होता है। प्रोस्टेग्लैंड हार्मोन गराभाशय की सक्रियता को बढ़ा देता है जिससे बाउल पर प्रेशर बढ़ता है। जिसका परिणाम में बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत पड़ती है।