जानें नींद के किन चरणों से गुजरते हैं आप
सोते समय हमारे दिमाग में सामान्यतया पांच तरह के चरण दोहराये जाते हैं। और फिर ज्यों-ज्यों रात गहरी होती है सपने लंबे होते जाते हैं।

सोते समय हमारे दिमाग में क्या होता है, इस विषय पर वैज्ञानिकों ने कई अध्ययन किये। वैज्ञानिकों ने इन अध्ययन सोते समय हमारे दिमाग की तरंगों में होने वाले बदलावों के आधार पर किया। सोते समय हमारे दिमाग में सामान्यतया पांच तरह के चरण दोहराये जाते हैं। और फिर ज्यों-ज्यों रात गहरी होती है सपने लंबे होते जाते हैं। तो चलिये विस्तार से जानते हैं कि नींद के किन चरणों से गुजरते हैं हम।
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नींद के पहले चरण का समय बहुत कम होता है, यह सोने के साथ आरम्भ होता है और जल्द ही खतम भी हो जाता है। अर्थात दूसरे चरण में प्रवेश कर जाता है। इस चरण में दिमाग की तरंगे तेज हो जाती हैं और अल्फा तरंगों (इस प्रकार की तरंगे जागने के समय भी दिमाग में चलती हैं, जब व्यक्ति किसी सोच में रहता है) की गति कम होती है। पूरी नींद में इनका योगदान बस 5 प्रतिशत का ही होता है।
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पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण में दिल की धड़कन और सांस लेने की गति धीमी हो जाती है। इस चरण में दिमाग की तरंगे धीरे-धीरे बढ़ती हैं। यह चरण नींद के कुल समय के 44 से 55 प्रतिशत समय तक होता है।
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तीसरे और चौथे चरणों में व्यक्ति गहरी नींद में होता है और इस दौरान दिमाग की तरंगे बेहद धीमी हो जाती हैं। इस चरण में मांसपेशियों को भी आराम मिल रहा होता है क्योंकि ऐसे में सांस लेने और दिल की धड़कनों की गति बहुत धीमी होती है। इन चरणों में व्यक्ति गहरी नींद में होता है जिसके चलते वह सपना देखने के साथ कभी-कभी बोलता है, साथ ही इस चरण में ही वह कभी-कभी नींद में चलता भी है। कुल नींद में इनका समय 15 से 23 प्रतिशत तक का होता है।
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यह आखिरी चरण नींद का आखिरी चरण होता है। इस चरण में व्यक्ति गहरी नींद में तो होता है ही लेकिन इसके साथ ही गंभीर सपने देखने के कारण शरीर के अन्य अंग भी गति करते हैं। आरईएम यानी रैपिड आई मूवमेंट इस चरण में ही होता है। नींद का यह चरण छोटा और लंबा दोनों ही तरह का होता है। इसका पहला चक्र मात्र 10 मिनट का और आखिरी कई घंटों का हो सकता है। इस दौरान दिल की धड़कन बढ़ जाती है, सांस तेज हो जाती हैं, आंखें भी गति करती हैं, हालांकि मांसपेशियां आराम करती हैं। और फिर जागते ही दिमाग की तरंगें एकत्रित हो जाती हैं।
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रैपिड आई मूवमेंट में सपनों के साथ आंखों की पुतलियां भी हिलती हैं। इसी को रैपिड आई मूवमेंट या आरईएम कहा जाता है। यह दरअसल अचेतन मन की स्थिति होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जागे होने और आरईएम के बीच एक चरण होता है, जब लोगों को अच्छे सपने आते हैं। इसे चेतना और अवचेतना के बीच की स्थिति माना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें इंसान को पता होता है कि वो सपना देख रहा है और अगर वह कोशिश करे तो अपने सपनों पर नियंत्रण कर सकता है।
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नींद हमारे जीवन के बेहद आवश्यक है। यही कारण है कि हम खाए बिना तो कई दिनों त करह सकते हैं, लेकिन नींद के बिना नहीं। नींद न आना एक खतरनाक समस्या है, जिसके गंभीर परिणामों के रूप में मृत्यु भी हो सकती है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के एक शोध के अनुसार जो लोग 6 घंटे से कम और 9 घंटे से अधिक सोते हैं उनकी मृत्युदर 7 से 9 घंटे नियमित सोने वालों की तुलना में 30 प्रतिशत तक ज्यादा होती है।
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लोगों का मानना है कि आप जितना सोते हैं, उतने तनावमुक्त हैं तथा दिन में सोने से रात की नींद खराब होती है। लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है कि अधिक सोने वाले लोग तनावमुक्त रहते हैं। वास्तव में बहुत अधिक सोना भी अवसाद का एक बड़ा और सामान्य लक्षण होता है। वहीं दिन में 20-30 मिनट की हल्की नींद लेने से रात की नींद खराब नहीं होती है, बल्कि इससे दिन की थकान दूर होती है और तरोताजा महसूस होता है।
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