ड्रग्स की लत छुड़ाने के लिए करें ये योगासन
एक बार किसी को नशे की आदत लग गई तो उसे छुड़ाना बहुत ही मुश्किल होगा, लेकिन योग ऐसा साधन है जिसके जरिये आसानी से नशे की लत से छुटकारा मिल सकता है, इस स्लाइडशो में जानें इसके लिए कौन से योगासन करें।

नशे की आदत तब पड़ती है जब इंसान का खुद पर नियंत्रण नहीं रहता। जब इंसान इंद्रियों के नियंत्रण में आने लगता है तो नशे की आदत सर पर चढ़ जाती है। इसी खोई हुई नियंत्रण को त्राटक योग पाने में मदद करता है। ये योग नशे की आदत तो छुढ़ाता ही है साथ में एकाग्रता बढ़ाता है और आंखों की रोशनी व मानसिक रोग दूर करने में मदद करता है। त्राटक योग करने के लिए किसी भी स्थायी बिंदु या रोशनी को एकटक देखने की जरूरत होती है। इसके लिए शाम का समय सबसे बेहतर माना जाता है। तो शाम को किसी भी समय शांत वातावरण में किसी काले बिंदु या रोशनी को बीस मिनट तक देखें। ऐसा रोजाना तीन महीनों तक लगातार करें। आप धीरे-धीरे खुद ही नशा छोड़ने लगेंगे।
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कुंजल योग हर तरह के रोग और शौक से मुक्त रखता है। साथ ही यह शरीर की पेट और आहार को भी हमेशा साफ रखता है जिससे कब्ज जैसी समस्या नहीं होती। इस योग में पानी से पेट को साफ़ किया जाता है। इस योग क्रिया को करने के लिए सुबह-सुबह नित्य-कर्म से मु्क्त हो जाएं। फिर 1 लीटर पानी को हल्का गर्म कर लें। फिर इस गर्म पानी को कगासन में बैठकर जितना हो सके उतना पी लें। फिर सीधे खड़े हो जाएं और थोड़ा सा झुकें। अब मुंह में हाथों की तीन उंगलियां डालकर घुमाएं। उंगुलियां तब तक घुमायें जब तक की उल्टी ना आ जाएं। उल्टी में सारे पानी को निकलने दीजिए। इससे दिल, लीवर और पेट साफ़ होता है और शरीर निरोग। साथ ही शरीर में हमेशा स्फूर्ति बनी रहती है।
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प्राणायाम योग निरोग रहने और तरोताजा रहने के लिए सबसे अच्छी औषधि माना जाता है। ये मन, शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को स्वच्छ और स्वस्थ रखता है। इस योग के फायदों को देखते हुए इसे योग के आठ अंगो में से चौथे स्थान पर रखा गया है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर द्वारा ली जाने वाली वायु प्राण है और उसको स्वच्छ व निरोग रखने की विधि प्राणायाम। प्राणायाम करने के लिए प्रमुख तौर पर 3 क्रियाओं पूरक (वृत्ति), कुंभक (स्तंभ वृत्ति) और रेचक (बाह्य वृत्ति) पर ध्यान दिया जाता है। इसमें इंसान नियंत्रित गति से सांस अंदर लेता और बाहर छोड़ता है। ध्यान रहे कि अंदर या बाहर लेने वाली सांस का अनुपात बराबर हो। ये मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। जिससे मस्तिष्क में नशे को छोड़ने के लिए हार्मोन रीलिज होते हैं औऱ इंसान धीरे-धीरे नशा छोड़ने लगता है।
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अगर आप उपरोक्त दिये गए किसी भी तरह के योग को वर्तमान में किसी कारणवश करने में सक्षम नहीं हैं तो कपालभाती करें। कपालभाती संस्कृत का शब्द है जिसमें कपाल का मतलब मस्तष्कि और भाती का मतलब प्रकाश है। इस योग के करने से चेहरे में चमक आती है। इसे करने के लिए सुबह आपको नित्य-कर्म से मुक्त होकर पंद्रह मिनट निकालने की जरूरत है। आप इसे शाम को भी कर सकते हैं। लेकिन इसे करने से पहले दो घंटे तक कुछ खाया ना हो और करने के दो घंटे बाद तक भी कुछ ना खायें। इसे करने के लिए जमीन में साफ कपड़े पर पद्मासन या सिद्धासन मुद्रा में बैठ जायें। अब नाक से शरीर की सारी वायु को बाहर निकालें। फिर तुरंत सांस ना लें। सांस निकलाकर बीस-तीस सकेंड कर वैसे ही रहें। फिर थोड़ी देर बाद गहरी संस लें। ऐसा पंद्रह मिनट तक करें।
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जो इंसान अपने स्वाद और कंठ की कूर्मंनाडी को नियंत्रित कर लेता है तो उसे स्थायीत्व और निराहार सिद्धि प्राप्त हो जाती है। ऐसा इंसान भूख-प्यास से मुक्त हो जाता है। वैसे भी ये साइंटीफिकली तौर पर भी माना जाता है कि हफ्ते में एक दिन उपवास करने से शरीर स्वस्थ रहता है। उपवास की ये विधि नसा छुड़ाने में भी कारगर है। इसके लिए सबसे पहले एक समय खाना छोड़कर उपवास करने से शुरुआत करें। धीरे-धीरे आपको खुद ही नशा करने का मन नहीं करेगा। इस विधि की शुरुआत भौतिक उपवासों से करें।
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