आपके शरीर को लचीला बनाएंगे ये योगासन
योगासन न सिर्फ मानसिक और शारीरिक रूप से किसी व्यक्ति को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं, बल्कि शरीर को लचीना बनाकर रोग मुक्त भी बनाते हैं। शरीर लचीला होने से वह तनाव, थकान और आलस्य से दूर रहता है तथा दर्द व सूजन जैसी समस्याओं से भी बचाव होता है।

यह तो हम सभी जानते हैं कि नियमित व्यायाम और योग सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं यदि आपका शरीर तना रहता है और उसमें लचीलापन कम है तो योग के माध्यम से आप अपने शरीर में कमाल का लचीलापन भी ला सकते हैं। योग आपके शरीर को पूरी तरह से लचीला और आरामदायक बनाने में मदद करता है, साथ ही तनाव, थकान और आलस्य को भी दूर करता है। तो चलिये कौंन से हैं वे योगासन जो शरीर को लचीना बनाने में मदद करते हैं।
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शरीर में लचीलापन होने से उसमें ऊर्जा बनी रहती है। श्वास-प्रश्वास में रुकावट नहीं होती तथा व्यक्ति अधिक फुर्तीला, शांत, लेकिन जोशीला बना रहता है। शरीर लचीला होने पर छोटी-मोटी बीमारियां छू भी नहीं पाती और बुढ़ापा भी कोसों दूर रहता है। नियमित योग करने से मोटापा दूर होता है और पाचन तंत्र संबंधी रोग नहीं होते। साथ ही हाथों और पैरों का दर्द व सूजन भी दूर होती है और उनमें सबलता आती है।
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गोमुखासन करने के लिए अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाएं पैर के नीचे से निकालते हुए एड़ी को पीछे की तरफ नितम्ब के पास सटाकर रख लें। इसके बाद दाएं पैर को भी इसी प्रकार बाएं पैर के ऊपर रखकर एड़ी को पीछे नितम्ब के पास रख लें। अब बाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर कमर के बगल से पीठ के पीछे लें जाएं और दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर कंधे के ऊपर सिर के पास पीछे ले जाएं। फिर दोनों हाथों की अंगुलियों को हुक की तरह आपस में फंसा लें और सिर व रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और सीने को भी तानकर ही रखें। इस स्थिति में कम से कम दो मिनिट के लिए रुकें और फिर हाथ व पैर की स्थिति बदलकर दूसरी तरफ भी इस आसन को इसी तरह करें। दोनों तरफ से 4 - 4 बार इसे करें।
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नटराज आसन को करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं और फिर दाएं पैर को पीछे की ओर लेजाकर ऊपर उठा लें। अब इसे घुटने से मोड़कर उस पैर के पंजे को अपने दाएं हाथ से पकड़ें। फिर दाएं हाथ से दाएं पैर को जिनता हो सके ऊपर उठाएं। अब बाएं हाथ को सामने की ओर ऊपर उठाएं। हां, इस दौरान सिर को ऊपर की ओर उठा कर ही रखें। अब 3 सेकंड के बाद वापस पहली वाली स्थिति में आ जाएं और फिर इसी क्रिया को दूसरे पैर से भी करें।
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इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को सटाकर सीधे सामने की ओर कर बैठ जाएं। इस स्थिति को दंडासन स्थिति कहा जाता है। अब हाथों को कमर से सटाते हुए हथेलियों को भूमि पर रखें। कमर, कंधे और सिर को सीधा ही रखें। सामने देखें और गहरी सांस भरें। इस आसन से कूल्हों और पैरों में कमाल का लचीलापन आता है।
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उष्ट्रासन करने के लिए पहले वज्रासन में बैठें। फिर घुटनों के बल खड़े हो जायें। अब घुटनों से कमर तक का भाग सीधा रखें व पीठ को पीछे की ओर मोड़कर हाथों से पैरों की एड़ियां पकड़ें। अब सिर को पीछे की ओर झुका दें। सांस सामान्य, नजर जमीन पर व ध्यान कंठस्थान में रखें। इस अवस्था में 10 -15 सैकेण्ड के लिए रुकें। ध्यान रहे कि आसन छोड़ते समय हाथों की एड़ियों से हटाते हुए सावधानीपूर्वक वज्रासन में बैठें व सिर को सीधा करें।
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हलासन करने के लिए पहले पीठ के बल लेट जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को समानांतर जमीन से सटाकर रख लें। अब दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें व एड़ी व पंजों को भी मिला लें। फिर दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। हाथों को सीधा जमीन पर ही टिका रहने दें। हलासन की पूरी स्थिति में आ जाने के बाद 8 से 10 सैकेंड के लिए इसी स्थिति में रहें और सांस को स्वाभाविक रूप से लेते व छोड़ते रहें। इसके बाद वापस सामान्य स्थिति में आने के लिए घुटनों को बिना मोड़े ही गर्दन व कंधों पर जोर देकर धीरे-धीरे पैरों को पुन: अपनी जगह पर लाएं। हो गया हल आसन।
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इसे करने से आप न सिर्फ कई स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रहेंगे बल्कि आपका शरीर लचीला होगा और कमर व जांघ की चर्बी कम होगी। इसके लिए सबसे पहले सीधे बैठ जाएं और दोनों पैरों को फैलाकर एक सीध में रखें। दोनों पैर सटाकर रखें। दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और कमर को बिल्कुल सीधा रखें। फिर झुककर दोनों हाथों से पैरों के दोनों अंगूठे पकड़ने की कोशिश करें। ध्यान रहे इस दौरान आपके घुटने न मुड़ें और न ही आपके पैर जमीन से ऊपर उठें।
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यह आसन खड़े रहकर किया जाता है। एड़ी-पंजों को समानान्तर क्रम में थोड़ा दूर रखें। हाथों को सीधा कमर से सटाकर रखें। फिर धीरे-धीरे हाथों को कंधों के समानान्तर लाएं। इसके बाद हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं और पैर की एड़ी को जमीन से ऊपर उठाकर पंजों के बल खड़े हो जाएं। फिर उंगुलियों को लॉक कर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ें। लेकिन ध्यान रखें कि हथेलियां आसमान की तरफ हों रहें। गर्दन को सीधा ही रखें। अब वापस आने के लिए हाथों को जब दोबारा कंधे की सीध में समानान्तर क्रम में लाएं और एड़ियों को भी उस क्रम में जमीन पर टिका दें। फिर दोनों हाथों को नीचे लाते हुए कमर से सटाकर पहले जैसी स्थिति में लोट आएं।
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भुजंगासन करने के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और फिर दोनों हाथों के सहारे शरीर के कमर से ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन अपनी कोहनियां मुड़ी ही रखें। ध्यान रहे कि हथेली खुली और जमीन पर फैली हो। अब शरीर के बाकी हिस्से को हिलाए-डुलाए बिना चेहरे को ऊपर की ओर उठाएं। कुछ समय के लिए इसी स्थिति में रहें।
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यूं तो आप इन योगासनों की शुरुआत कहीं से भी कर सकते हैं, लेकिन ज्यादा अच्छा होगा कि आप शुरुआत में सिर्फ सूर्य नमस्कार और प्राणायाम का ही अभ्यास करें। फिर कुछ दिनो के उपरांत उपरोक्त में से चयन कर इनका नियमित अभ्यास करें।
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