थायराइड में बहुत फायदेमंद है ये योगासन, मिलता है तुरंत आराम
थायराइड न सिर्फ एक गंभीर समस्या है बल्कि इससे हमारी रोजमर्रा की दिनचर्या पूरी तरह बदल जाती है। हालांकि विभिन्न किस्म के पोज, स्ट्रेचिंग आदि के जरिये थाईराएड को मैनेज किया जा सकता है।

थायराइड न सिर्फ एक गंभीर समस्या है बल्कि इससे हमारी रोजमर्रा की दिनचर्या पूरी तरह बदल जाती है। यही नहीं मरीज को तमाम किस्म की दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन अगर विकल्प की ओर ध्यान दें तो थोड़ी सी मेहनत कर दवाओं से निजात पाया जा सकता है। ये विकल्प है, योगा। जी, हां! योगा थायराइड से पार पाने का एक प्राकृतिक इलाज है। विभिन्न किस्म के पोज, स्ट्रेचिंग आदि के जरिये थायराइड को मैनेज किया जा सकता है। खासकर जब बात गर्भावस्था की हो तो विशेषज्ञों से सलाह लेकर ऐसा करना शिशु और मां, दोनों के लिए बेहतर होता है। मगर ध्यान रखें कि तमाम योगासन एड्वांस स्तर पर करने से बचना चाहिए।
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विपरीत करणी मुद्रा थायराइड के सभी रोगों में मसलन हाइपो और हाइपर दोनों को संतुलित करने में सहायक है। इसका नियमित अभ्यास करना सेहत के लिए भी अच्छा होता है। इसके इतर यदि आप गर्भवती हैं तो ऐसी स्थिति में विपरीत करणी आसन दीवार से सटकर करें और संभव हो तो किसी इंस्ट्रक्टर के देखरेख में ही इसको तरजीह दें। यह भी ध्यान रखें कि जितना संभव हो, उतना ही करें। अनावश्यक गर्भावस्था में शरीर पर जोर न दें।
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सर्वांगासन संपूर्ण शरीर का व्यायाम होता है। कुछ योग विशेषज्ञों के मुताबिक यह सभी आसनों की जननी है। बहरहाल सर्वांगासन थायराइड ग्रंथि को क्रियाशील बनाता है। अतः यह थायराइड के मरीजों के लिए काफी लाभकर है। इसके अलावा यदि आप थकन से परेशान रहते हैं या फिर दुर्बलता आपको परेशान करती है तो भी सर्वांगासन का सहारा लिया जा सकता है। इसके इतर जो महिलाएं गर्भवती होना चाहती हैं उनके लिए भी यह आसन काफी उपयोगी है। दरअसल यह आसन गर्भाशयन और मासिक धर्म सी जुड़ी समस्याओं को भी दूर करने में सहायक है। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में यह आसन न करें।
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उष्ट्रासन गर्दन को स्ट्रेच करता है। परिणामस्वरूप इसका असर थायराइड के मरीजों पर देखने को मिलता है। इसके अलावा योग विशेषज्ञों का मानना है कि उष्ट्रासन मन शांत रखता है। यही नहीं जिन लोगों को अत्यधिक क्रोध आता है, उनके लिए भी उष्ट्रासन लाभकर है। यही कारण है कि गर्भवती महिलाओं के लिए यह आसन लाभकर हो सकता है बशर्ते वे अंतिम तिमाही में न पहुंची हों। इसे भी विशेषज्ञों से सलाह लेकर किया जा सकता है।
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यह आसन थायराइड ग्रंथि की प्रभावपूर्ण तरीके से मसाज करता है। यही नहीं धनुरासन के जरिये ग्रंथि से उतने ही हारमोन रिलीज़ होते हैं जितने की आवश्यकता होती है। अतः थायराइड पीडि़त मरीजों के लिए धनुरासन काफी लाभकारी है। लेकिन विशेषज्ञों की राय में गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए। लेकिन जिन महिलाओं को मासिक धर्म सम्बंधी समस्या है, वे यह आसन अवश्य करें।
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मत्स्य आसन में शरीर मछली जैसा बन जाता है इसलिए इसे मत्स्य आसन कहा जाता है। मत्स्य आसन के जरिये हमारी गर्दन काफी स्ट्रेच होती है जो कि थायराइड ग्रंथि को संतुलित रखने में सहायता प्रदान करती है। यदि किसी महिला को मासिक धर्म सम्बंधी समस्या है, जिसके चलते वे गर्भधारण नहीं कर पा रही तो उन्हें इस आसन की ओर रुख करना चाहिए। असल में इससे मासिकस्राव नियमित बनते हैं। नतीजतन गर्भधारण में आसानी होती है।
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