महिलाओं के लिए सही नहीं है ये झोलाछाप मेडिकल सलाह
आपको ऐसी कोई महिला नहीं मिलेगी जो दवाई नहीं खाती होगी। फिर भी लोग बिना जाने महिलाओं को ऐसी सलाह दे देते हैं जो उनकी समस्या को घटाने के बजाय बढ़ा देती है। अगर आपको भी इनमें से कई सलाह मिली है तो आपसे अपील है कि उसे नजरअंदाज करें क्योंकि वो सरासर झूठ ह

जब भी कोई महिला हृदय संबंधी चेकअप कराने अस्पताल जाती है तो उसे ये बात जरूर सुनने मिलती है कि, अरे चिंता मत करो, तुम ठीक हो। वैसे भी दिल की बीमारियां तो अधिकतर पुरुषों को ही होती हैं। और अगर गलती से टेस्ट पोज़िटिव आ गया तो कहा जाता है कि माइक्रोवास्कुलर डिस्फंक्शन है जिसमें दिल के स्मॉल वेसल की समस्या होती है।
जबकि ये सामान्य समस्या नहीं बल्कि दिल से जुड़ी समस्या ही है। हम सभी लोग जानते हैं कि माइक्रोवास्कुलर डिस्फंक्शन के मरीजों को हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है। अगर आपको शारीरिक काम करते हुए लगातार छाती में दर्द, गर्दन दर्द, मसूड़ों में दर्द आदि की समस्या होती है तो एक बार हार्ट चेकअप जरूर कराएं। क्योंकि ये सारी समस्या दिल से जुड़ी होती है जो अंत में दिल को ही नुकसान पहुंचाती है।

अधिकतर महिलाएं सेक्स के दौरान दर्द से गुजरती है। पहली बार सेक्स करने के दौरान तो 99% महिलाओं को दर्द होता है। वहीं रजोनिवृत्ति के बाद तो सेक्स करने के दौरान हर महिलाओं को दर्द देता है। ऐसा वजाइना के ड्राइनेस के कारण होता है। लेकिन इसके लिए एफडीए से प्रमाणित दवाईयां, वजाइनल टैबलेट, पिल, क्रीम और जेल मिलते हैं। जिसके इस्तेमाल से महिलाओं को सेक्स के दौरान दर्द नहीं होता।

लिबिडो एक तरह का जरूरी हार्मोन होता है जिसकी कमी से इंसान में कामेच्छा की इच्छा कम हो जाती है। लेकिन जब महिलाएं लिबिडो से जुड़ी कोई बात कहती है तो कई लोग उन्हें ये कहकर टाल देते हैं कि लिबिडो जैसी कोई चीज नहीं होती औऱ ये केवल तुम्हारे दिमाग की उपज है। जबकि लिबिडो एक जरूरी हार्मोन है जिसकी कमी से लोगों की सेक्स लाइफ काफी प्रभावित होती है। आज भी कई महिलाएं इसके बारे में खुलकर बात नहीं करती लेकिन निजी तौर पर कई महिलाएं लिबिडो से जुड़ी थैरेपी लेती हैं जो कि बेहतर सेक्स लाइफ के लिए अच्छा भी है।

रजोनिवृत्ति ना केवल महिलाओं की खुशी और स्वास्थ्य पर असर डालती है, बल्कि पारिवारिक जीवन, कार्यक्षमता और रिलेशनशिप को भी प्रभावित करती है। रजोनिवृत्ति के दौरान गर्मी लगना, अनिद्रा, रात में पसीना आना, वजाइना ड्राइनेस, सेक्स की इच्छा कम होना, आदि कई गंभीर समस्या से महिलाओं को गुजरना पड़ता है। इसके लिए कई रिसर्च की गई जिसमें इस बात की पुष्टि हुई है की इस परिवर्तन के दौरान हार्मोन थैरेपी काफी कारगर होती है। जबकि चिकित्सक इसे सुरक्षित नहीं मानते और इस थैरेपी को लेने से मना करते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। हार्मोन थैरेपी रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में काफी प्रभावी है।

ये सबसे जरूरी सलाह है जो हर महिलाओं को अपने जीवन में एक बार जरूर सुनना पड़ता है। कई तो फीजिशियन भी बिना हार्मोन लेवल चेक किए हुए कम खाने की सलाह दे देते हैं। जबकि कई महिलाएं हाइपोथाइरोडिज्म से पीड़ित होती हैं, जिसमें मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है और वजन बढ़ने लगता है। तो अगर आपको वजन कम करने के लिए कम खाने की सलाह देता है तो उसे नजरअंदाज करें और हार्मोन चेकअप कराएं।
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