प्रार्थना का आसान तरीका

इंसान चाहे किसी भी धर्म का हो ईश्वर की प्रार्थना जरूर करता है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि सबके तरीके और आस्था अलग होती है। कोई मंदिर जाकर ईश्वर की भक्ति करता है, कोई मस्जिद जाकर, कोई गुरुद्वारा तो कोई चर्च जाक ईश्वर को याद करता है। यहां तक कि नास्तिक लोग भी भले ही ईश्वर को मूर्ति के रूप में ना मानें लेकिन अच्छे कर्म कर या छोटे-बड़ों का आदर कर ईश्वर को याद जरूर करते हैं। अन्य धर्मों के मुकाबले हिंदू धर्म में पाठ-पूजा और ईश्वर की भक्ति कुछ ज्यादा होती है। लेकिन एक बात तो आपने जरूर माननी पड़ेगी कि ईश्वर हर किसी की प्रार्थना इतनी आसानी से सुनता भी नहीं है। Image source- shutterstock
सच बोलना

ये तो आपने सुना ही होगा कि ईश्वर को सच बोलने वाले बहुत पसंद होते हैं। इसका मतलब ये होता है कि जब आप सच बोल रहे होते हो तो भगवान की इबादत कर रहे होते हो। अच्छे कर्म करने का मतलब सच बोलना ही है। भगवान कभी नारियल चढ़ाने या धूप-अगरबत्ती करने से प्रसन्न नहीं होता है। बल्कि भगवान आपके कर्मों को देखकर प्रसन्न भी होते हैं और आपकी विनती भी सुनते हैं। इसलिए हमेशा सच बोलें। Image source- shutterstock
खुद को स्वस्थ रखना

भगवान को खोजने के लिए अमरनाथ या बद्रीनाथ जाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि वहां भी वही भगवान है तो आपके अंदर है। ईश्वर हर इंसान में, हर कण-कण में वास करते हैं। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचारों का वास होता है। इसलिए खुद को स्वस्थ रखना और फिट रखना ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है। अगर आप ऐसा करते हैं तो भगवान आपकी विनती को सबसे पहले सुनेगा। Image source- shutterstock
अपने आप पर भरोसा रखना

अपने आप पर भरोसा करने का मतलब है निरंतर संघर्ष करना और कभी हार ना मानना। ये बात इंसान को कभी नहीं भूलनी चाहिए कि सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं। ऐसा कभी नहीं हो सकता कि आपके जीवन में हमेशा सुख ही रहेगा या दुख ही रहेगा। वक्त के साथ परिस्थितियां बदलती है। अगर आप नकारात्मक परिस्थितियों में भी अपने आप पर भरोसा कर आगे बढ़ते हैं तो भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं। दुख की घड़ी में कभी मूर्ति के आगे दीया जलाने या किस्मत का रोना रोने से कुछ नहीं होता। Image source- shutterstock
बच्चों और बड़ों को सम्मान देना

बच्चे और बड़े भगवान का रूप होते हैं। जितना चढ़ावा और पैसा आप मंदिरों में चढ़ाते हैं उतना अगर किसी गरीब बच्चे या बेसहारा बुजुर्ग को देंगे तो ईश्वर की सच्ची भक्ति होगी। मंदिरों में चढ़ावे से आपको पंडित की कुटिल मुस्कान और खोखले आर्शीवाद जरूर मिल जाएंगे। लेकिन ईश्वर का आर्शीवाद मिलना मुश्किल है। बच्चे और बुजुर्गों का सम्मान और उन्हें जरूरत की चीजें देने से आत्मिक सुख तो मिलता ही है साथ ही भगवान आपके सारे बिगड़े काम बनाते हैं। Image source- shutterstock