विजडम टूथ के बारे में कितना जानते हैं आप!
विजडम टूथ को आम भाषा में इसे अक्ल दाढ़ भी कहा जाता है। यह दांतों का तीसरा सेट होता है। यह कहिये कि ये जबड़े में सबसे पीछे आने वाली दाड़ होती है।

विजडम टूथ को आम भाषा में इसे अक्ल दाढ़ भी कहा जाता है। यह दांतों का तीसरा सेट होता है। यह कहिये कि ये जबड़े में सबसे पीछे आने वाली दाढ़ होती है। आमतौर पर यह किशोरावस्था के बाद ही आती है। मोटा तौर पर 16 साल की उम्र के बाद यह कभी भी आ सकती है।
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विजडम टूथ जबड़े में सबसे पीछे आता है। और अगर जबड़े का आकार पर्याप्त न हो तो इसे पूरी जगह नहीं मिल पाती है। ऐसे में यह फंसी हुई अवस्था में रहता है जिससे दर्द होता है। अकसर लोग इस दर्द के कारण इसे पूरा निकलने से पहले ही निकलवा देते हैं।
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अक्सर यह दाढ़ टेढ़ी निकती है। जिस कारण न सिर्फ काफ़ी दर्द होता है बल्कि खाने में भी तकलीफ़ होती है। जब यह दाढ़ निकलती है तो कुछ गंभीर मामलों में इसके चारों तरफ के मसूड़े में संक्रमण हो जाता है, मसूड़ा फूल जाता है और उसमें से मवाद आने लगती है जिसे पेरीकोरोनाइटिस कहा जाता है। ऐसा होने पर दंत रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
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अगर दाढ़ टेढ़ी है, इसमें लगातार दर्द हो रहा है या इसमें संक्रमण हो गया है तो इसे निकलवाना ही बेहतर होता है। वरना इसका दुष्प्रभाव जबड़े व आस-पास के दांतों में भी हो सकता है। इस कारण होने वाला दर्द तो एक बड़ी समस्या है ही।
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खाने में प्रयोग आने वाली दाढ़ें, अधिकांशतः जबड़े के छठे व सातवें नंबर की दाढ़ें ही होती हैं। अक्ल दाढ़ बहुत पीछे होने की वजह से इसका उपयोग कम ही होता है। लेकिन अब 30 साल तक की उम्र के व्यक्ति अक्ल दाढ़ को निकलवाकर डेंटल पल्स स्टेम सेल्स को संरक्षित भी करवा सकते हैं, जो कि कई जानलेवा बीमारियों के इलाज में मददगार साबित हो सकती है।
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बेहद मजबूत और अक्सर टेढ़ी-मेढ़ी स्थिति में निकलने के कारण इसे एक छोटी सी सर्जरी की मदद से निकाला जाता है। लेकिन कुछ लोगों को ये इतना दर्द नहीं देती और बिना किसी सर्जरी के भी अक्ल दाड़ निकल सकती है।
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इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आईडीए) के नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि खानपान की गड़बड़ी से कुछ बच्चों का जबड़ा छोटा हो जाता है। जबड़े के संकरे होने से अक्कल दाढ़ के लिए मुंह में जगह नहीं बचती है। और मुंह में बत्तीस की जगह अट्ठाइस दांत ही आ पाते हैं।
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डॉक्टरों के अनुसार, आमतौर पर निकाल दिया जाने वाला विसडम टूथ स्टेम सेल्स का खजाना होता है। इस दांत के भीतर के नर्म हिस्से में बड़ी संख्या में मेसेनकाइमल स्ट्रोमल सेल्स होती हैं। यह सेल्स बोनमैरो में पाई जाने वाली सेल्स की तुलना में छोटी होती हैं। क्लिनिडेंट बॉयोफार्मा इंस्टिट्यूट के डॉक्टर फ्रैंक चाउब्रॉन के अनुसार बोन मैरो की अपेक्षा विसडम टूथ के अंदर पाया जाने वाला फैट या पल्प आसानी से हासिल किया जा सकता है। क्योंकि वैसे भी ज्यादातर लोग अक्ल दाढ़ को निकलवा ही देते हैं। शोध के दौरान पाया गया कि इनकी मदद से टूटी हड्डियों, कॉर्निया और दिल की मांसपेशियों का रीजनरेशन किया जा सकता है।
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