इन आहारों को खायेंगे तो बार-बार जायेंगे बॉथरूम
कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से प्राकृतिक रूप से शरीर के भीतर से बॉथरूम जाने की इच्छा होती है। आइए ऐसे ही कुछ आहार के बारे में जानें जिससे आपको लूजमोशन, कब्ज या बार-बार यूरीन आने की समस्या होने लगती है।

अक्सर लोगों की खान-पान की दिनचर्या तय होती है, उनकी सुबह कैफीन से होती है और वह नाश्ते में मसालेदार सांभर लेना पसंद करते हैं। लेकिन कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से प्राकृतिक रूप से शरीर के भीतर से बॉथरूम जाने की आवाज आती है। फैक्ट साइट की रिपोर्ट के द्वारा यह बात समाने आई है कि विशिष्ट खाद्य पदार्थ आपके पेट को कुछ मायनों में प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करते हैं। जिससे आपको लूजमोशन, कब्ज या बार-बार यूरीन जाने की समस्या होने लगती है। आइए आपके जीवन में आने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टिनल रहस्यों के बारे में इस स्लाइड शो के माध्यम से जानते हैं।

कॉफी में उच्च मात्रा में कैफीन होता है, जो क्रमाकुंचन और पाचन क्रिया को बढ़ाता है। साथ ही कॉफी के ज्यादा सेवन से कोलेसिस्टोकिनिन (cholecystokinin) का स्तर बढ़ जाता है और कोलेसिस्टोकिनिन बॉउल मूवमेंट को नियंत्रित करने में मददगार होता है। कॉफी में मौजूद कैफीन पिटयूटरी निकलने वाले मूत्रवर्धक हार्मोन (एडीएच) को नियंत्रित करता है। एडीएच की कम मात्रा किडनी में कम पानी को दुबारा अवशोषित होने की अनुमति देता है जिसके परिणामस्वरूप ज्यादा यूरीन आता है।

सोर्बिटोल यह कृत्रिम स्वीटनर कुछ प्राकृतिक फलों और कई शुगर फ्री उत्पादों और जूस में पाया जाता है। प्रूनस में बहुत सारे फाइबर होते हैं, जो मल को बढा़ता है। सोर्बिटोल में बहुत अधिक मात्रा में प्राकृतिक रेचक होता है, इसका चयापचय बहुत धीरे-धीरे होने के कारण यह अक्सर सूजन और गैस का पैदा कर सकता है। इसके अलावा, यह आंत्र पथ के पानी को खींच कर डायरिया की समस्या का कारण बनता है। साथ ही फलों के रस में नॉन डाइजेस्टबल सोर्बिटोल मौजूद होता है जो रक्तप्रवाह से आंतों में पानी को खींचकर मूत्रवर्धक प्रभाव को बढ़ावा देता है। इनकी अम्लीय प्रकृति जलन को भी बढ़ावा देती है। इसके साथ ही कृत्रिम स्वीटनर मल्टीटोल (लयकासिन) पानी की बड़ी मात्रा को आंतों में स्थानांतरित कर दस्त का कारण बनता है।

एवोकाडो में मैग्नीशियम बहुत अधिक मात्रा में होता है जो आंतों की मांसपेशियों को आराम पहुंचाकर और पानी को आकर्षित कर मल को नरम करता है, जिससे आप ज्यादा मल त्यागने के लिए बार-बार बॉथरूम जाते हैं। इसके अलावा केले में भी मैग्नीशियम मौजूद होता है लेकिन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेप्टोलॉजी के यूरोपीय जर्नल के एक अध्ययन के अनुसार, केला को कब्ज के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि पके हुए केले शरीर से व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालते हैं लेकिन हरे केले में उच्च मात्रा में मौजूद स्टार्च सामग्री और फाइबर की कम मात्रा कब्ज पैदा करती है। इसके अलावा केले में मौजूद टैनिन नामक तत्व पेट की समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होता है।

हालांकि रेड मीट कब्ज के लिए सीधी तरह से जिम्मेदार नहीं है लेकिन लंबे समय तक रेड मीट का सेवन करने से कब्ज की समस्या होने लगती है। रेड मीट को पचने में काफी समय लगता है। इसके कारण आपको पेट भरा हुआ लगता है। अगर आप फिर भी रेड मीट खाते हैं तो रेड मीट के साथ अधिक मात्रा में फाइबर युक्त आहार का भी सेवन करें।
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चॉकलेट की नाम सुनते ही लगभग हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है जिसके चलते हम ये भी भूल जाते हैं कि इसका ज्यादा सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसादेह होता है। लेकिन हाल में हुए एक अध्ययन के अनुसार, पाचन प्रक्रिया को धीमा कर कब्ज के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक कारण चॉकलेट भी है।
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