क्यों लग जाती है धुम्रपान की लत

धूम्रपान से कभी किसी का भला नहीं हुआ। सिगरेट के धुंए के कारण हर साल लाखों लोग मौत को गले लगा रहे हैं। इसमें अधिकतर लोगों की मौत हृदयाघात, कैंसर या लकवा के कारण होती है। स्मोक करने के कारण सामान्य इंसान की औसत आयु 10 वर्ष कम हो जाती हैं। स्मोकिंग तंबाकू से ज्यादा भयावह होता है क्योंकि इसका धुंआ आसपास के लोगों को भी बीमार कर देता है। ऐसे में कई बार लोग अपनी और अपना परिवार को बीमारी से बचाने के लिए धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन ये उनके लिए काफी कठिन होता है। आखिर धुम्रपान छोड़ना इतना कठिन है क्यों?
ये एक नशा है

सिगरेट में मौजूद तंबाकू एक नशा होता है जिसके लोग एडिक्ट बन जाते हैं। इस तंबाकू में मौजूद निकोटीन स्मोक करने वाले के शरीर में एक नशा पैदा करता है जिससे दिमाग की तंत्रिका तंत्र स्ट्रेसफ्री महसूस करने लगती है। इस निकोटिन का नशा हेरोइन और कोकीन की तरह एडिक्ट होता है। दरअसल स्मोकिंग करने के दौरान निकोटन जब नस में खून के साथ मिलता है तो इंसान को एक आनंद आता है। इसी आनंद के कारण इंसान के लिए धुम्रपान छोड़ना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि जब उसे ये आनंद नहीं मिलता तो दिमाग की मांसपेसियां संकुचित होने लगती हैं जिससे वो तनाव में घिरने लगता है। इसी तनाव को दूर करने के लिए दिमाग धुम्रपान की जरूरत का सिग्नल देता है। ऐसे में इंसान के लिए धुम्रपान छोड़ना कठिन हो जाता है।
धूम्रपान छोड़ने के लक्षण (withdrawal symptoms)

धुम्रपान बंद करने के शुरुआत के दिन तो अच्छे होते हैं लेकिन कुछ दिनों के बाद ये इंसान के लिए दुखद स्थिति बन जाती है। काफी दिनों तक शरीर को निकोटिन नहीं मिलने से इंसान में शारीरिक और मानसिक विद्ड्रॉल लक्षण (विद्ड्रॉल सिम्पटम) दिखने शुरू हो जाते हैं। ये लक्षण हर इंसान में अलग-अलग तरह होते हैं। जैसे कि नींद ना आना, थकान, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, मूड स्वींग, अवसाद, काम में कम लगना, चीजें भूलना, भूख में कमी, आदि शामिल है। किसी परिचित इंसान में ऐसे लक्षण दिखने पर किसी कॉउन्सलर और डॉक्टर का सलाह लें।
कब्ज की समस्या

आपने कई लोगों को नोटिस किया होगा कि वे सुबह फ्रेश होने से पहले सिगरेट और चाय जरूर पीते हैं। ऐसे में स्मोकिंग छोड़ने के दौरान कई लोगों को कब्ज की समस्या भी होने लगती है। सामान्य इंसान में सुबह के वक्त पानी पीने से ही आंतों में क्रमाकुंचन(peristalsis-ये एजीआईटी शल्स की एक वेब मोशन प्रक्रिया है जिससे आंतों में प्रेशर बनता है और इंसान का पेट साफ हो पाता है।) बनने लगता है। जबकि स्मोक करने वालों में निकोटिन के बाद ही क्रमाकुंचन(peristalsis) बनता है। ऐसे में जब इंसान स्मोक नहीं करता तो उसके शरीर में क्रमाकुंचन नहीं होता। जिससे उसे कब्ज की समस्या होती है। इसलिए अधिकतर लोगों को धुम्रपान छोड़ने पर कब्ज की समस्या होती है।
याराना की निशानी

नब्बे फीसदी लोगों को धुम्रपान की आदत दोस्तों से और दोस्तों के बीच से लगती है। दोस्तों से मिलकर सुट्टा लगाना वैसा ही सामान्य यारना कल्चर है जैसे कि इंडिया में मेहमान को चाय पिलाना। दोपहर के खाने के बाद ऑफिस से बाहर निकलर दोस्तों के साथ सुट्टा पीना सामान्य बात है। कॉलेज में रोड किनारे दोस्तों के साथ कश लगाना याराना की निशानी है। ऐसे में मुश्किल से ही कोई इस याराना की निशानी से बच पाता है। और जब इंसान इसे छोड़ने की कोशिश करता है तो उसे लगता है कि उसके दोस्त उससे छूट रहे हैं। सभी धुम्रपान करते हुए दोस्तों को अकेला खड़े होकर देखना उस इंसान के लिए धुम्रपान छोड़ना और भी अधिक मुश्किल बना देता है।