गर्भावस्था में प्लास्टिक

माइक्रोवेव करने पर प्लास्टिक में मौजूद नुकसानदेह केमिकल डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है। ये डाईऑक्सिन पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है। डाइऑक्सिन हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं पर बुरा असर डालता है। इसका सबसे बुरा प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान प्लास्टिक के बोतल में पानी पीने या खाना खाने से मना किया जाता है।Image Source-Getty
गर्भपात होने का खतरा

वे महिलाएं जिन्‍हें प्रेगनेंट होने में परेशानी उठानी पड़ी है या जिनका पहले भी मिसकैरेज हो चुका है, उन्‍हें प्‍लास्टिक की बोतल से ज्‍यादा पानी नहीं पीना चाहिए। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि खाद्य पदार्थों के पेकेजिंग में पाए जाने वाले रसायन से यह समस्या उठ खड़ी हुई है। यह पुरुषों में स्पर्म काउंट भी कम करता है।Image Source-Getty
बिस्फेनोल-ए बीपीए

प्लास्टिक खतरनाक रसायन यूरीनरी बिस्फेनोल-ए बीपीए शरीर की धमनियों को संकुचित कर देती हैं। इस कारण दिल का दौरा पड़ना, ब्लाकेज जैसी अनेक समस्या उठ खड़ी होती हैं। ऐसे में सिर्फ वही प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग करें जिस पर “बिस्फेनोल ए (BPA) फ्री” लिखा होता है। ये कई देशों में पहले से बैन भी है। Image Source-Getty
कब्ज और पेट में गैस

बाइसफेनोल ए के कारण पेट पर भी बुरा असर पड़ता है। बीपीए रसायन जब पेट में पहुंचता है, तो पाचन क्रिया प्रभावित होती है। इससे खाना अच्‍छी तरह नहीं पचता और कब्‍ज और पेट में गैस की समस्‍या हो जाती है। Image Source-Getty
बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास

प्लास्टिक के बर्तनों में जो रसायन पाया जाता है उसे गर्भ में पल रहें बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर प्रभाव ड़ता है। इससे गर्भवती महिला में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। अगर बोतल के पानी का नियमित सेवन गर्भावस्था में किया गया तो पैदा होने वाले शिशु को आगे चल कर प्रोस्ट्रेट कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर तक हो सकता है।Image Source-Getty