ज्यादा बोलने की आदत

इंसान एक सामाजिक प्राणी है। उसे अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों को भाषा में पिरोकर प्रस्तुत करना पड़ता है। आज के समय में जाब बातचीत की कला का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है, सही तरीके से बोलना बेहद जरूरी है। लेकिन कई लोगों को बहुत ज्यादा बोलने की आदत होती है, जो हानिकारक है। कहते हैं कि जो लोग थोड़े से चुने हुए शब्दों में कहना नहीं जानते, वास्तव में उन्हीं को अधिक बोलने की लत होती है। तो चलिये जानें क्या है ये आदत और इससे कैसे निजात पाएं। Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
यह एक बड़ी समस्या है

जमाना बातूनी होता जा रहा है। छोटी सी बात के लिए लंबी-लंबी चर्चाएं और बहसबाजी। टेलीविजन ने इस बुरी आदत को बढ़ावा ही दिया है। लेकिन ध्यान रहे आप जितना ज्यादा बोलेंगे, उतना गलत बोलने की आशंका रहती है। आपको जो नहीं बोलना था, वह भी मुंह से निकल जाता है। फिर बाद में उस बात से हुए काबाड़े को छुपाने के लिए लीपापोती करनी पड़ती है, कभी - कभी तो माफी तक मांगनी पड़ती है।Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
ज्यादा बोलने के नुकसान

कुछ लोग की आदत होती है बहुत ज्यादा बात करने की। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सामने वाला व्यक्ति उनकी बातों से बोर हो रहा है या परेशान हो रहा है। वो बस अपनी बातों में लगे रहते हैं। यह आदत सामजिक रिश्तों को काफी हद तक प्रभावित करती है। अगर आप भी समस्या से परेशान हैं तो आइए जानें इस आदत से बचने के टिप्स के बारे में। Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
कैसे निपटें

बोलने से पहले सामने वाले का रिएक्शन देखें। जिन लोगों को बहुत ज्यादा बात करने की आदत होती है उनके पास हमेशा कोई न कोई कहानी सुनाने के लिए होती है, और हर बार जरूरी नहीं की वो सच ही हो। लेकिन अगर सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है या बोर हो रहा है तो समझ जाएं कि आप ज्यादा बोल रहे हैं और चुप हो जाने में ही आपकी भलाई है।Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
पहले अच्छे श्रोता बनें

अगर फिजूर बोलने की आदत से छुटकारा पाना है तो सबसे पहले सुनने की आदत डालें क्योंकि एक अच्छे वक्ता की पहचान एक अच्छे श्रोता के रुप में भी होती है। वह न केवल शब्दों को ध्यान से सुनता है, बल्कि उनके अंदर छुपे हुए भावों को भी पढ़ लेता है। ऐसा कर वह बोलने की बेहतर कला भी सीखता है। Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
दूसरों को भी बोलने का मौका दें

जिन लोगों को ज्यादा बोलने की आदत होती है या कहें बिमारी होती है वे लोगों को बोलने का मौका ही नहीं देते और नॉन स्टोप बोले जाते हैं। मजबूरन लोग उन से तंग आकर लोग उनसे दुर भागने लगते है। लेकिन ध्यान रखें कि कुशल वक्ता अपनी बात कहने के बाद या पहले दूसरों को भी बोलने का पूरा मौका देता है और उनहें ध्यान से सुनता है। इसलिए बीच में अपनी बात कहने के लिए दुसरों की बात ना काटें। Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
बहस करने से बचें

बात चीत में तर्क वितर्क का होना कोई बुरी बात नहीं, इससे किसी विषय का सार्थक हल निकलता है। तर्क वितर्क से आपको नई जानकारियां भी मिलती है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब तर्कपूर्ण बात-चीत हो रही हो। यदी आप अपनी ही बोले जाएंगे तो यह बहसबाजी का रुप ले लेती है। इसलिये तर्क - वितर्क को बहसबाजी न बनाएं। पहले सुनें, फिर सोचें और फिर अर्थपूर्ण बोलें। Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
शब्दों पर ध्यान दें

अगर आप अपने शब्दों पर ध्यान देने लगें, तो आपको महसूस होगा कि आपके वार्तालाप में कितने सारे शब्द निरर्थक हैं। इसलिये हमेशा बोलने से पहले सोचें, क्या यह जरूरी है, या इससे कम शब्दों में काम चल जाएगा या नहीं? हो सकता है, इशारों से काम चल जाए। इससे धीरे-धीरे आपके आपके शब्दों में अधिक सच्चई होगी, क्योंकि वे आपकी अंतरात्मा से आएंगे और कई बार कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन फिर भी लोग आपके साथ में प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। कम और अर्थपूर्ण बोलने से दिमाग की तनी हुई नसें शिथिल होंगी और दिमाग को भी आराम मिलेगा।Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images
व्रत भी रख सकते हैं

ज्यादा बोलने की आदत को छोड़ने के लिए आपको खुद में संयम बढ़ाना होता है। व्रत से संयम साधा जा सकता है। इसके पीछे कोई धार्मिक या आध्यात्मिक वजह नहीं है। दरअसल आहार-विहार, निंद्रा-जाग्रति और मौन तथा जरूरत से ज्यादा बोलने की स्थिति में संयम से ही बदलाव होता है। Image courtesy: © Thinkstock photos/ Getty Images