लार से जाने रोग

लार में पाए जाने वाले आरएनए को सैल्युलर मैसेंजर कहा जाता है, जो प्रोटीन बनाते हैं और निर्देशों को कोशिका या सेल के अन्य भागों तक ले जाते हैं। अध्ययन से पता चला है कि यह जटिल रासायनिक प्रतिक्रियायों को प्रदर्शित करता है। इससे मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) विकार और स्व-प्रतिरक्षित (ऑटो-इम्यून) बीमारियों का जल्दी पता लगा सकता है। Image Source-getty
डायबिटीज व दिल के रोग

किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के मुंह में प्रतिदिन 1000 से 1500 मिलीलीटर लार बनती है जो मुंह में मौजूद कैविटी, हानिकारक बैक्टीरिया और बारीक भोजन के कणों को साफ करने में मदद करती है।जिस तरह किसी शारारिक समस्या का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है, उसी तरह लार के टेस्ट से भी सेहत का हाल पता चल सकता है। खासतौर पर एचआईवी के इलाज में लार के टेस्ट का बहुत महत्व है। अब ‍वैज्ञानिक डायबिटीज, दिल के रोग और कैंसर जैसे रोगों का लार से परीक्षण करने की कोशिश कर रहे हैं। Image Source-getty
मुंह का कैंसर

कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के लांस एंजेलिस स्कूल ऑफ डेंटीस्ट्री (एलएएसडी) की शोध के अनुसार लार मुंह के कैंसर का पता लगाने में उपयोगी हो सकती है। मुंह के कैंसर से पीड़ित मरीजों की लार में प्रोटीन के स्तर की जांच की जाती है। लार को इकट्ठा करना और उसका परीक्षण काफी आसान प्रक्रिया है और एलएएसडी द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य में मुंह के कैंसर के मामलों का पता इसी प्रक्रिया से लगाया जाना संभव हो सकेगा। Image Source-getty
गर्भाधारण का नतीजा

इटली स्थित ट्यूरिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जिससे गर्भाधारण के 98 फीसदी सटीक नतीजे मिल सकते हैं। मेबी बेबी टेस्टर नाम का यह उपकरण महिलाओं के शरीर में ऑइस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर आंकेगा, जिसमें तब इजाफा होने लगता है, जब महिला के गर्भधारण करने की गुंजाइश ज्यादा होती है। Image Source-getty
मृत्यु का समय

बरमिंघम यूनिवर्सिटी की शोध के मुताबिक लार से पता चल जाएगा कि कोई व्‍यक्ति कितने समय तक जिंदा रहेगा। शोध के अनुसार जो व्‍यक्ति मृत्‍यु के जितना करीब होता है, उसके शरीर में एक खास एंटीबॉडी की संख्‍या काफी कम हो जाती है।लार की जांच करके मनुष्‍य के कुल स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।Image Source-getty