अगर पति हिंसक है तो खुद को बचायें या शादी!
तुनकमिजाज व गुस्सैल साथी के साथ धैर्य बनाये रखने की बहुत जरूरत होती है। लेकिन इतना धैर्य भी मत रखियें कि वो आपके आत्मसम्मान को बार-बार ठेस पहुचाता रहें।

शादी के बाद पति पत्नी को बीच होने वाले झगड़ों में भी कई बार प्यार का अहसास होता है। लेकिन अगर आपके झगडों में गुस्सा और मारपीट जैसी घटनाएं हो तो, अपनी शादी को लेकर दोबारा सोच लें। यहां पर शादी जैसे रिश्तों को छोटी सी बात पर खत्म कर देने की बात नहीं की जा रही। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपका पति बेवजह गुस्सा करता हो, या उसे आपका अपमान करने की आदत हो तो अपनी शादी को लेकर दोबारा सोच लें।
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पुरूषों का अंहकार कई बार उन्हें बिना किसी वजह के ही अपनी पत्नी पर गुस्सा करने व उनका अपमान करने के लिए उकसाता है। अगर आपके पति के साथ भी यही समस्या है तो आपको इस बारे में सोचना चाहिए। कई शादी को बोझ की तरह ढ़ो लेने से ना तो आप कभी खुश रहेंगी ना ही आप अपनी अहमियत को समझ सकेगी। आपकी कमजोरी उन्हे मारपीट करने के लिए भी बढ़ावा दे सकती है।अपने आत्मसम्मान का अहसास होना बहुत जरूरी होता है।
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बार पत्नी को समझ ही नहीं आता कि उनके पति को गुस्सा क्यों आता है। अक्सर अंतरग क्षणों में बेहद प्यार जताने वाले पति रोजमर्रा की जिंदगी में बेहद क्रूर हो जाते हैं। ये किसी भी पत्नी के लिए सबसे मुश्किल हालात होते हैं क्योंकि वो समझ ही नहीं पाती कि अब वो कैसे बिहेव करें और पति को कैसे डील करें क्योंकि जो इतना प्यार करता है वो इतना अलग व्यवहार कैसे कर सकता है। बल्कि यही समझ नहीं आता कि प्यार करता भी है या नहीं करता।
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एक तुनकमिजाज साथी के साथ संयम बनाये रखना आवश्यक है लेकिन आपको एक रेखा भी खींच कर रखनी पड़ेगी। यदि ऐसी घटनाएं बार बार होने लगें तो आपको कहना पड़ेगा कि देखो तुम्हारा यह बर्ताव मुझे खराब लगता है। क्योंकि जब आप अपने साथी को समझकर बर्ताव करना शुरू कर देते हैं तो वह इसे एक खेल बना सकता है कि पहले बदतमीजी करो फिर सारी बोल दो। इस लिए जरूरी है कि आपका साथी यह जाने कि उसका यह बर्ताव आपको आघात पहुंचाता है। और उस समय आपको भी यह समझना पड़ेगा कि इस समय उनका दिमाग और जुबान पर नियंत्रण नहीं है।
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अक्सर महिलायें समाजिक और पारिवारिक दवाब के चलते या इमोशनल बांडिंग के चलते ऐसे इंसान के साथ समझौता करने को राजी हो जाती हैं। ऐसा वो कई बार करती हैं तब तक, जब तक या तो वो पूरी तरह बिखर जाती हैं या आगे बढ़ने के रास्ते बिलकुल बंद हो जाते हैं। ऐसे मामलों में विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी फैसला करते हुए एक बार अपने बारे में जरूर सोचें। जब परिवार या समाज आपके दर्द में आपका साथ नहीं दे पा रहा, आपको बचा नहीं पा रहा तो ऐसे दवाबों में अपनी सुरक्षा को नजर अंदाज करने में कहां की समझदारी है। याद रखिए आप दृढ़ता नहीं दिखायेंगी तो यातना का ये सिलसिला बंद नहीं होगा।
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