माता-पिता को पता होनी चाहिए बच्चे की नींद से जुड़ी बातें
ब्रिटिश अध्ययन के अनुसार बच्चों में नींद से जुड़ी समस्या लंबी अवधि में गणित और भाषा कौशल में कमी पैदा कर सकता है। अगर आपका बच्चा भी इस समस्या से जुझ रहा हैं तो आप यहां पर दिये हुये कुछ उपायों को अपना सकते हैं।

माता-पिता होने के नाते आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि लगभग 25 प्रतिशत बच्चे बचपन से ही नींद से जुड़ी परेशानियों का अनुभव करते हैं। ऐसे बच्चों को रात को ठीक से नींद नहीं आती है। कई बच्चे तो रात को पूरी रात जागते रहते हैं। अगर इस समस्या का समाधान समय पर ना किया जाये तो बच्चों के व्यवहार में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते है। जैसे मूड में गड़बड़ी, चिड़चिड़ापन, ध्यान और सक्रियता में कमी आदि। हाल में ही हुये ब्रिटिश अध्ययन के अनुसार बच्चों में नींद से जुड़ी समस्या लंबी अवधि में गणित और भाषा कौशल में कमी पैदा कर सकता है। अगर आपका बच्चा भी इस समस्या से जुझ रहा हैं तो आप यहां पर दिये हुये कुछ उपायों को अपना सकते हैं। image courtesy : getty images

माता-पिता को यह सलाह दी जाती है कि एक बार बिस्तर पर जाने के बाद बच्चे की प्रतिक्रिया को अनदेखा करना चाहिए। यह बहुत ही प्रभावी हैं और ऐसा करने से कुछ नुकसान भी नहीं होता है। हालांकि, कई माता पिता को यह मुश्किल लगता है। image courtesy : getty images

हालांकि यह सलाह दी जाती है कि एक बार बच्चे के बिस्तर पर जाने के बाद उसकी किसी बात पर प्रतिक्रिया न करें लेकिन रात में कुछ अंतराल के बीच जाकर अपने बच्चे की चेकिंग जरूर करनी चाहिए। कुछ बच्चे सोने के थोड़ी देर बाद उठकर अपनी मम्मी को तलाशने लगते हैं। इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर बाद कमरे में देख लें कि बच्चा सोते-सोते जाग तो नहीं गया। image courtesy : getty images

कुछ बच्चे चाहते हैं कि माता-पिता भी उनके साथ ही सोने जाएं। लेकिन यह अच्छी आदत नहीं है क्योंकि उनके जरा से दूर होने पर वह सो नहीं पाते हैं। इसलिए बच्चे को अपनी बाहों या सोफे पर नहीं बल्कि बिस्तर पर सोने की आदत डाले। ऐसा करने से उसमें सही तरीके से सोने की आदत आएगी और आपकी माता-पिता की उपस्थिति में सोने की बुरी आदत से भी बच जायेगा। image courtesy : getty images

इसका मतलब है कि बच्चे के लिए सोने की सकारात्मक दिनचर्या, उसके समय को सुखद बनाता है। कुछ चीजें जैसे नहाना, दांत साफ करना, पजामा पहनना और सोते समय कहानी सुनना किसी भी बच्चे के लिए अद्भुत हो सकता हैं। वैसे ही सोने की पॉजिटीव दिनचर्या बच्चों को अच्छे से सोने में मदद करती है। image courtesy : getty images

बच्चों और किशोरों के लिए निश्चित शेड्यूल होना चाहिए। माता पिता को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपके बच्चे को उस उम्र में कितने घंटे की नींद की जरूरत हैं और इसके मद्देनजर उठने का समय भी निश्चित करना चाहिए। साथ ही अगर आपका बच्चा स्कूल नहीं जा रहा है तो भी उसको इस शेड्यूल को ध्यान में रखना चाहिए। image courtesy : getty images

बच्चे की नींद न आने की परेशानी से बचाने के लिए जरूरी है कि उसे दोपहर के बाद किसी भी कैफीन युक्त उत्पाद को देने से बचना चाहिए। सोडा, कॉफी, चॉकलेट और कोल्ड टी इसके चार प्रमुख उदाहरण हैं। image courtesy : getty images

कई अध्ययनों से यह बात साबित हुई है कि बच्चों को शांत वातावरण में बेहतर नींद आती है। रात को बच्चों को टीवी और वीडियो गेम से दूर रखना चाहिए। अध्ययन के अनुसार, बच्चों में सोने की समस्याओं के बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण बेडरूम में टीवी की मौजूदगी है। image courtesy : getty images

बच्चों को गीलेपन में नींद नहीं आती हैं इसलिए सुनिश्चित करें कि नैपी की संख्या और अवधि आपके बच्चे की उम्र के उपयुक्त ही होनी चाहिए। पांच साल की उम्र के बाद, ज्यादातर बच्चों को नैपी की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, प्रत्येक बच्चे की उम्र अलग होती है इसलिए इस बात के लिए कोई कठोर नियम नहीं है। image courtesy : getty images

अपने बच्चे को सोने से पहले खेल-कूद न करने दें क्योंकि इससे तनाव हार्मोंन का उत्पादन बढ़ने के साथ ही शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। यह दोनों नींद की क्षमता को बाधित कर सकते हैं। image courtesy : getty images

अगर आपको बच्चा सोने की कोशिश कर रहा है तो उसे स्नैक्स न दें, विशेष रूप से चीनी से भरपूर स्नैक्स से तो बिल्कुल भी नहीं देने चाहिए क्योंकि यह स्नैक्स अचानक से एनर्जी पैदा कर देते हैं। जिससे आपके बच्चे की नींद खुल जाती हैं। image courtesy : getty images
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