दिमाग पर कोलेस्ट्रॉल के पड़ते हैं ये प्रभाव
जहां एक ओर कोलेस्ट्रॉल का हानिकारक प्रभाव हो सकता है, यह स्वस्थ मस्तिष्क समारोह के लिए आवश्यक भी होता है। तो चलिये जानें दिमाग पर कोलेस्ट्रॉल का क्या प्रभाव पड़ता है।

आहार में हानिकारक वसा का होना जोखिम से भरा होता है। इसकी अधिक मात्रा बैड कोलेस्ट्राल को बढ़ा देती है, जिसके कारण मस्तिष्क में बीटा एमिलॉइड प्लेक्स का निर्माण होने लगता है। ये दिमाग की कोशिकाओं को कनुकसान पहुंचाते हैं और महीन धमनियों में रुकावट पैदा करते हैं। इसका सीधा दुष्प्रभाव दिमाग की काम करने की क्षमता और स्मरणशक्ति पर पड़ता है।
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जहां एक ओर कोलेस्ट्रॉल का हानिकारक प्रभाव हो सकता है, यह स्वस्थ मस्तिष्क समारोह के लिए आवश्यक भी होता है। हैरत की बात है, कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग 25 प्रतिशत दिमाग में ही होता है। मस्तिष्क इसे न्यूरोट्रांसमीटर के संश्लेषण के लिए, और तंत्रिका तंत्र व तंत्रिका कोशिकाओं के बीच विद्युत संकेतों को प्रसारित करने के लिए उपयोग करता है। क्योंकि मस्तिष्क दिमाग से कोलेस्ट्रॉल को नहीं ले सकता, इसलिये इसे अपने जरूरत के कोलेस्ट्रॉल की राशि को खुद बनाना पड़ता है।
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मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला स्ट्रोक रक्त वाहिकाओं में रुकावट या रक्त वाहिका फट जाने की वजह से हो सकता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के इस्कीमिक स्ट्रोक (ischemic stroke) के जोखिम को बढ़ा सकता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर द्वारा साल 2009 में पेश की गई एक स्टडी के अनुसार, उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर वाले पुरुषों में इस्कीमिक स्ट्रोक की घटनाएं अधिक थीं। उच्च एलडीएल (High LDL) या खराब कोलेस्ट्रॉल जोखिम को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है। एलडीएल रक्त वाहिकाओं के संकुचन (उन्हें छोटा करने का) कारण बनता है, जोकि धमनी के दबाव को बढ़ा सकता है और और धमनी के फटने का कारण बन सकता है।
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स्टैटिन दवाएं HMG-CoA रिडक्टेस द्वारा रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करती हैं। ये दवाएं अकसर उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने तथा एलडीएल को कम करने के लिए दी जाती हैं। ये दवा जिगर व शरीर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन के केन्द्र को लक्षित करती हैं। इन दवाओं के उपयोग के जोखिम होते हैं और लंबे समय तक इसका इस्तेमाल मांसपेशियों और जिगर की क्षति का कारण बन सकता है। जहां एक ओर ये दवा प्रभावी ढंग से जिगर में कोलेस्ट्रॉल उत्पादन को नियंत्रित कर सकती है, इससे दिमाग में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि सभी स्टैटिन दवाएं ये साइड इफैक्ट नहीं करती हैं। केवल वसा में घुलनशील दवाएं ही मस्तिष्क में प्रवेश कर सकती हैं। अधिकांश शोध जीवन शैली में परिवर्तन कर कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन और दवा पर अपनी निर्भरता को कम करने का समर्थन करती हैं।
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