अर्थराइटिस के उपचार के लिए असरदार हर्ब्स
अर्थराइटिस जोड़ों के दर्द की एक ऐसी समस्या है जो मरीज को काफी परेशान करती है। लोग इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए जाने कितने डॉक्टरों के चक्कर लगाते हैं। लेकिन शायद आपको नहीं मालूम, कुछ ऐसे हर्ब्स भी हैं जिनके इस्तेमाल से आप घर पर ही इस दर्द को कम कर

अर्थराइटिस के लिए हर्ब्स
जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह अर्थराइटिस का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। मरीज के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस बीमारी को अर्थराइटिस कहते हैं। यह कई तरह का होती है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि।
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सूखा अदरक या सौंठ
सौंठ एक बहुत उपयोगी घरेलू औषधि है। दरअसल सौंठ अदरक का ही एक रूप है, अदरक को सुखाकर सौंठ बनाई जाती है। सौंठ का सेवन करने से गठिया के रोग में आराम मिलता है, इसे आप किसी भी रूप में पकाकर या किसी चीज में मिलाकर खा सकते हैं। ये थोड़ी तीखी होती है लेकिन अर्थराइटिस के मरीजों को इसके नियमित सेवन से काफी लाभ मिलता है।
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तुलसी के पत्ते
वैसे तो तुलसी के पत्तों के फायदों की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन यहां हम अर्थराइटिस के लिए इसके फायदों की बात कर रहे हैं। तुलसी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो अर्थराइटिस में होने वाले दर्द को दूर करते हैं। इसके लिए तुलसी के पत्तों को उबालें। भाप उठने दें। प्रभावी अंग पर यह भाप पड़ने दें। बाद में इसका पानी जब सहन करने योग्य गर्म रह जाए तो इससे प्रभावी अंग की सिकाई करें। धोयें। आराम मिलेगा।
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लहसुन
गठिया के रोग में लहसुन बेहद लाभकारी होता है। इसके सेवन से गठिया के रोग में आराम मिलता है। वैसे अगर इसे खाना पसंद न हो तो इसमें सेंधा नमक, जीरा, हींग, पीपल, काली मिर्च और सौंठ की सभी की 2 - 2 ग्राम मात्रा लेकर अच्छे से पीस लें। इस पेस्ट को अरंडी के तेल में भून लें और बॉटल में भ लें। दर्द होने पर लगा लें। आराम मिलेगा। लहसुन की पांच कलियां मामूली कूटकर दूध में उबालें। इसकी दो खुराक प्रतिदिन लेने से गठिया रोग का प्रभाव नहीं रहता।
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अरंडी का तेल
अर्थराइटिस में जोड़ों में होने वाला दर्द बहुत अधिक होता है। जो अक्सर रात में होता है। ऐसे में अलग अलग तेलों की मालिश से फायदा होता है। ऐसा ही एक तेल अरंडी का तेल यानी कैस्टर ऑयल है। ये आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है। भंयकर दर्द होने पर अरंडी के तेल से मालिश कर लें, इससे दर्द में राहत मिलने के साथ-साथ सूजन में भी कमी आती है।
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एलोविरा
गांव की पथरीली जमीन में उगने वाला या फिर घर की छत पर लटाकाया जाने वाला एलोवेरा आज आज कई औषधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है। अर्थराइटिस में भी इसका इस्तेमाल राहत देता है। एलोविरा के पत्ते को काटकर उसका जेल दर्द होने वाली जगह पर लगाएं। इससे काफी राहत मिलेगी।
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बथुआ
बथुआ हरा शाक है जो नाइट्रोजन युक्त मिट्टी में फलता-फूलता है। सदियों से इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने में होता रहा है। बथुए के ताजा पत्तों का रस हर दिन 15 ग्राम पिएं। इसमें स्वाद के लिए कुछ भी न मिलाएं। खाली पेट पीने से ज्यादा लाभ होता है। तीन महीने पीने से दर्द से हमेशा के लिए निजात मिल जाती है।
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आलू का रस
आलू के आपको बहुत से फायदे और नुकसान होते हैं। उनमें से एक अर्थराइटिस से जुड़ा है। अर्थराइटिस का दर्द होने पर हर दिन खाना खाने से पहले से दो आलूओं का रस निकाल लें और पिएं। हर दिन कम से कम शरीर में 100 मिली. रस पीने से आराम मिलेगा।
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