वजन कम करने के लिए डाइटिंग नहीं, बल्कि इन हॉर्मोंस को करें कंट्रोल

क्या आपको पता है कि वजन कम करने के लिये केवल एक्सरसाइज और डायटिंग ही अहम नहीं होते हैं, घ्रेलिन, लेप्टिन, एडिपोनेक्टिन तथा इन्सुलिन व ऐसे ही कुछ अन्य हार्मोन भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं।

Rashmi Upadhyay
Written by:Rashmi UpadhyayPublished at: Mar 12, 2018

घ्रेलिन

घ्रेलिन
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गर्लिंन आपकी भूख को कम करता है। यह हार्मोंन पेट में बनता है, और दूसरे अन्‍य वजन कम करने वाले हार्मोन की तरह यह भी दिमाग को भूख के बारे में संकेत भी देता है। वजन कम करने के लिए अगर आप अपनी नियमित कैलोरी (1800 से 2200) में कटौती करते हैं, तो इससे घ्रेलिन हार्मोन का स्तर बढ़ता है। इंटेंस एक्सरसाइज घ्रेलिन के स्तर को कम करती है, और इस हार्मोन को वजन कम करने में सहायक भी बना देती है।

लेप्टिन

लेप्टिन
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लेप्टिन, एडिपोकाइन (adipokine) नामक हार्मोन का एक प्रकार होता है, जो कि वसा कोशिकाओं द्वारा छोड़ा जाता है। लेप्टिन कम खाने और अधिक कैलोरी जलाने के लिए दिमाग को सूचना प्रदान करता है। लेप्टिन संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए भरपूर नींद लें और एंटीऑक्सीडेंट युक्त जामुन और हरी तथा पत्‍तेदार सब्जियों और फलों का सेवन करें।

एडिपोनेक्टिन

एडिपोनेक्टिन
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एडिपोनेक्टिन भी एडिपोकाइन (adipokine) हार्मोन का ही एक प्रकार होता है। लेकिन लेप्टिन के विपरीत, शरीर में फैट सेल्‍स ज्यादा एडिपोनेक्टिन का उत्‍पादन करती हैं। एडिपोनेक्टिन ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करने के लिए मांसपेशियों की क्षमता को बढ़ाता है, यह मेटाबॉलिज्‍म को बढ़ाता है, शरीर से वसा कम करने में मदद करता है और भूख को भी शांत करता है। इस हार्मोन के स्‍तर को बढ़ाने के लिए अधिक सक्रिय रहें और अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की बजाय मोनोसैचुरेटेड फैट को बढ़ायें।

इन्सुलिन

इन्सुलिन
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इंसुलिन आपके शरीर में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तथा मांसपेशियों के निर्माण तथा रक्त शर्करा के स्तर को इष्टतम बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है। चर्बी घटाने के लिए इंसुलिन का अनुकूलन बनाने के लिए कार्बोहाइड्रेट सब्जियों और कुछ फल से ही लें। साथ ही व्यायाम के बाद अनाज और स्टार्च आदि के सेवन की मात्रा भी कम कर दें।

ग्लूकागन (Glucagon)

ग्लूकागन (Glucagon)
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ग्लूकागन एक ऐसा हार्मोन है जो इंसुलिन के विपरीत कार्य करता है। जहां एक तरफ इंसुलिन कार्बोहाइड्रेट भंडारण करता है और वसा इकट्ठा करता है, वहीं ग्लूकागन संग्रहीत कार्बोहाइड्रेट और वसा को निकालने का काम करता है, और इनका प्रयोग ऊर्जा के रूप में भी करने में मदद करता है। प्रोटीन युक्त तथा कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन खाने से ग्लूकागन का उत्पादन बढ़ता है।Images courtesy: © Getty Images

कोलेसिस्टोकिनिन

कोलेसिस्टोकिनिन
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जब भी आप प्रोटीन या वसा का सेवन करते हैं, तो यह हार्मोन आंतों की कोशिकाओं से निकलता है। लेकिन यह केवल पेट में नहीं रहता है। बल्कि यह संवेदनशीलता को तंत्रिका तंत्र और रक्‍त संचार के साथ संयोजित कर पाचन क्रिया को धीमा कर देता है। जिसके कारण आपको ऐसा लगता है कि आपका पेट भरा हुआ है और आप अधिक खाने से बचते हैं। इससे आपके शरीर में अतिरिक्‍त फैट जमा नहीं होता और वजन भी नहीं बढ़ता है।

एपिनेफ्रीन (epinephrine)

एपिनेफ्रीन (epinephrine)
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एपिनेफ्रीन भूख को कम करने में सहायता करता है। नियमित व्यायाम आपके शरीर में एपिनेफ्रीन का श्राव बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है। विशेष रूप से इंटरवेल ट्रेनिंग एपिनेफ्रीन के स्तर में काफी इज़ाफा करती है। Images courtesy: © Getty Images

ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड- 1

ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड- 1
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कुछ समय पूर्व कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आंत के ऐसे हार्मोन की पहचान की है जो भूख को दबा सकता है और मोटापे से परेशान लोगों को वजन कम करने और रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। इस हार्मोन का नाम ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड -1 है, जो पेट से उस समय स्रावित होता है जब हम कुछ खाते हैं। Images courtesy: © Getty Images

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