लाइफ में जो चाहें वो कैसे पाएं
हर किसी से जिंदगी से बहुत कुछ चाहिए। लेकिन क्या आप उसे पाने के लिए उचित प्रयास कर रहे हैं? जानिए जीवन में जो चाहें वो कैसे पाएं

जीवन से कितनी उम्मीदें होती हैं हमें। हर कोई दौड़ रहा है अपने सपनों के पीछे। उछलकर छू लेना चाहता है आकाश। शिखर पर पहुंचने की ख्वाहिश हर किसी के मन में पलती है। लेकिन, सपने यूं ही पूरे नहीं होते। सुलता का तरू प्रयास और एकाग्रता की खाद के बिना फल नहीं देता।

जीवन में लक्ष्य होना बहुत जरूरी है। लक्ष्य की पहचान के बिना जीवन निरर्थक है। अपने लक्ष्य की पहचान कीजिये और फिर उसे पाने की कार्ययोजना बनायें। और उसके बाद उसे पाने के लिए पूरी शिद्दत के साथ जुट जाएं।

शक्ति अगर सीमित है, तो हर चीज अशक्त भी तो है।
भुजायें अगर छोटी हैं, तो सागर भी सिमटा हुआ है।
सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है।
जीवन और मृत्यु के बीच की जो भूमि है वो नियति की नहीं, मेरी है। ' सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
लक्ष्य हासिल करने के लिए खुद पर भरोसा करना जरूरी है। वो कहते हैं ना, 'अगर खुद पर है यकीं, तो मंजिल दूर नहीं।' अगर आपको स्वयं पर विश्वास नहीं है, तो लोग भी आप पर भरोसा नहीं करेंगे।

जीवन में महत्वकांक्षी होना बहुत जरूरी है। यह अच्छी बात है कि हमें जो मिला है उसमें संतुष्ट रहना चाहिए लेकिन अपनी आकांक्षाओं को कभी मरने नहीं देना चाहिए। जीवित वही है, जिसमें कुछ पाने की चाह है। सफलता की शुरुआत यहीं से होती है। आज हम अलग-अलग क्षेत्रों में जिन सफल लोगों को देखते हैं उन्होंने कभी अपनी महत्वकांक्षाओं को नजरअंदाज नहीं किया। जिसके फलस्वरुप आज वो सफल हैं।

रातोंरात आपको लक्ष्य नहीं मिलता। इसके लिए लगातार कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है। हो सकता है इस राह में आप कई बार असफलताओं का भी सामना करना पड़े। लेकिन, जो थककर हार गया, वो रेस से बाहर गया। हार मानकर बैठ जाना कोई हल नहीं। अपनी गलतियों से सीखें। और एक बार फिर कोशिश करें। याद रखे अनुभव सबसे बड़ा शिक्षक होता है।

सोचना जरूरी है, लेकिन सिर्फ सोचने से कुछ नहीं होता। उद्यम से ही कार्यों की सिद्धि होती है, मन की इच्छा से नहीं। जैसे सोये हुए शेर के मुंह में शिकार खुद प्रवेश नहीं करता। इसके लिए उसे शिकार करना पड़ता है। कई बार ये जतन शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के हो सकते हैं। बिना घबराये सही दिशा में मेहनत करते रहिये, सफलता आपको जरूर मिलेगी।

लक्ष्य भी तय कर लिया और उसके लिए मेहनत भी कर रहे हैं। लेकिन, इसके बावजूद आपको कामयाबी नहीं मिल रही। यही वक्त होता है जब साधारण लोग पीछे हट जाते हैं। और अपने लक्ष्य में बदलाव कर लेते हैं। लेकिन, चैंपियन यहीं से नयी शुरुआत करते हैं। वे लक्ष्य नहीं बदलते, लक्ष्य तक पहुंचने के तरीके पर जरूर विचार करते हैा। रचनात्मक सोच आपको उबने नहीं देगी। कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।

कामयाबी की राह में नाकामयाबी तो महज पड़ाव होती है। सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। असफलता के बाद क्रोध और तनाव में डूबना सही नहीं। जरूरत है असफलता के कारणों की विवेचना करने की। अकेले बैठ कर सोचें कि आखिर कहां पर गलती हुई जिसके कारण आप अपने काम में असफल हो गए।

किसी भी काम को बीच में अधूरा छोड़ कर दूसरा काम हाथ में ना लें। जब एक काम पूरा हो जाए तभी दूसरे की ओर रुख करें। काम को केवल खत्म करने की न सोचें, उसमें हर बार सर्वश्रेष्ठ देना ही आपका लक्ष्य होना चाहिये।

आपसे ज्यादा कोई नहीं जानता कि आपने अपने लक्ष्य को पाने के लिए कितनी मेहनत की है। इसलिए अपनी सफलता पर सबसे पहले खुद को बधाई दें। खुद को प्रोत्साहित और आगे के लक्ष्य के लिए प्रेरित करने के लिए यह बहुत जरूरी है। इससे आपको जीवन में बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है।

हर इनसान में कोई ना कोई कमी जरूर होती है। कोई भी परफेक्ट नहीं होता है। लेकिन जो व्यक्ति अपनी कमजोरियों को स्वीकार कर उस परा काबू पा लेता है उसे जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक पाता है।
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