सफल लोग करते हैं बस खुद में ये बदलाव
कामयाब लोगों में हमसे कुछ खास अलग नहीं होता, अलग होता है तो बस उनके काम करने का तरीका और खुद को समय के हिसाब से बदलने की आदत।

जब मैं सफल लोगों को देखता हूं तो बड़ा हैरान हो जाता हूं। मुझे ये एहसास होता है कि जो काबलियत मेरे अंदर है, ठीक वही तो इन सफल लोगों में भी है, इससे कुछ ज्यादा तो उनके पास भी नहीं। क्षमताएं तो हमारी सफल लोगों के बराबर हैं लेकिन फर्क है तो काम करने के तरीके का। सफल लोग अपने अंदर कुछ सकारात्मक बदलाव करते हैं जो न सिर्फ उन्हें भीड़ से अलग करते हैं बल्कि सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाते हैं। मैं खुद में हर उस सकारात्मक बदलाव के लिए तैयार हूं जो मेरी सफलता और कार्य क्षमता के बीच रुकावट बना हुआ है। आज हम भी ऐसे ही कुछ सकारात्मक बदलावों के बारे में बात करेंगे और ये जानेंगे कि बावजूद बराबर क्षमताओं के, हममें और सफल लोगों में कहां अंतर है, और हम वे कौंन से बदलाव कर सकते हैं, जिनकी मदद से हम भी आम से खास हो पाएं।

हर सही गलत का जवाब ङमें हमारे दिल से मिल जाता है, जिसे कुछ लोग ज़मीर भी कहते हैं। यहां जमीर का ताल्लुक इज़्जत से नहीं, बल्कि इसका सरोकार आपके भीतर की आवाज से है, जो हर सही गलत का इशारा आपको दे देती है। बस कई बार चीजों का लोभ हमसे हमारे ज़मीर की आवाज़ को दबा देने को मजबीर कर देता है। इस लिए सबसे पहले अहने आप ये उन चीजों की लिस्ट बनाएं जो आपको हर बार सफलते पाने से बस एक कदम दूर गिरा देती हैं, या वे कौंन सी नई चीजें है जिनकी आपको शुरुआत करनी है।

दूसका कदम है, 'दृढ़ संकल्प'। इसके बारे में कई बार सुनने को मिलता है, लेकिन दृढ़ संकल्प क्या है, इसे ठीक तरह से समझना जरूरी है। देखिए सफलता पाने के लिए दृढ़ संकल्प का होना बेहद जरूरी है। यह दृढ़ संकल्प ही होता है जिसकी वज़ह से कोई इंसान सफलता के मार्ग में आने वाली हर चुनौती, संकट और विपत्ति का हिम्मत, धैर्य और साहस के साथ सामना कर पाता है। एक बार दृढ़ संकल्प कर लिया तो चाहे जो हो जाए हारना नहीं है, बस हर आने वाली चुनौती को चुनौती देनी है और अपने विश्वास को इतना दृंढ़ बनाना है कि बड़ा सा बड़ा मुसीबत का पहाड़ एक न एक दिन उसके आगे चूर हो ही जाए। हेलन केलर, पी। टी। उषा, कल्पना चावला, न्यूटन ऐसे नाम हैं जिन्होंने इतिहास बनाया, क्योंकि वे अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित थे।

एक बार कोई अच्छी आदत शुरू कर देने के बाद आप और भी अच्छी आदतों डालने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले कम से कम तीन सप्ताह इंतजार करें। एक नए शोध से पता चलता है कि किसी नई आदत को आपकी दिचर्या में ठीक से शामिल होने में 30 दिन से अधिक तक समय लग सकता है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मनोविज्ञानी, डॉ. फिलिपा लल्ली के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि आदत को एक व्यवहार बनाने में लोगों को 66 दिनों (9.5 सप्ताह) का समय लगता है। इसलिए धीरे-धीरे शुरुआत करें और फिर खुद को समय दें।

अक्सर लोग निंदा से विचलित हो उठते हैं, जो सफलता की राह में एक बड़ा रोड़ा है। तो जब कोई आपको नीचा दिखाने की कोशिश करे तो मुस्कुराएं। उत्साह से काम में मन लगाएं रखने का यह एक आसान तरीका हैं। आप हर बात को खुद पर नहीं ले सकते हैं। आपसे कोई कहे कि आप अच्छे नहीं हैं तो उसे प्रभावित करने के लिए खुद में बदलाव न लाएं बल्कि बदलाव वही लाएं जो आपको बेहतर बनाते हों।

कुछ नहीं करना और सफल होने से बेहतर है, प्रयास करके नाकाम हो जाना। अगर नाकाम रहे तो सब कुछ ख़त्म नहीं होता। ध्यान रहे, अतीत की छाया भविष्य पर ना पड़ने दें। बीतें कल की आज शिकायत करने से आने वाला कल बेहतर नहीं होगा। बदलाव लायें और पीछे मुड़कर न देखें। सच्ची ख़ुशी तभी आएगी, जब समस्याओं के बारें में शिकायत करना छोड़ देंगे।

अक्सर लोग कुद को परिवार या किसी अन्य जिम्मेदारी की लाचारी दिखाकर खुद को उसकी आड़ मे ले लेते हैं और चुनौतियों से मुंह मोड़ लेते हैं। लेकिन एक बात समझ लें, परेशानियां और चुनौतियां हमेशा जीवन में रहती हैं, जो उनसे लड़ता है, वो जीतता है और सफल होता है, और जो भागता है वो भागता ही रह जाता है। उदाहरण के लिए जब हम बच्चा 10वीं क्लास में होता है तो उसे वो पहाड़ लगती है लेकिन जब वही बड़ा होकर डॉक्टरेट कर लेता है तो सब कुछ आसान सा दिखता है। इसलिए हमें अपनी सोच को खुला छोड़ देना चाहिए। इसका मतलब है कि अपनी सोच को सदैव बड़ा रखें, क्योंकि मौके भी उन्हीं को दिए जाते हैं, जिनके अंदर कुछ बड़ा करने की चाहत होती है।

कभी-कभी जिंदगी कुछ दरवाजे इसलिए बंद कर देती हैं क्योंकि यह समय आगे बढ़ने का होता हैं। देखाजाए तो यह अच्छा भी हैं क्योकि जब तक हालात दबाव न डालें हम आगे नहीं बढ़ते हैं। जब समय कठिन हो तो याद रखे कोई भी दर्द बिना उद्देश्य के नहीं होता हैं। जिससे चोट लगी, उससे नज़रअंदाज कर दें, लेकिन इससे जो सबक मिला उसे कभी भूलें नहीं। हर सफलता के लिए संघर्ष की जरुरत होती हैं। धैर्य रखें, सकारात्मक रहें। याद रखें दर्द दो तरह के होते हैं – एक जो आपको चोट पहुचता हैं, दूसरा जो आपको बदलता हैं। दोनों ही सिखाते हैं।

अभी वक्त अच्छा हैं, इसका आनन्द लें। लेकिन वक्त बदलता है, ये हमेशा अच्छा नहीं रहेगा। वक्त बुरा हैं, चिंता न करें, क्योंकि यह भी सदा के लिए नहीं रहेगा। यह सोचकर हंसना और जीवन का आनंद लेना बंद न करें, की जीवन आसान नहीं हैं। कोई बात परेशान कर रही हैं तो मुस्कुराएं और खुद को उसका मुकाबला करने के लिए तैयार करें। देखिए हर पल नई शुरुआत और नया अंत हैं। दूसरा मौका मिलेगा....अगले ही पल। बस इसे अच्छा बनाने की जरुरत है। और ऐसा न किया तो कुछ यूं होगा, 'जब दांत थे तब चने नहीं थे, अब चने हैं पर दांत नहीं'।

कहते हैं अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप अकेले कुछ नहीं कर सकेत। इस बात को सही तरीके से समझें। दरअसल अक्सर लोग कुछ बुरे लेगों की वजह से खुद को सभी से काट सा लेते हैं। जिस कारण वे बहुत मेहनत करने के बावजूद भी सफलता नहीं प्राप्त कर पाते और सभी से अनभिज्ञ बने रहने से उनकी नकारात्मक छवि भी बन जाती है। इसलिए कोशिश करें कि सभी छोटे-बड़े लोगों को साथ लेकर चलें, जिससे आप में नेतृत्व करने की क्षमता का विकास होगा, और जो आप तक अधिक मौके पहुंचाने में भी मदद करेगा। अब वह जमाना नहीं रहा, जब आप अकेले रह कर सारा काम निपटा सकें।

ऐसा नहीं कि एक बार अगर हिट हो गए तो सदा के लिए कहानी बन गयी। प्रतिस्पर्धा के बदलते रूप के चलते आपको लगातार मेहनत के साथ साथ अपने आपमें नयापन लाते रहना होगा। आपके क्षेत्र में रोज हजारों नए लोग आ रहे हैं। सबकी चाहत अपने आपको बेहतर साबित करने की है। इसलिए आपको अपनी किसी भी उपलब्धि पर अधिक समय ना गंवा कर आगे की नई रणनीति तैयार कर लेनी चाहिये, जिससे आप समय-समय पर अपनी क्षमता को साबित करते रहें। इससे आपके विकास-क्रम पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा और आप धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाएंगे।

धैर्य का मतलब काम के दौरान अच्छा नजरिया अपनाना है। जी हां धैर्य का मतलब इंतजार नहीं होता, बल्कि सपनों के लिए काम करने के दौरान अच्छा नजरिया रखने की काबिलियत धैर्य कहलाता है। इसलिए जब आप कोई प्रयास करें तो उसे वक्त भी दें इसका मतलब कुछ पलों के लिए स्थायित्व और चैन खोना हो सकता है, लेकिन यह धैर्य रखने से ही ज़ाहिर होगा कि आप जो पाना चाहते हैं, उसके प्रति कितने दृढ़ हैं। और अगर दृढ़ हैं तो नाकामियों के बावजूद काम पूरा होगा। धैर्य रखने से हर कदम पर आप बेहतर महसूस करेंगे और आपको आपकी राह के संघर्ष आसान लगने लगेंगे।
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