साबुन नहीं मुल्तानी मिट्टी करें प्रयोग, ऐसे प्राकृतिक चीजों के बारे जानें
थोड़ा सचेत होकर हम रोजमर्रा के प्रयोग में आने वाली चीजों में मौजूद केमिकल से खुद को बचा सकते हैं, इसके लिए जरूरत है तो बस प्रकृति के नजदीक जाने और कृत्रिम चीजों की बजाय प्राकृतिक तरीकों को आजमाने की।

हम चाहकर भी अपनी लाइफस्टाइल को बदल नहीं सकते और न ही अपनी जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी चीजों को छोड़ सकते हैं। लेकिन सचेत होकर, इनसे होने वाले खतरों को कम कर सकते हैं। इसके लिए हमें प्रकृति के नजदीक जाना होगा और कृत्रिम चीजों की बजाय प्राकृतिक उपायों को अपनाना होगा, जैसे पेस्ट की जगह दातुन का इस्तेमाल, नीम और मुलतानी मिट्टी का इस्तेमाल आदि। तो फिर देर किस बात की, चलिये जानते हैं ऐसे ही कुछ प्राकृतिक उपायों के बारे में जो आपकी सेहत में सकारात्मक बदलाव लाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
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बात-बात में पेनकिलर लेना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। हमें अपनी सहनशीलता को बढ़ाना चाहिए। ओर थोड़ी-सी परेशानी होने पर दवाइयों के पीछे नहीं भागना चाहिए। इसकी बजाय घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप भी किसी दर्द से परेशान हैं तो अपने किचन में मौजूद अदरक, लहसुन, हल्दी, जैतून के तेल आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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आज के समय में लोग खुशबू के फेर में तरह-तरह के साबुन इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साबुनों में मौजूद कई तरह के केमिकल बीमारियों का कारण बन सकता हैं। आप साबुन के बजाय मुल्तानी मिट्टी को नहाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। मुलतानी मिट्टी बाजार में मिलने वाले महंगे कृत्रिम प्रसाधनों से कहीं ज्यादा फायदेमंद है।
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आज लगभग हर घर में दांत साफ करने के लिए लोग टूथब्रश का इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन कई शोध टूथपेस्ट को कैंसर का कारक बता रहे हैं। ऐसे में नीम की दातुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। दांतों के लिए नीम की दातुन काफी फायदेमंद रहती है। आयुर्वेद में बताया गया है कि नीम का दातुन केवल दांतों को ही स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि इसे करने से पाचन क्रिया ठीक होती है और चेहरे पर भी निखार आता है।
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आज ज्यादातर लोग पानी को साफ करने के लिए अपने घरों में आरओ मशीन लगाते हैं। लेकिन कई बार ज्यादा मशीनी पानी भी नुकसान दे सकता है। आरओ की जगह आप पानी को अच्छी तरह से उबालकर पीये साथ ही तांबे के बर्तन में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से आपके शरीर ते तीनों दोश वात, कफ़ व पित्त दूर हो जाते हैं।
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आजकल एल्यूमीनियम फॉयल में रोटियां लपेटकर रखने का चलन है। लेकिन कई शोधों से यह बात सामने आई है कि एल्यूमीनियम फॉयल में रोटी को स्टोर करना सेहत के लिए हानिकारक होता है। ऐसा करने से एल्यूमीनियम की कुछ राशि आपके खाने में चली जाती है। इसके स्थान पर सूती कपड़े में भी रोटियां रखी जा सकती हैं।
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आयुर्वेद के अनुसार नीम की पत्तियां एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीएलर्जी होती हैं। नीम की पत्तियां कीटाणुओं का नाश कर सकती हैं। इन्हें पानी में उबालकर इस्तेमाल में लिया जा सकता है। यह एंटीसेप्टिक लिक्विड का विकल्प हो सकती हैं।
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गर्मियां आते ही ठण्डे पानी के ना होने से प्यास नहीं बुझती और हम फ्रीज में पानी रखना शुरू कर देते है। वही फ्रिज का पानी बहुत ज्यादा ठंडा होने से नुकसान करता है, इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल भी पानी रखने के लिए सुरक्षित नहीं होती। इसलिए आपको गर्मियों में मटके का पानी पीना चाहिए। यह प्राकृतिक जल का स्रोत है जो ऊष्मा से भरपूर होता है और शरीर की गतिशीलता को बनाए रखता है। इसके अलावा मटके की मिट्टी कीटाणुनाशक होती है जो पानी में से दूषित पदार्थों को साफ करने का काम करती है।
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