मैमोग्राम से जुड़ी कुछ आश्चर्यजनक बातों से अनजान हैं आप
मैमोग्राफी एक तरह का एक्सरे है जो ब्रेस्ट कैंसर के निदान के लिए किया जाता है, एक उम्र की सीमा के बाद महिलाओं को यह जांच कराना जरूरी हो जाता है, इसलिए प्रत्येक महिला को यह जांच कराना चाहिए।

क्या है मैमोग्राम
बहुत से देशों में ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) की समस्या महिलाओं में आम है, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर जल्दी पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है और आपकी जान भी बच सकती है। मैमोग्राम एक तरह का एक्स-रे है जो ब्रेस्ट के भीतरी टिश्यू दिखाता है। डॉक्टर मैमोग्राम का इस्तेमाल ये देखने के लिए करते है कि कहीं ब्रेस्ट का साइज़ असामान्य ढंग से बढ़ तो नहीं रहा, सूज़न या ब्रेस्ट कैंसर के कोई और लक्षण तो नहीं है।
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मैमोग्राम की जरूरत
मैमोग्राम सामान्य भौतिक जांच का एक हिस्सा होता है या किसी प्रकार की स्तन की असामान्यता की जांच मैमोग्राम द्वारा हो जाती है। इससे डॉक्टर को निर्णय करने में सुविधा मिलती है कि इस लम्प के लिए अन्य क्या उपाय किये जाएं। सामान्य जांच में बहुत छोटा लम्प का मालूम नहीं चल पाता जबकि मैमोग्राम द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है।
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मैमोग्राफी की तैयारी
यदि आप प्रसूता हो अथवा इसकी शंका हो तो डॉक्टर या तकनीशियन को सूचित कर दें। आहार परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। अपनी नियमित दवाएं लेते रहें। आपको कमर के ऊपर के वस्त्र खोलने को कहा जाएगा और अतस्पताल का गाऊन पहनने को दिया जाएगा। टेस्ट के दिन यदि दो टुकड़ों के वस्त्र धारण करेंगे तो आपको ऊपर के वस्त्र खोलने में आसानी होगी। कम से कम गहने पहनें। आपको इसे निकालने को कहा जाएगा। अब मैमोग्राफी से जुड़े कुछ आश्चर्यजनक तथ्यों के बारे में बात करते हैं।
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जरूरी नहीं मैमोग्राफी आपके लिए फायदेमंद हो
बहुत सी महिलाएं मैमोग्राफी बहुत अधिक भरोसा करती हैं। हो सकता है कि ये प्रक्रिया आपका जीवन बचा ले लेकिन इसकी सफलता दर उतनी अधिक नहीं है जितना आपको लगता है। मैमोग्राफी से जोखिम 20-25% तक कम हो जाता है। ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली 1000 मौतों में से सिर्फ एक को ही मैमोग्राफी रोक पाती है।
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बढ़ सकता है मैमोग्राफी से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम
कुछ महिलाओं में मैमोग्राफी से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वो महिलाएं जिनमें बीआरसीए 1/2 जीन पाए जाते हैं उन्हें ये खतरा होता है। ये जीन कैंसर डेवलपमेंट में मदद करता है। बीएमजे स्टडी के मुताबिक, जिस महिला में ये जीन होते हैं उन्हें 30 साल से पहले रेडियेशन की वजह से ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।
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गलत परिणाम
कोई भी स्क्रीनिंग जांच निर्णायक नहीं होती, यही समस्या मैमोग्राफी के साथ होती है। वो आपकी कैंसर की आशंका के बारे में बताता है। अगर आपको कहा जाए कि ऐसी आशंका है कि आपको ब्रेस्ट कैंसर है तो आपको बहुत अधिक मानसिक तनाव हो जाएगा। आपको और आगे के टेस्ट के लिए भेजा जाएगा।
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परिणामों को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता
कई बार ऐसा भी हुआ है कि कैंसर और कैंसर से पहले की ग्रोथ का पता मैमोग्राफी से नहीं चल पाता। अगर आपकी ब्रैस्ट डैंस हैं तो पता लगाना मुश्किल होता है। 50 प्रतिशत महिलाओं के डैंस ब्रेस्ट टीशू होते हैं जो एक्सरे में सफेद दिखते हैं। कैंसर भी सफेद दिखता है इसलिए उसका पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है। डैंस ब्रेस्ट टीशू वाले मरीजों को मालूम होना चाहिए कि मैमोग्राफी उनके लिए अधिक फायदेमंद नहीं होगी।
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दूसरे स्क्रीनिंग विकल्प भी हैं
जब ब्रेस्ट हेल्थ की बात होती है तो बहुत सी महिलाएं घबरा जाती हैं और वो अच्छे से अच्छा विकल्प अपनाना चाहती हैं। ध्यान रखें कि ब्रैस्ट कैंसर के लिए अन्स स्क्रीनिंग विकल्प भी हैं और जो टेस्ट ये सुनिश्चित करता है वो सिर्फ बायोप्सी है।
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