वर्ल्‍ड एड्स डे : एचआईवी के बारे में कुछ अनजाने तथ्य, जानें

यौन संचारित रोगों में एचआईवी सबसे खतरनाक माना जाता है। विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के आंकडों के मुताबिक दुनिया भर में होने वाली मौतों की बड़ी वजह एचआईवी संक्रमण है।

Bharat Malhotra
Written by:Bharat MalhotraPublished at: Jan 05, 2014

एड्स से अलग है एचआईवी

एड्स से अलग है एचआईवी
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एचआईवी का नाम सुनते ही दिमाग में भयावह तस्‍वीर आती है। दरअसल, एचआईवी और एड्स में अंतर होता है। एचआईवी पॉजीटिव होने का अर्थ यह नहीं कि वह व्‍यक्ति एड्स से प्रभावित है। इसके अलावा एचआईवी/एड्स के बारे में कुछ अन्‍य तथ्‍य जानने के लिए पढ़े यह स्‍लाइड शो।

क्‍या है एचआईवी

क्‍या है एचआईवी
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एचआईवी यानी ह्यूमन इम्‍यूनोडेफिशियंसी वायरस हमारे इम्‍यून सिस्‍टम पर असर डालता है। इसके कारण शरीर किसी अन्‍य रोग के संक्रमण को रोकने की क्षमता खोने लगता है। वहीं एड्स एचआईवी संक्रमण का अगला चरण माना जाता है।

कैसे फैलता है एचआईवी वायरस

कैसे फैलता है एचआईवी वायरस
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एचआईवी फैलने का सबसे बड़ा कारण एचआईवी संक्रमित व्‍यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध होता है। संक्रमित रक्‍त चढ़ाने से अथवा सं‍क्रमित सुई के इस्‍तेमाल से भी एचआईवी वायरस फैल सकता है। इसके साथ ही गर्भवती महिला से उसके होने वाले शिशु को यह संक्रमण हो सकता है। शिशु को यह संक्रमण स्‍तनपान के जरिये भी हो सकता है।

दुनिया भर में साढ़े तीन करोड़ लोग हैं संक्रमित

दुनिया भर में साढ़े तीन करोड़ लोग हैं संक्रमित
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डब्‍ल्‍यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में फिलहाल 35.3 मिलियन यानी करीब साढ़े तीन करोड़ लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। इनमें से करीब 2.1 मिलियन यानी करीब 21 लाख लोगों की उम्र 10 से 19 वर्ष के बीच है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012 में 2.3 मिलियन यानी करीब 23 लाख नये लोगों को एचआईवी संक्रमण हुआ। इसे भी पढ़े : एचआईवी एड्स शिक्षा क्यों ज़रूरी है

मौत की बड़ी वजह

मौत की बड़ी वजह
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दुनिया भर में एड्स लोगों की जान लेने की सबसे बड़ी वजह में शुमार है। एक अनुमान के अनुसार यह रोग अभी तक 36 मिलियन यानी करीब तीन करोड़ 60 लाख लोगों को मौत का ग्रास बना चुका है। अकेले वर्ष 2012 में एचआईवी/एड्स के कारण करीब 16 लाख लोगों ने अपनी जान गंवायी।

एआरटी रोकती है एचआईवी का प्रभाव

एआरटी रोकती है एचआईवी का प्रभाव
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एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी से एचआईवी को शरीर में बढ़ने से रोका जा सकता है। ऐसा करके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को लंबे समय तक कायम रखा जा सकता है। इससे शरीर को संक्रमण का खतरा भी कम होता है। अगर एचआईवी से संक्रमित साथी एआरटी थैरेपी ले रहा है, तो उसे साथी को भी यौन संबंधों के द्वारा संक्रमण होने का खतरा काफी कम हो जाता है।

करीब 35 लाख बच्‍चों को एचआईवी

करीब 35 लाख बच्‍चों को एचआईवी
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विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के 2012 के आंकड़ों के अनुसार सब सहारन अफ्रीक के अधिक एचआईवी संक्रमित बच्‍चों को यह रोग अपनी मां से गर्भ में, जन्‍म के दौरान अथवा स्‍तनपान के जरिये मिला। वहीं करीब 700 मिलियन यानी सात करोड़ बच्‍चे हर साल एचआईवी से संक्रमित हो जाते हैं। इसे भी पढ़े : एचआईवी के लिए आयुर्वेदिक उपचार

संक्रमित मां से बच्‍चे को बचाया जाना आसान

संक्रमित मां से बच्‍चे को बचाया जाना आसान
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अगर सही समय पर जांच व इलाज करवा लिया जाए, तो संक्रमित गर्भवती महिला से होने वाले बच्‍चे को इस रोग से बचाया जा सकता है। एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2012 में एचआईवी से संक्रमित 62 फीसदी गर्भवती महिलाओं को ऐसी दवा दी गयी जिससे होने वाले बच्‍चों को इस खतरे से बचाया जा सके।

एचआईवी से बढ़ता है टीबी का खतरा

एचआईवी से बढ़ता है टीबी का खतरा
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एचआईवी के कारण टीबी का खतरा काफी बढ़ जाता है। वर्ष 2012 में एचआईवी संक्रमित करीब तीन लाख 32 हजार लोगों की मौत टीबी से हुई। यह उस वर्ष दुनिया में एचआईवी से होने वाली कुल मौतों का बीस प्रतिशत था।

एचआईवी से बचने के उपाय

एचआईवी से बचने के उपाय
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यौन संचारित रोगों की नियमित जांच करवाते रहें। इसके साथ ही यौन संबंध बनाते समय कण्‍डोम का इस्‍तेमाल करें। इस्‍तेमाल की गई सीरिंजों को पुन: प्रयोग में न लायें और रक्‍त चढ़ाने से पहले उसकी शुद्धता की पुष्टि जरूर कर लें। इन उपायों को आजमा कर आप इस खतरनाक जानलेवा रोग से बच सकते हैं।  

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