स्वास्थ्य गुणों से भरपूर भटकटैया

भटकटैया एक छोटा कांटेदार पौधा जिसके पत्तों पर भी कांटे होते हैं। इसके फूल नीले रंग के होते हैं और कच्‍चे फल हरित रंग के लेकिन पकने के बाद पीले रंग के हो जाते हैं। बीज छोटे और चिकने होते हैं। भटकटैया की जड़ औषध के रूप में काम आती है। यह तीखी, पाचनशक्तिवर्द्धक और सूजननाशक होती है और पेट के रोगों को दूर करने में मदद करती है। यह प्राय पश्चिमोत्तर भारत में शुष्क स्थानों पर पाई जाती है। यह पेट के अलावा कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में उपयोगी होती है। आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से भटकटैया के स्‍वास्‍थ्‍य गुणों की जानकारी लेते हैं।
ब्रेन ट्यूमर के उपचार में सहायक

भटकटैया का पौधा ब्रेन ट्यूमर के उपचार मे सहायक होता है। वैज्ञानिक के अनुसार पौधे का सार तत्व मस्तिष्क में ट्यूमर द्वारा होने वाले कुशिंग बीमारी के लक्षणों से राहत दिलाता है। मस्तिष्क में पिट्युटरी ग्रंथि में ट्यूमर की वजह से कुशिंग बीमारी होती है। कांटेदार पौधे भटकटैया के दुग्ध युक्त बीज में सिलिबिनिन नामक प्रमुख एक्टिव पदार्थ पाया जाता है, जिसका इसका उपयोग ट्यूमर के उपचार में किया जाता हैं।
अस्थमा में फायदेमंद

भटकटैया अस्‍थमा रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में भटकटैया की जड़ का काढ़ा या इसके पत्तों का रस 2 से 5 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम रोगी को देने से अस्‍थमा ठीक हो जाता है। या भटकटैया के पंचांग को छाया में सुखाकर और फिर पीसकर छान लें। अब इस चूर्ण को 4 से 6 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे 6 ग्राम शहद में मिलाकर चांटे। इस प्रकार दोनों समय सेवन करते रहने से अस्‍थमा में बहुत लाभ होता है।
खांसी दूर करें

भटकटैया की जड़ के साथ गुडूचू का काढ़ा बनाकर पीना, खांसी में लाभकारी सिद्ध होता है। इसे दिन में दो बार रोगी को देने से कफ ढीला होकर निकल जाता है। यदि काढे़ में काला नमक और शहद मिला दिया जाए, फिर तो इसकी कार्यक्षमता और अधिक बढ़ जाती है। या भटकटैया के 14-28 मिलीलीटर काढ़े को 3 बार कालीमिर्च के चूर्ण के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है। इसके अलावा बलगम की पुरानी समस्‍या को दूर करने के लिए 2 से 5 मिलीलीटर भटकटैया के पत्तों के काढ़े में छोटी पीपल और शहद मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से खांसी मे आराम आता है।
दर्द व सूजन दूर करें

भटकटैया दर्दनाशक गुण से युक्त औषधि है। दर्द दूर करने के लिए 20 से 40 मिलीलीटर भटकटैया की जड़ का काढ़ा या पत्ते का रस चौथाई से 5 मिलीलीटर सुबह शाम सेवन करने से शरीर का दर्द कम होता है। साथ ही यह अर्थराइटिस में होने वाले दर्द में भी लाभकारी होता है। समस्‍या होने पर 25 से 50 मिलीलीटर भटकटैया के पत्तों के रस में कालीमिर्च मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है। इसके अलावा सिर में दर्द होने पर भटकटैया के फलों का रस माथे पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है।Image Source : Getty