क्या है मेटाबॉलिज्म

मेटाबॉलिज्म एक क्रिया है, जिसके तहत शरीर ग्रहण किये भोजन को ऊर्जा में बदलता है। ऊर्जा की जरूरत शरीर को हर काम के लिए होती है। सरल शब्दों में कहें तो यह हमारे शरीर का ऊर्जा देता और शरीर के सेल्स को बनने में मदद करता है। मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया हमारे शरीर में 24 घंटे चलती रहती है। यहां तक कि आराम के समय भी शरीर में रक्त का प्रवाह, श्वसन क्रिया और टूटे-फूटे तंतुओं की मरम्मत का काम चलता रहता है।
मेटबॉलिज्म फिट तो सेहत हिट

मेटाबॉलिज्म सही हो, तो शरीर फिट रहता है। यदि यह कम या ज्यादा होता है, तो बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित मेटाबॉलिज्म के लिए रोजाना व्यायाम करें। इससे शरीर मजबूत तो होता ही है, साथ ही मोटापा भी नहीं बढ़ता।
मेटाबॉलिज्म और मोटापे में संबंध

मेटाबॉलिज्म अगर स्वस्थ है तो कोई भी व्यक्ति वजन को काबू में रख सकता है। दरअसल जब शरीर का बी़.एम.आर. यानी बेसल मेटाबॉलिक रेट काफी कम हो जाता है तो शरीर में चर्बी जमा होने लगती है। मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखने के लिए फाइबरयुक्त भोजन लेना चाहिए। वसायुक्त भोजन से दूर ही रहें तो अच्छा है।
मेटाबॉलिज्म का संतुलन जरूरी

अगर शरीर में मेटाबॉलिज्म प्रकिया रुक जाए तो शरीर की तमाम क्रियाएं भी ठहर सकती हैं। मेटाबॉलिज्म आमतौर पर दो प्रकार का होता है- 'हाई मेटाबॉलिज्म' और 'स्‍लो मेटाबॉलिज्म'। मेटाबॉलिज्म के दोनों प्रकार हमारी सेहत को प्रभावित करते हैं। इसलिए इसका संतुलित होना जरूरी है।
खानपान का रखें ध्यान

मेटाबॉलिज्म काफी हद तक हमारे खानपान और शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करता है। गलत खानपान या फिर लंबे समय तक कुछ भी न खाने से इसकी समस्या हो सकती है। खाने की सभी खराब आदतें जैसे असमय खाना, खाने से जी चुराना आदि आपके मेटाबॉलिज्म को गड़बड़ कर सकता है।
स्लो मेटाबॉलिज्म

अगर शरीर में मेटाबॉलिज्म की प्रकिया धीमी हो जाती है, तो शरीर सुस्त हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति डिप्रेशन में भी आ सकता है। ठंड या गर्मी ज्यादा लगने लगती है और ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार मेटाबॉलिज्म कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें हाइपोथेडिज्म, कुपोषण, असंतुलित भोजन, व्यायाम न करना और एंट्री डिप्रेशन दवाओं का इस्तेमाल प्रमुख हैं।
हाई मेटाबॉलिज्म

मेटाबॉलिज्म ज्यादा होने पर शरीर गर्म रहने लगता है और दिल की धड़कनें भी तेज होने लगती हैं। ऐसी परिस्थिति में भूख ज्यादा लगती है और बुखार के लक्षण भी उभर सकते हैं। हाई मेटाबॉलिज्म के कारणों की बात करें, तो इसमें ब्रेन हार्मोन एवं थायराइड हार्मोन का बढ़ना, दवाओं का असर, किडनी की ग्लेंड्स का बढ़ना जिम्मेदार हो सकता है।
रेस्टिंग मेटाबॉलिक रेट

हमारे शरीर को आराम के समय भी ऊर्जा की जरूरत होती है, इसे रेस्टिंग मेटाबॉलिक रेट कहा जाता है। एक पूरे दिन में शरीर द्वारा ग्रहण की गयी कुल कैलोरी का लगभग 75 फीसदी हमारे शरीर द्वारा आर.एम.आर. क्रिया में खर्च किया जाता है। इसे भी पढ़ें: एक्‍सरसाइज करने के बाद नहाने से मिलते हैं ये 7 जबरदस्‍त फायदे