खुशमिजाज लोगों की पहचान है ये चीजें
क्या आप जानते हैं हमेशा खुश रहने वाले लोग क्या-क्या करते हैं और किस तरह से जिंदगी जीते हैं। आइए जानें खुशमिजाज लोगों की पहचान क्या है।

बीती आधी सदी में दुनिया कितनी बदल गई है। हम अपनी पिछड़ी पीढ़ी से ज्यादा पैसे कमाते हैं, लेकिन फिर भी हम खुश नहीं हैं। कई बार हमें ऐसा लगता है कि अगर हम थोड़ी सी मेहनत करें, तो खुशी हमें मिल ही जाएगी। लेकिन खुशियां इतनी आसानी से कहां मिलती हैं। खुशी असल में भौतिक वस्तुओं में नहीं , हमारी आदतों में होती हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि खुशी संबंधी हमारी आधी आदतें हम अपने पुरखों से उधार लेते हैं। लेकिन, बाकी आधी हम खुश बना सकते हैं। हमारी आदतें काफी हद तक हमारी खुशियों का कारण बन सकती है। और इसमें हमारी अनुवांशिकता की कोई भूमिका नहीं होती।

दुख और दुख भरी जिंदगी को दूर करने के लिए हंसी से अच्छा दूसरा कोई इलाज नहीं। हंसने से हमारे दिमाग में बेहतर महसूस कराने वाले रसायनों का स्राव होता है। और वही केमिकल उत्साह, उमंग और खुशी के दौरान हमारे दिमाग में बनता है। हंसी न सिर्फ हमें बेहतर महसूस कराती है, बल्कि यह हमारी सेहत के लिए भी बहुत अच्छी होती है। मैरीलैण्ड विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार हृदय रोग के मरीज कम हंसते हैं। उनके अनुसार जिन परिस्थितियों में सामान्य लोग हंसते हैं, उनमें हृदय रोगी 40 फीसदी कम हंसते है। और यही कम हंसना कहीं न कहीं उनके दिल की बीमारी की वजह भी होता है।

दोस्तों और परिवार के बिना जिंदगी कितनी अधूरी होती है। शोध कहते हैं कि अगर आप सुखी जीवन जीना चाहते हैं, तो आपको बेहतर सपोर्ट सिस्टम की जरूरत होगी। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में 2008 में प्रकाशित 'द फ्रेमिंघम हार्ट स्टडी' के अनुसार हंसी भी ठण्ड की तरह संक्रामक बीमारी है। 1983 से 2003 के बीच 4739 लोगों पर किये गए शोध के बार यह निष्कर्ष निकाला गया था। इसमें यह भी कहा गया कि खुशमिजाज लोग आपस में और ज्यादा खुश रहते हैं।

जिन लोगों के स्वभाव में लचीलापन होता है, वे ज्यादा खुश रहते हैं। जिंदगी में आपको कई बार नाकामयाबी मिलती है, लेकिन खुशमिजाज लोगों के लिए ये नाकामयाबियां महज एक दौर होती हैं। वे इनसे घबराकर बैठते नहीं, बल्कि आगे बढ़ जाते हैं। कहा जाता है कि जिन लोगों में स्वयं को आगे ले जाने और नाकामयाबियों से सीखकर फिर आगे बढ़ने की क्षमता होती है वही कामयाबी और खुशी हासिल कर पाते हैं। जिंदगी आपको हर मोड़ पर सिखाती है, आपको उनसे सीखकर आगे बढ़ना चाहिये।

जिंदगी में हर चीज को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखना आपको दुखी कर सकता है। खुश रहने का नियम है सकारात्मक यानी ऑप्टीमिस्ट रहना। ऑप्टीमिस्ट लातिन शब्द ऑप्टिमा से निकला है, जिसका अर्थ होता है आप हमेशा अच्छे नतीजों की अपेक्षा करें। डॉक्टर ई.पी.सेलिगमन ने बीस बरसों के शोध के बाद क किताब लिखी। 'लर्नड ऑप्टीमिज्म'। इसमें उन्होंने लिखा कि सकारात्मक लोगों में जीने की इच्छा और दक्षता होती है। वे हर हालात में जीने की वजह तलाश लेते हैं।

खुश लोग अकेले भी खुश रह सकते हैं। वे अपने लिए अच्छा और बेहतरीन वक्त निकालने की कला जानते हैं। वे अपने परिवार और बच्चों के साथ खुश रहते हैं। वे मानते हैं कि अकेले रहना और अकेले के लिए वक्त निकालना स्वार्थीपन नहीं है। यह तो प्राथमिकता है। यह उनके लिए रिचार्ज होने का अवसर होता है। और इससे वे खुद को आने वाले वक्त के लिए बेहतर तरीके से तैयार कर पाते हैं। आपको भी अपने जीवन से कुछ लम्हे चुरा लेने चाहिये। उन्हें चाहिये कि फोन बंद करें, और निकल जायें कहीं घूमने। या घर पर भी टीवी, इंटरनेट और फोन बंद कर वे अपने लिए वक्त निकाल सकते हैं। इससे आपको आत्म-साक्षात्कार करने का मौका मिलेग।

अपने दिल की सुनना और उसे मानना आसान काम नहीं। इसके लिए काफी हिम्मत चाहिये। आपको इस सोच से बाहर आना पड़ता है कि आखिर दुनिया क्या कहेगी। एक शोध में कहा गया कि खुशमिजाज लोग अपने दिल की सुनते हैं। उनके जीवन में एक लक्ष्य होता है। एक मकसद होता है। अगर आप अपने दिल की सुनते हैं तो आपको काम के लिए हमेशा ऊर्जा मिलती रहेगी।

खुशमिजाज लोग दयालु होते हैं। यह उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा होता है। शोधकर्ताओं ने एक रोमांचक 'हेल्पर्स हाई' नाम की एक रोचक आदत का पता लगाया है। इसमें व्यक्ति को किसी की मदद करने के बाद आपको वैसा ही अहसास होता है, जैसाकि शराब के नशे में होता है। इससे आपका रक्तचाप भी कम होता है। और साथ ही मस्तिष्क में भी बेहतर संकेत जाते हैं।

महान दार्शनिक लाओ त्जु ने बिलकुल सही कहा है, ' अगर आप डिप्रेस्ड हैं, तो आप अतीत में जी रहे हैं। अगर आप चिंतित हैं, तो आप भविष्य में जी रहे हैं। और अगर आप शांत हैं, तो आप उस लम्हे में जी रहे हैं।' आपके पास यह लम्हा ही तो है। आपको उसे जीना चाहिये। जिंदगी आपके सामने लगातार नये रूप दिखाती है। आपको कई तोहफे देती है। आपको चाहिये कि आप उन्हें स्वीकार करें। आज में जियें, अभी में जियें और खुश रहें। श्रीमद्भगवद्गीता भी तो हमें आज में जीना सिखाती है।

संगीत आपके मस्तिष्क को शानदार फायदा पहुंचाता है। संगीत आपकी मनोदशा को भी बदलने का काम करता है। एलिना मैन्स ने बीस बरसों के शोध के बाद लिखी अपनी पुस्तक में बताया है कि कैसे संगीत आपके मस्तिष्क पर सकारात्मक असर डालता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है, मूड अच्छा करता है। यह आपके मूड को बदलने की क्षमता रखता है। हल्का जैज या शास्त्रीय संगीत कॉरटिसोल का स्राव करता है, जिससे आपका चित्त शांत होता है। आप सदमे से बेहतर तरीके से उबर पाते हैं। तो अगली बार जब आपका दिल उदास हो तो संगीत का सहारा लीजिये।

कुदरत ने हर ओर खूबसूरती बिखेर रखी है। आपको उसका आनंद उठाना चाहिये। कुदरत के करीब रहने से आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत दुरुस्त रहती है। कई लोग कुदरत के करीब रहते हैं, वे ज्याद खुश रहते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो अपने घर में प्राकृतिक नजारों की तस्वीर भी लगा सकते हैं। इससे भी सकारात्मकता और प्रसन्नता का महौल होता है।
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