पिलोनिडल सिस्ट के लिए घरेलू उपचार

पिलोनिडल सिस्‍ट की संरचना एक थैली की तरह होती है जो कोक्‍सीक्‍स या टेलबोन के किनारे, नितंबों के ज्वाइंट पास विकसित होता है। आमतौर पर इस सिस्‍ट के बाल होते हैं और यह मृत त्‍वचा कोशिकाओं से बनता है। हालांकि पिलोनिडल सिस्‍ट, एसिम्प्टमैटिक हो सकता है, जैसे इसमें आपको कोई दर्द, बेचैनी या सूजन महसूस नहीं होती हैं। लेकिन कभी-कभी सैक्रोकोक्किगील (sacrococcygeal) हिस्‍से पर अत्‍यधिक या निरंतर दबाव से पहले से मौजूद सिस्‍ट बढ़कर पिलोनिडल सिस्‍ट को जन्‍म दे सकता है। इस तरह का सिस्‍ट महिलाओं की तुलना में पुरूषों में बार-बार होना बहुत आम है। ये आमतौर पर सोलह से बीस साल की उम्र के बीच पांच साल तक है। इसके लक्षणों में बुखार, रीढ़ में दर्द, रीढ़ के निचले भाग में लालीपन और कड़ापन औ, त्‍वचा से मवाद का निकालना आदि शामिल है। पिलोनिडल सिस्‍ट का सर्जरी और अन्‍य चिकित्‍सा सहायता के बिना घर पर आसानी से इलाज किया जा सकता है।
मैग्नीशियम युक्त सेंधा नमक

सेंधा नमक में मौजूद मैग्‍नीशियम और सल्‍फेट के कारण यह विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकालने और सिस्‍ट को बाहर निकालने में मदद करता है। समस्‍या होने पर बाथटब को गुनगुने पानी से भरकर उसमें दो कप सेंधा नमक मिला लें। फिर इस पानी में आधे घंटे के लिए बैठ जाये। सेंधा नमक सूजन को कम कर दर्द से राहत देता है।
एंटीसेप्टिक लहसुन

लहसुन एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। इसलिए यह इस तरह सूजन और प्रारंभिक अवस्‍था में पिलोनिडल सिस्‍ट के उपचार के लिए एक अच्‍छा उपाय माना जाता है। यह सिस्‍ट को दूर करने के लिए कठोर, आक्रामक शल्‍य चिकित्‍सा प्रक्रियाओं का अच्‍छा विकल्‍प है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट सिस्‍ट में बढ़ने वाले बैक्‍टीरिया की रोकथाम करता है। समस्‍या होने पर सादे पानी में लहसुन की कली मिलाकर पेस्‍ट बना लें। फिर इस पेस्‍ट को प्रभावित त्‍वचा पर लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें। या आप गुनगुने पानी के साथ लहसुन की कली को खा भी सकते हैं।
एंटी-बैक्टीरियल टी ट्री ऑयल

टी ट्री ऑयल पिलोनिडल सिस्‍ट के उपचार के लिए बहुत ही उपयुक्‍त उपाय है। यह ऑयल में एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटीफंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह रोगनिवारक होता है। अगर आपका सिस्‍ट संक्रमित हो गया है तो टी ट्री ऑयल संक्रमण को जल्‍द नष्‍ट नहीं करेगा लेकिन सिस्‍ट को तेजी से हटाने में मदद करेगा। समस्‍या होने पर सिस्‍ट पर इस शक्तिशाली ऑयल की एक या दो बूंदों को लगाये।
दर्दनिवारक हल्दी

हल्‍दी को लगभग सभी प्रकार की बीमारियों के उपचार के लिए व्‍यापक रूप से इस्‍तेमाल किया जाने वाला प्राकृतिक उपाय माना जाता है। यह शानदार एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्दनिवारक गुणों से भरपूर होने के काण दर्द और सूजन से तुरंत राहत प्रदान करता है। समस्‍या होने पर हल्‍दी और पानी को मिलाकर पेस्‍ट बनाकर सिस्‍ट पर लगा लें। इस उपाया को दिन में तीन बार नियमित रूप से करें। इसके अलावा आप हल्‍दी की एक चम्‍मच को गर्म दूध में मिलाकर भी ले सकते हैं।
चिकित्सीय गुणों वाला कैस्टर ऑयल

थोड़े से गुनगुने कैस्‍टर ऑयल को लेकर इसे प्रभावित हिस्‍से पर सीधा लगाकर, उसे बैंडेज से कवर कर दें। इस उपाय को दिन में तीन बार करें, लेकिन हर बार बैंडेज को बदल लें। कैस्‍टर ऑयल के चिकित्‍सीय और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सिस्‍ट को जल्‍द ठीक करने में मदद करते हैं। Image Source : Getty