फंगस के लिए औषधियां

फंगस जीवाणु से पैदा होता है और यह फैलने वाला रोग है। इस रोग में पहले रोगी के शरीर पर दाद जैसे छोटे-छोटे निशान पैदा होते है जो बाद में मिलकर फैल जाते है। कुछ औषधियों का प्रयोग करके इससे बचा जा सकता है।
नीम

नीम की पत्तियों से फंगस को दूर किया जा सकता हैं। इसके लिए एरण्‍ड के तेल और नारियल के तेल को एक साथ मिलाकर शरीर में जख्‍म वाले भाग पर रोजाना लगाने से फंगस जल्‍दी ही ठीक हो जाता है।
गेहूं के ज्वारे

गेहूं के ज्‍वारे के रस में मौजूद क्‍लोरोफिल और एंटीसेप्टिक लाभ के कारण संक्रमण को काबू और बेअसर करने में बहुत ही लाभकारी होता है। इसके सेवन से योनि संक्रमण से छुटकारा पाने में भी मदद मिलती हैं। गेहूं के ज्‍वारे के रस में मौजूद क्लोरोफिल शरीर के अंदर और बाहर औषधीय मरहम के तौर इस्तेमाल किया जाता है।
एलोवेरा जैल

एलोवेरा जेल को फंगस पर लगाने से राहत मिलती है। इसके लिए घर में लगे एलोवेरा के पौधे की पत्‍ती को काट लें और उसमें से निकलने वाले जैल को फंगस वाली जगह पर लगा लें। दिन में कम से कम चार से पांच बार ऐसा करने पर आपको आराम मिलेगा।
लहसुन

लहसुन को प्राचीन काल से ही स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी परेशानियों के लिए प्राकृतिक उपचार माना जाता है। लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार इसमें मौजूद अजोएने (ajoene) एक शक्तिशाली यौगिक है जिसको फंगस से लड़ने वाली उत्‍कृष्‍ट जड़ी बूटी माना जाता है।
लौंग बेहतरीन एंटीसेप्टिक

लौंग और इससे बने तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जिससे फंगल संक्रमण, कटने, जलने, घाव हो जाने या त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसके इस्‍तेमाल से पहले एक बात का ध्‍यान रखें कि इसे सीधे त्वचा पर न लगाकर किसी तेल में मिलाकर लगाना चाहिए।
हल्दी

लंबे समय से हल्दी को सबसे प्रबल फंगस विरोधी जड़ी बूटी के रूप में माना जाता है। एंटीमाइक्रोबियल कीमोथेरेपी के जर्नल पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, हल्दी में शामिल करक्युमिन एक पॉवरफूल कम्पाउन्ड है जो कैंडिडा संक्रमण को बढ़ने और फैलने को रोकने के काम आता हैं।
चाय के पेड़

हाल ही में चाय के पेड़ से निकाले गए तेलों का शरीर पर क्‍या प्रभाव पड़ता है, इसका बड़े पैमाने पर अध्‍ययन किया गया। रिसर्च से यह बात सामने आई कि चाय के पेड़ के तेल का इस्तेमाल कई प्रकार के फंगल इंफेक्‍शन में किया जाता हैं इसमें शामिल है जॉक खुजली, टिनिअ कैपिटिस, दाद और एथलीट फुट।
जैतून के पत्ते का अर्क

कई अध्ययनों से पता चला है कि जैतून का पत्ता अर्क में सक्रिय संघटक ओलुरोपें, कैंडिडा की वजह से होने वाले फंगल इंफेक्‍शन को बढ़ने रोकने में कारगर होता है। जैतून का तेल आपकी इम्‍यूनिटी को बढ़ा कर कैंडिडा जैसे फंगल इंफेक्‍शन से लड़ता है और खमीर संक्रमण से बचने के लिए आपके ब्‍लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है।