एग फ्रोजन से बन सकेंगी मां

इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धि रही एग फ्रोजन ने मां बनने की महिलाओं की उम्र की बाधा को तोड़ने का काम किया है। जनवरी 2016 में एग फ्रोजन तकनीक के द्वारा 42 साल की पूर्व मिस वर्ल्ड डायना हेडन मां बनी। डायना ने 8 साल पहले ही अपने अंडाणु संरक्षित करवा लिए थे। इन संरक्षित अंडाणुओं की वजह से ही डायन इतनी अधिक उम्र में मां बन पाईं। इस उपलब्धि से मेडिकल विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरीके से 35-45 साल के बीच की उम्र में मां बनने की इच्छुक महिलाओं के लिए नयी राह खुल सकती है। विस्तार से पढ़ें- जानें क्‍यों विवादों में है पू्र्व मिस वर्ल्ड डायना हेडेन का मां बनना
सेरोगेसी पर लगी रोक

सितम्बर 2016 में भारत सरकार ने संसद में कानून पास कर सेरोगेसी पर रोक लगा दी। जिससे कई गरीब महिला को फायदा मिलेगा और कई नवजात शिशुओं का भविष्य अंधकार में जाने से बच जाएगा। दरअसल सेरोगेसी संतान पैदा ना कर पाने वाली दंपतियों के लिए वरदान बन कर आई थी जिसने धीरे-धीरे गरीब महिलाओं को अपने चुंगल में लेना शुरू कर लिया। सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 के अनुसार अविवाहित पुरुष या महिला, सिंगल, लिव इन में रह रहा जोड़ा और समलैंगिक जोड़े अब सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते। और अब पैसों के लिए भी कोई महिला सेरोगेट मां नहीं बन सकती। केवल रिश्तेदार महिला ही सरोगेसी के जरिए मां बन सकती है। विस्तार से पढ़ें- शाहरूख, आमिर और तुषार जैसे सितारों ने अपनाई सरोगेसी, जानें क्या है
अब मिलेगी 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव

अगस्त 2016 में राज्यसभा में मैटरनिटी बैनिफिट बिल पास किया गया। अब ये बिल लोकसभा में पेश पास होने के बाद कानून बन जाएगा जिसके बाद प्राइवेट और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर की कामकाजी महिलाओं को 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलने लगेगी। गौरतलब है कि कैबिनेट ने पहले ही मैटरनिटी बैनिफिट एक्ट 1961 में बदलाव की मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद सरकारी महिला कर्चारियों को 26 हफ्ते की मैटेरनिटी लीव मिलती है। नए बिल के बाद गोद लेने वाली कामकाजी महिलाओं को भी 12 हफ्ते की छुट्टी दी जाएगी। इस बिल को तमिलनाडु सरकार ने फिलहाल पारित कर दिया है और वहां महिलाओं को 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिल रही है। विस्तार से पढ़ें- तमिलनाडु में मैटरनिटी लीव छह महीने से बढ़कर नौ महीने हुई
ऑटोफैगी- कैंसर का नया इलाज

इस साल चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जापान के वैज्ञानिक योशिनोरी ओहसुमी को ऑटोफैगी के मेकेनिज्म के लिए दिया गया है। इस खोज से चिकित्सा जगत में ये संभावना जताई जा रही है कि अब कैंसर व कई अन्य बीमारियों का इलाज आसानी से संभव हो सकेगा। ऑटोफैगी कोशिकीय समस्थापन रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके अतिरिक्त ऑटोफैगी विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं में भाग लेती है, जैसे, कोशिका विभेदन, भ्रूणता जहां कोशिका द्रव्य के अदिक भाग के निपटान की आवश्यकता होती है। विस्तार से पढ़ें- ऑटोफैगी: कैंसर को जड़ से मिटाने वाली तरकीब के बारे में जानें
फिर से जिंदा होने की ख्वाहिश: क्रायोप्रिजर्वेशन

क्रायोप्रिजर्वेशन एक तकनीक ऐसी है जो मौत के बाद भी आपको जिंदा रख सकती है। ये मामला ब्रिटेन का है जहां 14 साल की एक लड़की ने यह इच्‍छा जाहिर की। यह लड़की एक दुर्लभ और लाइलाज कैंसर से पीडि़त थी। कैंसर का इलाज उपलब्ध न होने के कारण उसका मरना तय था। लेकिन वो लड़की जीना चाहती थी। इसलिए कानून से इसकी इजाजत लेने के लिए उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया और उसकी अपील पर कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी। क्रायोनिक्स में लाइलाज बीमारियों से मरने वाले लोगों के शव को डीप-फ्रीज कर दिया जाता है। इसमें उम्मीद होती है कि शायद भविष्य में जब उनकी बीमारी का इलाज खोज लिया जाएगा, तो वे फिर से जिंदा हो सकेंगे।विस्तार से पढ़ें- मरने के बाद जिंदा होने की ख्‍वाहिश: क्रायोप्रिजर्वेशन!