सच माने जाने वाले स्तन कैंसर से जुड़े दस मिथ
स्तन कैंसर एक गंभीर समस्या है जानकारी के अभाव के कारण महिलाएं इसकी चपेट में आ रही हैं। आइए स्तन कैंसर से जुड़े मिथ के बारे में जानें।

स्तन कैंसर की जानकारी के अभाव के कारण महिलाएं इसके चपेट में आ रही हैं। कई बार लोग इससे बचने के लिए मिथकों पर भी भरोसा करने लगते हैं। आइए जानें स्तन कैंसर से जुड़े दस मिथ के बारे में।

स्तन में गांठ का नाम सुनने के बाद हमारे मन में यह सवाल आता है कि ये गांठ स्तन कैंसर तो नहीं। ब्रेस्ट में गांठ कैंसर का ही एक लक्षण है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि ऐसा होने पर आपको स्तन कैंसर ही है। ब्रिटिश शोध के मुताबिक स्तनों में होने वाली गांठ पड़ने के केवल दस फीसदी मामलों में ही ब्रेस्ट कैंसर की आशंका रहती है, अधिकतर मामलों में इसकी वजह स्तन में फैट और सिस्ट से मामले ज्यादा हाते हैं।

अगर आपके परिवार में किसी को स्तन कैंसर है तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि आप इसका शिकार होंगी। आंकड़ों की मानें तो सिर्फ दस प्रतिशत लोग ही ऐसे होते हैं जिनके परिवार में से किसी को स्तन कैंसर होने पर उनमें भी वो लक्षण दिखायी दिए हों।

पुरुष भी स्तन कैंसर के शिकार होते हैं और उनमें इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सॉस एम डी एंडर्सन कैंसर सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने करीब 2,500 से अधिक मामलों के अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। पुरुषों में स्तन के ट्यूमर का पता लगाना ज्यादा आसान है।

ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्तन कैंसर की पहचान के लिए प्रयोग किए जाने वाले एक्स रे और मैमोग्राम से स्तन कैंसर फैलता है। जो कि पूरी तरह से गलत है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक मैमोग्राफी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले रेडिएशन की मात्रा बहुत कम होती है। इससे स्तन कैंसर का खतरा बिल्कुल ना के बराबार होता है।

अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि डियोड्रेंट से स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है। इसके अलावा नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक स्तन कैंसर और एंटीपरस्परिएंट्स ( यह पसीने को रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है)के बीच कोई संबंध नहीं है। जो महिलाएं इसका प्रयोग करती हैं उनमें स्तन कैंसर के लक्षण नहीं देखे गए हैं।

अगर इस बात जरा भी सच्चाइ होती तो पुरुषों में स्तन कैंसर की समस्या कभी नहीं होती। स्तन कैंसर का स्तनों के आकार से कोई लेना-देना नहीं है। ब्रेस्ट साइज से ऊतकों की संख्या निश्चित होती है और यह स्तन कैंसर से खतरे से कैसे संबंधित हो सकता है।

स्तन कैंसर संक्रामक रोग नहीं है। यह एक इनसान से दूसरे को नहीं होता है। ब्रेस्ट कैंसर की समस्या तब होती है जब स्तनों में कैंसर की कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होने लगती है। इसके खतरे को कम करने के लिए आपको हेल्दी लाइफस्टाइल जीना चाहिए साथ ही स्तन कैंसर के जोखिमों के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए।

लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं जो स्तन कैंसर की चपेट में आ चुकी हैं उनका स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास नहीं था। अगर आपके घर में किसी को भी स्तन कैंसर नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं होता कि आप इससे बची रहेंगी। स्तन कैंसर लिंग, आयु और जीवनशैली पर निर्भर करता है।

यह गलत है..स्तन कैंसर से बचने के लिए आपको स्वस्थ जीवनशैली जीना चाहिए। अपने वजन पर नियंत्रण रखे, स्वस्थ आहार लें और व्यायाम करें, धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन ना करें। ऐसा करने से आप स्तन कैंसर से खतरे से बची रहेंगी।

आमतौर पर लोगों का मानना है कि अंडरवायर ब्रा पहनने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के अंडरगारमेंट्स लिंफेटिक फ्लों को रोकते हैं जिसकी वजह से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इस तरह की बातों में कोई सच्चाई नहीं है। अंडरवायर ब्रा पूरी तरह से सुरक्षित हैं। Image Courtesy: Getty Images
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