पुरुषों की स्वास्थ्य समस्यायें

उम्र बढ़ने पर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें भी बढ़ती हैं। पचास की उम्र पार करने के बाद पुरुष कई बीमारियों से दो-चार होना पड़ता हैं। इस उम्र में पुरुषों को अन्‍य कई बीमारियां भी घेर सकती हैं। इस स्‍लाइड शो में कुछ ऐसी ही बीमारियों के बारे में बताया जा रहा है जो पुरुषों को 50 वर्ष की आयु के बाद हो सकती हैं।
प्रोस्टेट कैंसर

हालांकि प्रोस्‍टेट कैंसर किसी खास उम्र में अपने चरम पर नहीं पहुंचता। लेकिन, उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा बढ़ता है। इसमें प्रोस्‍टेट में जाने वाले रक्‍त में एंटीजन की मात्रा बढ़ जाती है। इस कैंसर के बढ़ने में फैट, पुरुष नसबंदी, यौन गतिविधियां और परिवारिक इतिहास भी प्रमुख कारक होते हैं। पचास की उम्र के बाद हर साल प्रोस्‍टेट कैंसर की जांच करानी चाहिए।
हृदय रोग

नेशनल हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके पुरुषों को हृदय रोग होने का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। इस उम्र में रक्‍त वाहिनियां संकरी और सख्‍त हो जाती हैं। इनकी दीवारों पर प्‍लाक जम जाता है और दिल को जाने वाले ब्‍लड फ्लो पर असर पड़ता है।
हर्निया

जांघ के विशेष हिस्से की मांसपेशियां कमजोर होने के कारण पेट के हिस्से बाहर निकल आने को हर्निया कहते हैं। वैसे तो यह समस्या पुरुषों व महिलाओं दोनों में होती है, लेकिन पुरुषों में पेट के निचले हिस्से का हर्निया अधिक पाया जाता है। खासतौर पर पचास साल की आयु के बाद यह समस्या अधिक देखी जाती है।
कोलोन कैंसर

अमेरिका में होने वाला तीसरा सबसे बड़ा कैंसर है, वहां पर कैंसर के कारण होने वाली मौतों का दूसरा बड़ा कारण भी यही है। कोलोन कैंसर में बड़ी आंत प्रभावित होती है। बेलगाम सेलों की ग्रोथ से शौच के रास्ते में ट्यूमर बन जाता है। शौच के साथ यह ट्यूमर छिलने लगता है जिससे रक्त आता है और व्यक्ति में रक्त की भी कमी होने लगती है।
पैनक्रियाज का कैंसर

पचास की उम्र के बाद पुरुषों को पैनक्रियाज का कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। उम्रदराज पुरुषों में यह एक गंभीर समस्‍या है। पैनक्रियाज इनसुलिन जैसा हार्मोन बनाता है, जिससे बॉडी में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है। पैनक्रियाज का कैंसर के लक्षण अपने अंतिम चरण तक पहुंचने से पहले नजर नहीं आते। इसका खतरा पता लगाने के लिए ब्‍लड शुगर की नियमित जांच करानी चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस

ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से जुड़ी बीमारी है, इसमें हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। 40 वर्ष की उम्र के मुकाबले 50 वर्ष में पुरुषों को ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा ज्‍यादा होता है। कैल्शियम से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्‍या को रोका जा सकता है। कैल्शियम 'बोन-मास' बनाने में मदद करता है और ऑस्टियोपोरोसिस के असर को भी कम करता है। पचास वर्ष या इससे ज्‍यादा उम्र के पुरुष को प्रतिदिन कम से कम 1200 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए।
कार्डियोवस्कुलर डिजीज

कोलेस्ट्रॉल शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। यह दिल के दौरे, स्ट्रोक के अलावा शरीर के निचले हिस्से समेत किडनी को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इस तरह की बीमारियों को डॉक्टर कार्डियोवस्कुलर डिजीज कहते हैं। इसके प्रमुख कारण डायबिटीज, अधिक वजन, उच्‍च रक्‍तचाप, कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर, व्‍यायाम न करना और धूम्रपान अधिक करना होते हैं। अमेरिका स्थित डिपार्टमेंट ऑफ हेल्‍थ कनेक्टिकट के मुताबिक 50 वर्ष से ज्‍यादा की उम्र वाले पुरुषों को कार्डियोवस्‍कुलर डिजीज होने का खतरा ज्‍यादा होता है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन

50 वर्ष की आयु से अधिक के पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है। उम्र बढ़ने पर पुरुषों की यौन सक्रियता कम हो जाती है। इसका मुख्‍य कारण बॉडी में ब्‍लड का फ्लो ठीक प्रकार से न होना है। अन्‍य कारणों में डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, दवाइयां आदि शामिल है।
डिप्रेशन

द नेशनल एसोसिएशन ऑफ हेल्‍थ के अनुसार, डिप्रेशन 50 वर्ष से ऊपर के पुरुषों में होने वाली मानसिक समस्‍या है। इस उम्र में अधिकतर पुरुष अवसादग्रस्‍त होने लगते हैं। इसके लिए क्रियाशीलता, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, काम में गिरावट और आसपास के लोगों के दृष्टिकोण में होने वाले बदलाव जिम्‍मेदार हैं। डिप्रेशन को इसके शुरुआती चरण में ही रोक लेना चाहिए अन्‍यथा यह गंभीर रूप ले सकता है।