शरीर के अंगों पर गहरा असर डालती है चीनी
चीनी का सेवन टाइप टू डायबिटीज, बल्कि साथ ही वजन बढ़ने और दिल की बीमारियां भी दे सकता है। इसलिए जरूरी है कि अपने आहार में शर्करा की मात्रा कम से कम रखी जाए।

चीनी किसी भी रूप में हो। सफेद, ब्राउन या फिर अन्य स्रोतों में समाहित। इसकी अधिक मात्रा हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह होती है। इसमें कोई पोषक तत्व नहीं होता। लेकिन, इसकी लत कई बीमारियों को न्योता दे सकती है। अधिक चीनी का सेवन न केवल आपको टाइप टू डायबिटीज, बल्कि साथ ही वजन बढ़ने और दिल की बीमारियां भी दे सकता है। Image Courtesy- getty images

इनसान को खुश और संतुष्ट बनाये रखने में न्यूरोट्रांसमीटर और सेरोटोनिन नाम रसायन उत्तरदायी होते हैं। हमारा शरीर संतुलित मात्रा में इनका निर्माण करता है। चीनी मस्तिष्क में सेराटोनिन के स्तर को बढ़ा देती है। आपको अहसास होगा कि मीठा खाने के बाद आपको फील गुड का अहसास क्यों होता है। इस प्रक्रिया के तहत चीनी आपको मानसिक रूप से उत्तेजित बना देती है। इससे आपका मूड बेहतर हो जाता है। लेकिन इसका नुकसान यह होता है कि लगातार बढ़ते स्राव के कारण, शरीर इस रसायन का निर्माण बंद कर देता है। इससे आपको गंभीर तनाव का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और अन्य नकारात्मक लक्षण नजर आने लगते हैं। चीनी सेरोटोनिन के कुदरती संतुलन को बिगाड़ देती है। Image Courtesy- getty images

यह तो हम जानते हैं कि चीनी का अधिक सेवन कैविटी का कारण बनता है। हालांकि, इसमें से भी सफेद चीनी ज्यादा खतरनाक होती है। कैविटी फैलाने वाले बैक्टीरिया को जीवित रहने के लिए चीनी की आवश्यकता होती है। तो आप जितनी अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करेंगे, दांतों में कैविटी होने का खतरा उतना ही अधिक होगा। यह बात तो काफी समय से लोग जानते हैं कि अधिक चीनी का सेवन, दांतों में कैविटी, मसूड़ों से खून और दांत टूटने जैसी समस्या का कारण बन सकते हैं। Image Courtesy- getty images

हालांकि यह तो हमें पता है कि अधिक शर्करा युक्त आहार से हमें टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन ऐसा क्यों और कैसे होता है, इस बात की जानकारी हमें नहीं है। डायबिटीज का बड़ा कारण शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में इनसुलिन का निर्माण न कर पाना है। इनसुलिन पेनक्रियाज में बनने वाला हॉर्मोन है। यही हॉर्मोन हमारे रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए उत्तरदायी होता है। रक्त में शर्करा की अधिक या कम मात्रा आपके लिए जानलेवा भी हो सकती है। अधिक शर्करा के कारण पेनक्रियाज को ज्यादा काम करना पड़ता है। इससे इनसुलिन प्रतिरोधकता और अन्य समस्यायें उत्पन्न हो जाती हैं। Image Courtesy- getty images

चीनी पचने के बाद हमारे शरीर पर अम्लीय असर डालती है। इससे शरीर में अम्लीय व क्षारीय संतुलन बिगड़ जाता है। अधिक अम्लीय शरीर कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है। हमारा शरीर रक्त में अम्ल की मात्रा को कम करने के लिए कुछ भी करता है। इसके लिए वह क्षारीय स्तर में भी इजाफा कर देता है। कैल्शियम एक क्षारीय तत्व होता है। तो हमारा शरीर इस अम्ल का सामना करने के लिए कैल्शियम का इस्तेमाल करता है। इसका नतीजा यह होता है कि हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। आखिर में कैल्शियम के लगातार निकलते रहने से हमें ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी हो सकता है। तो, मजबूत हड्डियों के लिए हमें न केवल डेयरी उत्पादों का सेवन अधिक करना चाहिए, बल्कि चीनी और उससे बने उत्पादों से भी दूर रहना चाहिए। Image Courtesy- getty images

दिल की बीमारी के लिए मोटापे को बड़ी वजह माना जाता है। लेकिन, एक ताजा शोध में चीनी के अधिक सेवन को भी दिल की बीमारी की बड़ी वजह माना गया। डायबिटीज और दिल की बीमारी के बीच के संबंधों को तो हम जानते ही हैं। डायबिटीज के मरीजों को दिल की बीमारी होने का खतरा काफी अधिक होता है। चीनी धमनियों को कमजोर बनाती है। इससे रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है। Image Courtesy- getty images

चीनी को पचाने के लिए कई प्रकार के विटामिन, मिनरल और इंजाइम्स की जरूरत होती है। जो हमें शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं से मिलती है। कुछ समय बाद इसका असर हमारे शरीर पर पड़ने लगता है। खासकर उन लोगों, जिनकी खानपान की आदतें खराब हैं, उन पर इसका असर और बहुत असर होता है। Image Courtesy- getty images

ग्लूकोज हमारे शरीर का सबसे अहम ऊर्जा स्रोत है। और आमतौर पर कहा जाए, तो हर प्रकार की शक्कर टूटकर ग्लूकोज में परिवर्तित होती है। हमें इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि आखिर इस ईंधन की कितनी और कैसे जरूरत है। हमारा शरीर कभी भी ऊर्जा को बाहर नहीं करती। वह इसे भविष्य के लिए जमा करके रख लेता है। तो औसतन 40 फीसदी चीनी वसा के रूप में संचयित हो जाती है। इससे वजन बढ़ने और मोटापे की समस्या हो जाती है। Image Courtesy- getty images

अपने बच्चों की सेहत के प्रति सजग माता-पिता भी उन्हें सोडा, कैंडी और कुकीज जैसी चीजें खाने को देते हैं। यह जानते हुए भी इसका उनके शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। अधिक चीनी इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक असर डालती है। यहां तक कि यह बीमारियों से लड़ने में मददगार श्वेत रक्त कोशिकाओं को समाप्त ही कर देती है। इससे लगभग पांच घंटे तक आपके शरीर पर बीमारियों का खतरा काफी अधिक हो जाता है। इतना ही नहीं अधिक चीनी श्वेत रक्त कोशिकाओं के काम करने की क्षमता 40 फीसदी तक कम कर देती है। Image Courtesy- getty images
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