लोगों को खुश करना

क्या आप अपने आसपास या आपसे जुड़े लोगों को खुश करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं? क्या उन्हें खुश करने के लिए आप कुछ भी कर सकते हैं? तो जरा रुकिए क्या यह ठीक है कि आप दूसरों को खुश करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके आसापास हर कोई खुश रहे तो यह अच्छी बात है लेकिन एक हद तक। जब यह चाहत आपको और आपके व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचाने लगे तो इस आदत को छोड़ना ही ठीक है। आइए जानें कैसे लगाम लगाएं अपनी इस आदत पर।
खुद को समझें

अगर आप आज तक हंसी-खुशी बिना किसी शिकायत के अपने आसपास को लोगों को खुश करते आए हैं तो अब वक्त है कि आप खुद को समझने की भी कोशिश करें कि आप खुद से क्या चाहते हैं। आपकी ख्वाहिशें क्या हैं। आप जो कर रहे हैं वो आप करना चाहते हैं या सिर्फ दूसरों की खुशी के लिए ऐसा कर रहे हैं।
निर्णय लेने की क्षमता को पहचानें

ध्यान रखें कि आप किसी को खुश करने में इतना भी ना डूब जाएं कि खुद की इच्छाओं को ही नजरअंदाज करने लगें। किसी भी कार्य को करने से पहले उसके बारे में सोच-विचार करें फिर उसे करना है या नहीं करना इसका निर्णय लें।
अंध विश्वास न करें

किसी कार्य को करने की उपयोगिता का मूल्यांकन अपनी जरूरत के आधार पर करें। यह निर्णय आपके जीवन की वास्तविकता और उससे जुड़ी चीजों पर आधारित होना चाहिए।
चुनें वही, जो आपके लिए सही

यह जरूरी नहीं कि जो किसी दूसरे व्यक्ति के लिए उपयोगी हो, वह आपके लिए भी उसी तरीके से उपयोगिता रखता हो। हर व्यक्ति अलग होता है। उसकी जरूरतें, उसका व्यक्तित्व, जरूरतों और चुनौतियों और स्थितियों का सामना करने के तरीकों के आधार पर निर्भर करते हैं।
आत्मविश्वासी बनें

अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें। यदि आप नहीं कह रहे हैं तो आपके पास यह तर्क होना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत। जो आपको सही लगता है, वैसा ही करें।
ना कहना सीखें

दूसरों को खुश करने में कोई बुराई नहीं है, पर यह तब तक ही सही है जब तक इससे आपको कोई नुकसान न हो। अगर दोस्तों के मुताबिक अपने कार्यक्रम तय करने में आपको परेशानी आ रही है, तो उन्हें यह बात बेहिचक बताएं।
अपनी प्राथमिकताएं तय करें

अपनी प्राथमिकताएं अपनी जरूरतों के आधार पर तय करें, दूसरे क्या सोचते हैं, इस बात पर नहीं। पूरी तरह सोच-समझ कर ही कोई निर्णय करें।
सबको खुश नहीं कर सकते आप

आप जितनी भी कोशिश कर लें आप कभी भी एक साथ सब लोगों को खुश नहीं कर सकते हैं। इसके बाद अगर कोई आपसे बात नहीं करता या नाराज हो जाता है तो इसमें आपका कोई कसूर नहीं है। आप वक्त की नजाकत को समझते हुए अपने हिसाब से वहीं निर्णय लें जो सही है। फिर उसके बाद आपको कोई कुछ भी कहे इसकी परवाह ना करें।
सीमाएं बनाएं

आपके जीवन में मौजूद उन लोगों के लिए जो आपकी अच्छाई का फायदा उठाते हैं उनके लिए सीमाएं निर्धारित करें। अगर आप इसके बारे में उन्हें नहीं बताएंगे कि वो बार-बार इसे पार करेगें और आपके लिए मुश्किलें बढ़ाएंगे तो अच्छा है कि आप उन्हें इस बारे में बता दें।