कंप्यूटर माउस के इस्तेमाल के साइडइफेक्ट और इनसे बचाव के तरीके
उस का ज्यादा इस्तेमाल करना आपके लिए कई परेशानियों का कारण भी बन सकता है। इसके कारण कोहनी में जख्म, कलाई में दर्द, हाथ में दर्द तथा गर्दन और कंधे में जकड़न आदि हो सकते हैं। तो चलिए आज कंप्यूटर माउस के इस्तेमाल के साइडइफेक्ट और इनसे बचाव के तरीकों के ब

माउस कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस में से एक अहम यंत्र होता है। कंप्यूटर स्क्रीन पर मूव करने, चिन्हित करने, चुनने और क्लिक करने में मददगार होने की वजह से माउस को पॉंटिंग डिवाइस (Pointing Device) भी कहा जाता है। माउस में दो बटन होते है, पहला राइट (Right) बटन और दूसरा (Left) बटन। इसकेअलावा माउस के बीच में एक चक्का भी होता है जो पेज को ऊपर और नीचे करने में मदद करता है। डेक्सटॉप पर काम करने के लिए माउस बहुत अच्छा होता है। आजकल पूरा दिन कंप्यूटर और माउस से का लिया जाता है। लेकिन माउस के बारे में ये जानकारी आपके लिए काफी नहीं हैं। माउस का ज्यादा इस्तेमाल करना आपके लिए कई परेशानियों का कारण भी बन सकता है। इसके कारण कोहनी में जख्म, कलाई में दर्द, हाथ में दर्द तथा गर्दन और कंधे में जकड़न आदि हो सकते हैं। तो चलिए आज कंप्यूटर माउस के इस्तेमाल के साइडइफेक्ट और इनसे बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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अगर आपको कलाइयों में दर्द महसूस होता है या फिर कलाई के आसपास का हिस्सा अक्सर सुन्न हो जाता है, तो संभवतः आपको कार्पल टनल सिंड्रोम (carpal tunnel syndrome) की समस्या है, जोकि कलाई की केंद्रीय तंत्रिका पर दबाव पड़ने की वजह से होता है। माउस का इस्तेमाल करने के दौरान हाथों, कलाइयों और उंगलियों का गलत पॉश्चर में रहना भी इस समस्या का मुख्य कारण है।
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माउस को बहुत कस कर न पकड़ें। साथ ही ऐसे माउस का इस्तेमाल करें जो आपकी हथेलियों के लिए फिट होता हो। बहुत छोटे या बड़े माउस के इस्तेमाल से कलाइयों पर ज़ोर पड़ता है। इसलिए माउसपैड ऐसा लें जिसमें कलाइयों के लिए कुशनिंग दी गई हो। इससे आपकी कलाईयों को काम के दौरान सपोर्ट मिलेगा और वे सीधी रहेंगी।
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आप कंप्यूटर और माउस पर काम करते हुए अपने कोहनी तक के हाथ को कीबोर्ड के लेवल पर टिकाकर सहारा ले सकते हैं। जब आपके हाथ का ये हिस्सा डेस्क या टेबल पर टिका होता है तो आपकी कलाई सही स्थिति में रहती है। अगर आवश्यकता महसूस हो तो कलाइ को टिकाने के लिए मुलायम से फोम या कुशन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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अगर आप दिन में काफी देर तक टाइपिंग का काम करते हैं या माउस का इस्तेमाल करते हैं तो आपको हर 30से 40 मिनट के अंतर पर एक ब्रेक ज़रूर लेना चाहिए। इसके अलावा आपको कुछ मिनटों बाद अपने हाथ या कलाई को स्ट्रैच भी करते रहना चाहिए। आप अपने वर्क स्टेशन को छोड़कर थोड़ी देर के लिए चहल-कदमी भी करेंगे तो आपके स्वास्थय और कलाइयों के लिए अच्छा रहेगा। कलाइयों की एक्सरसाइज भी करें। एक्सरसाइज करने व अपनी कलाइयों को घुमाने से आपका इन जगहों का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होगा और सूजन व अकड़न दूर हो जाएगी। कलाई को ऊपर नीचे हिलाना, हाथ हिलाना, हथेलियों को पीछे और आगे की तरफ मोड़ना कुछ ऐसी एक्सरसाइज़ हैं, जो आप दिन में कई बार आराम से कर सकते हैं।
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अगर कभी आपको बहुत ज्यादा टाइपिंग या माउस आदि का स्तेमाल करने से कलाइयों में अधिक दर्द, जलन और जकड़न महसूस हो तो कुछ मिनटों के लिए आइस पैक लगाएं। अगर दिनभर दर्द रहे तो ऑफिस में ब्रेक के दौरान भी आप आइस पैक लगा सकते हैं। अगर आपको ऑफिस में दर्द व जकड़न आदि परेशानियां हो रही हैं और इसके कारण कलाई सुन्न पड़ रही है तो आप सॉफ्ट कॉटन ग्लव्ज़ का इस ्तेमाल भी कर सकते हैं।
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