क्या हैं माइक्रोप्लास्टिक

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स और टूथपेस्ट में भारी मात्रा प्लास्टिक होती है। यह बात प्लायमाऊथ यूनिवर्सिटी के एक शोध में सामने आई है। अगर आप अपने स्क्रब, फाउंडेशन या टूथपेस्ट पर लिखी जानकारी पढ़ेंगे तो उसमें पोलीएथिलीन (पीई), पोलीप्रॉपिलेन (पीपी) जैसा कुछ लिखा मिलेगा। ये कुछ और नहीं, प्लास्टिक है। कॉस्मेटिक्स में इस्तेमाल होने वाली माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण का स्रोत है। जानिए कैसे इससे नुकसान होता है। Image Source-Getty
टूथपेस्ट में माइक्रोप्लास्टिक

माइक्रोप्लास्टिक के ये कण नर्म होते हैं और इसलिए इन्हें टूथपेस्ट में इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इससे मसूढ़ों को नुकसान हुए बिना सफाई की जा सकती है। माइक्रोप्लास्टिक को नैचुरल एक्सफोलिएटिंग के साथ प्रयोग किया जाता है। टूथपेस्ट में माइक्रोबीड्स का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि बल्किंग एजेंट्स और एब्रेसिव्स होते हैं। Image Source-Getty
क्या काम आते हैं माइक्रोप्लास्टिक

माइक्रोप्लास्टिक के ये कण पीलिंग प्रोडक्ट में काम में आते हैं। इससे सफाई पर असर पड़ता है और दांतों पर जमी गंदगी निकल जाती है। कुछ खुरदरे “माइक्रोबीड्स” साबुनों, डियोड्रेंटों और टूथपेस्ट जैसे व्यक्तिगत उपयोग के प्रसाधनों में इस्तेमाल होते हैं। ये हानिकारक होते हैं। Image Source-Getty
माइक्रोप्लास्टिक के नुकसान

ये इतने सूक्ष्म होते हैं कि वे कचरा साफ़ करने वाले संयंत्रों की जालियों के आर-पार बह जाते हैं और झीलों में बह जाते हैं। माइक्रोप्लास्टिक की समस्या यह है कि वह पानी में मिले हुए जहरीले केमिकल को आकर्षित करता है और उनसे मिल कर जहरीला कॉकटेल बना लेता है। वहाँ मछलियां और पानी के पास रहने वाले पक्षी उन्हें मछलियों के अंडे समझ कर खा जाते हैं जो उनके लिए जहरीला भी साबित हो सकता है। फिर मछलियां इसे खाती हैं और इन मछलियों के साथ ये प्लास्टिक हमारी प्लेट में आ जाता है। जो हमारे शरीर को नुकसान पंहुचाता है। Image Source-Getty
अन्य उत्पादों में भी होता है इसका प्रयोग

माइक्रोबीड्स या माइक्रोप्‍लास्टिक का प्रयोग केवल टूथपेस्‍ट में ही नहीं होता है, बल्कि इसका प्रयोग सौंदर्य उत्‍पादों, लिप बॉम, मॉइश्‍चराइजिंग क्रीम में होता है। जरूरत से ज्यादा माइक्रोबीड्स के कारण आपकी त्वचा में घाव हो सकता है और उसके सारे नैचुरल ऑयल्स निकल सकते हैं। ज्यादा स्क्रबिंग से ड्राईनेस और इन्फ्लेमेशन भी हो सकता है जिससे स्किन सेल्स को नुकसान हो सकता है। हल्के एक्स्फोलिएशन से ड्राई स्किन सेल हटते हैं साथ ही पोर्स भी साफ होते हैं और पोस्ट ब्रेकआउट मार्क्स भी फेड हो जाते हैं।Image Source-Getty