नई जगह पहली रात क्यों नहीं आती है नींद

अकसर लोगों को किसी नई जगह जाने पर नींद नहीं आती है। इस संबंध में हुए एक नए शोध से पता चला है कि ऐसा दरअसल मस्तिष्क के आधे भाग की तुलना में दूसरे आधे भाग के जागे रहने की वजह से होता है। चलिए विस्तार से जानें कि नई जगह पर नींद न आने के पीछे क्या वैत्रानिक कारण होते हैं और ऐसा भला क्यों होता है। Images source : © Getty Images
नींद ना आने पर हुआ शोध

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उन्नत मस्तिष्क इमेजिंग तकनीक की मदद से ऐसे 35 लोगों के मस्तिष्क पर नजर रखी, जिन्होंने स्लीप लैब में कई रातें बिताई थीं। परिणामों से पता चला कि पहली रात के समय गहरी नींद के दौरान मस्तिष्क के दाएं गोलार्द्ध (hemisphere) की तुलना में मस्तिष्क का बांया गोलार्द्ध अधिक सक्रीय था। Images source : © Getty Images
व्हेल और डॉल्फिन की तरह होता है दिमाग

शोधकर्तांओं के अनुसार, मस्तिष्क की गतिविधियों में यह अंतर नाटकीय नहीं है और उन समुद्री स्तनधारियों के जैसा है जो सोते समय मस्तिष्क का आधा हिस्सा बंद कर देते हैं। अध्ययन के सह लेखक व ब्राउन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर, युका ससकि कहते हैं, "निष्कर्ष बताते हैं कि हमारे दिमाग में भी व्हेल और डॉल्फिन की तरह एक लघु व्यवस्था हो सकती है।"Images source : © Getty Images
और भी होंगे शोध

शोध में यह भी पाया गया कि, दो गोलार्द्धों के बीच मस्तिष्क की गतिविधियों में जितना अधिक अंतर होता है, उस व्यक्ति के लिए सोना उतनी ही मुश्किल हो जाता है। इसके साथ-साथ जब शोधकर्ताओं ने इन लोगों के दोनों काम नें बीप की ध्वनी बजाई तो लोग तब आसानी से जाग गए, जब उनके दाएं कान (जो बाएं गोलार्द्ध को उत्तेजित करता है) में ध्वनि बजाई गई। हांलाकि शोधकर्ता इस घटना को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं। वे यह ठीक से मढने के लिए प्रयोग करेंगे कि नई जगह पर पहली रात को नींद को बेहतर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं। Images source : © Getty Images