विटामिन डी की कमी से सेहत को हो सकते हैं ये 10 नुकसान
विटामिन डी फैट में घुलनशील विटामिन का समूह है और यह शरीर में कैल्शियम तथा फॉस्फेट के अवशोषण को बढ़ाता है। विटामिन डी की कमी से ग्रंथियां इस हॉर्मोन का ज्यादा उत्सर्जन करने लगती हैं। जिससे आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने लगता है।

विटामिन डी वसा में घुलनशील विटामिन का समूह है और यह शरीर में कैल्शियम तथा फॉस्फेट के अवशोषण को बढ़ाता है। विटामिन डी की कमी से ग्रंथियां इस हॉर्मोन का ज्यादा उत्सर्जन करने लगती हैं। इससे सेहत पर विपरीत असर पड़ने लगता है। दीकन यूनिवर्सिटी के राबिन डैली ने अनुसार विटामिन डी की कमी से कई गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं। हड्डियों की कमजोरी, हृदय संबंधी रोग, ऑस्टोपोरेसिस, मांसपेशियों में कमजोरी, कैंसर और टाइप टू का मधुमेह जैसी बीमारियां पनप सकती हैं। नए शोध में पाया गया है कि आस्ट्रेलिया में रहने वाले तीन में से एक व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी है जिससे कई रोगो के जन्म लेने का खतरा है।
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डायबिटीज मोटापे के कारण होती है यह तो आप जानते हैं लेकिन क्या आपको यह भी पता है कि मोटापे के साथ-साथ विटामिन डी की कमी भी इस रोग के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में से एक है। डायबिटीज केयर जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, मोटापे और विटामिन डी की समस्या किसी व्यक्ति को एकसाथ हो तो शरीर में इंसुलिन की मात्रा को असंतुलित करने वाली इस बीमारी के होने का खतरा और भी बढ़ जाता है। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने लगभग 6000 लोगों पर अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जो व्यक्ति मोटापे से परेशान हैं लेकिन उनके शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा है। उनमें साधारण व्यक्तियों की तुलना में इंसुलिन असंतुलन की संभावना 20 गुना अधिक थी। लेकिन जिन लोगों में मोटापा और विटामिन डी का अभाव यह दोनों लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उनमें यह आशंका 32 गुना अधिक थी।
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जिन लोगों में विटामिन 'डी' का स्तर कम होता है उन्हें मल्टीपल स्क्लेरोसिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस से ब्रेन पर असर पड़ता है। ऐसे में मरीज के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के न्यूरोइम्यूनोलॉजी सेंटर में चेयरमैन डेनिस बोरडे के अनुसार यह मल्टीपल स्केलरोसिस के खतरे को भी कम करता है। स्क्लेरोसिस में अंग या टिश्यू (उत्तक) कठोर हो जाते हैं। टोरंटो हास्पिटल फार सिक चिल्ड्रेन के पेडियाट्रिक मल्टीपल स्क्लेरोसिस कार्यक्रम के निदेशक और शोधकर्ता ब्रेंडा बैनवेल के अनुसार, विटामिन 'डी' की कमी से इस बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है।
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शरीर में विटामिन डी की कमी आपके बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि बच्चों में लंबे समय तक विटामिन डी की कमी बने रहना एनीमिया रोग का कारण बन सकती है। रक्त में विटामिन डी का स्तर 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम होने पर बच्चों के एनीमिया गस्त होने की आशंका बनी रहती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम स्तर वाले बच्चों को सामान्य विटामिन डी के स्तर वाले बच्चों की तुलना में दोगुना खतरा ज्यादा था।
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यह तो हम जानते ही हैं कि विटामिन डी हड्डियों की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन, एक ताजा शोध इसके एक अन्य महत्वपूर्ण गुण के बारे में भी बताता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन तथा कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के सहयोग से किए गए एक अध्ययन के अनुसार, विटामिन डी दिल की सेहत भी दुरुस्त रखता है। शरीर में विटामिन डी की कमी से हृदय रोगों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
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विटामिन डी की कमी न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकता है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, विटामिन डी मस्तिष्क में अवसाद संबंधी केमिकल सेरोटोनिन तथा डोपामिन के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के माइकल किमलिन ने कहा, कि अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए शरीर में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त होना चाहिए।
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विटामिन डी की कमी से मोटापा भी बढ़ने लगता है। विटामिन डी की मात्रा और शरीर में मोटापे के सूचक बॉडी मास इंडेक्स, कमर का आकार और स्कीन फोल्ड रेशीओं में गहरा संबंध है। जिन महिलाओं में विटामिन डी की कमी थी, उनमें विटामिन डी की मात्रा अधिक होने वालियों की अपेक्षाकृत मोटापा तेजी से बढता है।
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विटमिन डी की कमी से टीबी का खतरा भी बढ़ जाता है। यह बात रॉयल मेलबर्न हॉस्पिटल के डॉक्टर कैथरीन गिबने ने यह खुलासा किया है, कि विटामिन डी की कमी से माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस होने का खतरा रहता है। 2012 में सामने आई प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज की रिपोर्ट के मुताबिक विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा ट्यूबरकुलोसिस के मरीजों को जल्द राहत देने में कारगर है।
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सोरायसिस की समस्या से पीड़ित लगभग 30 प्रतिशत लोगों में सोरायटिक गठिया भी पाया जाता है, इस समस्या में प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों पर हमला कर दर्द और सूजन का कारण बनती है। हाल में हुए एक अध्ययन के अनुसार लगभग 63 प्रतिशत लोगों में सोरायटिक गठिया की समस्या विटामिन डी के कम स्तर के कारण होती है। यह रिपोर्ट जर्नल आर्थराइटिस केयर और रिसर्च की है। रिपोर्ट के अनुसार विटामिन डी के कम स्तर के कारण रक्त कोशिका के स्तर के बढ़ने से सोरायटिक गठिया की समस्या और भी बदतर हो जाती है।
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जिन लोगों में ब्लड में विटामिन डी के स्तर की कमी पाई जाती है उन लोगों में निमोनिया के विकसित होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में लगभग 2.5 गुना अधिक पाया जाता है, ईस्टर्न फिनलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस बात को बताया। एक नए शोध के अनुसार विटामिन डी की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण श्वसन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
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शरीर में विटामिन डी की कमी न सिर्फ हडि्डयों को कमजोर बनाती है, बल्कि इससे कैंसर का खतरा भी कई गुना तक बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया भर में तकरीबन एक अरब लोग विटामिन डी की कमी से ग्रस्त हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार विटामिन डी की कमी वीडीआर (विटामिन डी रिसेप्टर) के जरिए हमारे डीएनए पर प्रभाव डालती है और यह कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकती है। ब्रिटेन और कनाडा के वैज्ञानिकों ने विटामिन डी की कमी से जूझ रहे लोगों को बाहर से विटामिन डी सपलीमेंट दिए जाने की सलाह दी है।
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