महिला हॉर्मोन के बारे में हर पुरुष को पता होनी चाहिए ये बातें
फीमेल हार्मोन्स किसी महिला के शरीर को ही नहीं, बल्कि उनके मस्तिष्क और भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। ये हार्मोन यौवनावस्था, मातृत्व और मेनोपॉज के दौरान बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

फीमेल हार्मोन्स किसी महिला के शरीर को ही नहीं, बल्कि उनके मस्तिष्क और भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। महिलाओं के शरीर में हार्मोन के स्त्राव में लगातार बगलाव होता रहता है। यह कई बातों जैसे, तनाव, पोषक तत्वों की कमी या अधिकता और व्यायाम की कमी या अधिकता प्रमुख आदि पर निर्भर करता है। फीमेल हार्मोन यौवनावस्था, मातृत्व और मेनोपॉज के दौरान बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यौवनावस्था शुरू होने पर किशोरियों में जो शारीरिक बदलाव नजर आते हैं, वह एस्ट्रोजन के स्त्राव की वजह से ही होते हैं। इसके बाद सबसे बडा बदलाव मासिक चक्र के बंद होने अर्थात मेनोपॉज में होता है।

हार्मोन असंतुलन के कारण महिलाओं के मूड में परिवर्तन होने लगता है, इस दौरान चिड़चिड़ी हो जाती हैं। यह असंतुलन स्वास्थ्य संबंधी कुछ सामान्य समस्याओं जैसे मुहांसे, चेहरे और शरीर पर अधिक बालों का उगना, समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षण आदि नजर आने से लेकर मासिकधर्म संबंधी गड़बडियां, सेक्स के प्रति अनिच्छा, गर्भ ठहरने में मुश्किल होना तथा बांझपन जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
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मासिकधर्म के दौरान अधिक ब्लीडिंग होना, मासिक चक्र में गड़बड़ी होना, उत्तेजना, भूख न लगना, अनिद्रा, ध्यान केंद्रित करने में परेशान, अचानक वजन बढ़ जाना, सेक्स के प्रति रुची का कम होना और रात में अधिक पसीना आना आदि हो सकते हैं।
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एस्ट्रोजन हार्मोन प्राथमिक महिला सेक्स हार्मोन होता है। जोकि कई प्रक्रियाओं जैसे स्तनों के विकास तथा यौवन के दौरान जननांग की परिपक्वता आदि में सहायक होता है। लेकिन टेस्टोस्टेरोन महिला सेक्स ड्राइव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उसकी हड्डियों के घनत्व को भी प्रभावित करता है।
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जी हां हार्मोन सभी महिलाओं में एक तरह से काम नहीं करते हैं। कुछ महिलाओं में उग्र हार्मोन प्रबल इच्छा, चिड़चिड़ापन और अवसाद का कारण बन सकते हैं। लेकिन वहीं यह किसी दूसरी महिला में अस्थिर हार्मोन हल्के सिर दर्द से ज्यादा और कुछ नहीं करते। तो सामान्य रूप में महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन डी-कोड करने का कोई रास्ता नहीं है।
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अलग-अलग महिलाएं पीएमएस में अलग-अलग चीजों का अनुभव करती हैं। जैसे, मिजाज में बदलाव, आंतों में एंठन, व कभी-कभी सिर दर्द से लेकर अनिद्रा भी। हालांकि एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने से महिलाओं को इस अवधि में होने वाली इन समस्याओं पर काबू पाने में मदद मिलती है।
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रजोनिवृत्ति एक ऐसा समय होता है, जब कोई महिला शिशु को जन्म देने योग्य नहीं रहती है। ऐसे में उसके मासिक धर्म बंद हो जाते हैं और उसे इस प्रक्रिया के विभिन्न दुष्प्रभाव से गुजरना पड़ता है। इनमें ये हॉट फ्लैश, दिल की तेज धड़कन और रात को पसीना आदि शामिल हो सकते हैं। तो पुरुषों को इस समय की गंभीरता को समझना चहिए।
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महिलाओं में हार्मोन के बदलाव या असंतुलन के साथ उनकी कामेच्छा में भी कमी आती है। और कुछ खास समय पर हार्मोन के बदलाव के साथ बदलती कामेच्छा पूरी तरह सामान्य भी है। हालांकि एस्ट्रोजन की घटता मात्रा महिलाओं की सेक्स इच्छा को घटा सकती है। हालांकि किशोरावस्था में महिला और पुरुषों दोनों में एस्ट्रोजन बराबर होता है।
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सेल पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक दल ने पाया कि जिन पुरुषों में महिला सेक्स हार्मोन का स्तर अधिक होता है वे ज्यादा बलिष्ठ हो जाते हैं। अध्ययन के मुताबिक पुरुष और महिलाओं के शरीर में दोनों तरह के हार्मोन कुछ मात्रा में निर्मित होते हैं। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि वे दरअसल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
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