सात लक्षण कि आप हैं भीतर से दुखी
कुछ लोग बाहर से खुश दिखते हैं लेकिन वास्तव में वे अंदर से दुखी होते हैं, ऐसे लोगों के मन में नकारात्मक सोच अधिक रहती है और वे खुश होने का दिखावा करते हैं।

इस दुनिया में करोड़ों लोग हैं, कुछ तो वास्तव में बहुत खुश हैं, कुछ बहुत दुखी हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो बाहर से खुश तो हैं लेकिन वास्तव में अंदर से वे नाखुश हैं। हालांकि सुख और दुख का स्तर उस दिन के अनुसार तय होता है, कभी-कभी आपका दिन अच्छा बीतता है तो किसी दिन आप पूरे दिन दुखी रहते हैं। हमारे सपने जब अधुरे रह जाते हैं, मन चाही मुराद नहीं मिलती तब भी खुशी दिखावा लगने लगती है। अगर इन सात लक्षणों को आप अपने अंदर देखते हैं तो समझ जाइये कि आप अंदर से दुखी हैं।
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अगर आपका विश्वास है कि जिंदगी बहुत कठिन है, यहां कुछ भी पाना आसान नहीं है। लेकिन जो लोग वास्तव में खुश होते हैं वे जिम्मेदारियों को उठाने में पीछे नहीं हटते और न ही मेहनत करने में जी चुराते हैं। जबकि दुखी रहने वाले लोगों को जीवन की हर राह, हर बात बहुत ही कठिन लगती है। ऐसे लोगों को जिंदगी से शिकायत होती है।
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आपका अगर यह मानना है कि लोगों पर विश्वास करना सही नहीं है, तो आप अंदर से दुखी हैं। लेकिन वास्तव में आप पूरी तरह से खुश तभी हो सकते हैं जब आपके आसपास मौजूद लोगों पर आपको पूरा भरोसा हो। जो लोग सुखी होते हैं वे अपने लोगों पर शक नहीं करते बल्कि उनपर विश्वास रखते हैं। अगर आप किसी से मिलकर उसपर भरोसा नहीं जताते हो तो वहां अच्छे संबंधों की कमी होगी ही। न तो आपको उसपर भरोसा होगा और न ही आपके बेहतर संबंध उससे बन पायेंगे और उसके जरिये मिलने वाले अवसरों का फायदा आप उठा नहीं पायेंगे।
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सभी गलतियां करते हैं, बिना गलती किये सही काम नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इस दुनिया में केवल गलत काम ही होते हैं। यही सोच दुखी लोगों की भी है, और ऐसे लोग दूसरे लोगों की अच्छाइयों पर नहीं बल्कि बुराइयों पर ध्यान देते हैं। जबकि खुश लोग सामरिक मुद्दों पर सकारात्मक विचार रखते हैं, वे सही बातों पर अधिक ध्यान लगाते हैं, वे अच्छाई और बुराई दोनों को देखकर फैसला लेते हैं।
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आप जब भी दूसरे लोगों से अपनी तुलना करते हैं आपको ईर्ष्या होने लगती है। अंदर से दुखी लोगों को लगता है कि कुछ लोग पैदा होने के साथ ही अपने साथ भाग्य का पिटारा लेकर आते हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि उनके आसपास किसी तरह की मदद नहीं है जबकि दूसरें लोगों के साथ भाग्य होता है। जब भी वे अपनी तुलना ऐसे लोगों से करते हैं उनके अंदर ईर्ष्या की भावना पनपती है। जबकि वास्तव में खुश रहने वालों का मानना है कि जो भी मिलता है वह कठिन मेहनत से ही मिलता है।
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जीवन पर किसी का नियंत्रण नहीं, वही मिलता है जितना आप मेहनत करते हैं। खुशहाल लोग अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रत्येक एक कदम बढ़ाते हैं, एक साथ ही उसे पाने का प्रयास नहीं करते। जबकि अंदर से दुखी रहने वाले लोग प्रयास कम करते हैं और अधिक पाने का लालच रखते हैं। उनका मानना है कि जीवन को नियंत्रित रखकर भी अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। जबकि वास्तविकता यही है कि बिना कठिन मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।
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जिन लोगों को भविष्य की चिंता होती है वे वास्तव में दुखी होते हैं। क्योंकि उनके मन में हमेशा एक डर बना रहता है कि कल क्या होगा। अगर आपके मन में भी भविष्य को लेकर चिंता और डर है तो आप भी दुखी हैं। जबकि खुशहाल लोग न तो भूत की बात करते हैं और न ही भविष्य की चिंता करते हैं, वे वर्तमान में जीते हैं। भूतकाल में जो हो गया उसे याद करके क्या फायदा और भविष्य में जो होने वाला है उसके बारे में आप भी नहीं जानते, तो वर्तमान में जीना ही बेहतर है।
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कुछ लोगों का अंदाज होता है गपशप करना और दूसरों की शिकायत करना, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो इसे अपनी दिनचर्या बना लेते हैं। दूसरों की शिकायत करना और गपशप करना उनकी आदत बन जाता है। ऐसे लोग वास्तव में गपशप करके खुद को खुश दिखाते हैं लेकिन वास्तव में वे अंदर से दुखी होते हैं। ऐसे लोग अपने भूत में जीना पसंद करते हैं। जबकि खुशहाल लोग अपने काम से काम रखते हैं और वे दूसरों की शिकायत नहीं करते।
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