आपके मूड को बेहतर बनाती हैं ये आदतें
आज हम आपको रोजमर्रा की कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके मूड को बेहतर बनाती हैं और मानसिक स्वस्थ्य के लिए भी लाभदायक होती हैं। और विज्ञान भी इस बात की पुष्ठी व समर्थन करता है।

आदतें कई तरह की होती हैं.. अच्छी आदतें, बुरी आदतें और बस ऐसे ही वाली आदतें। लेकिन इनमें से सबसे कमाल की होती हैं खुशियां देने वाली आदतें। जी हां! आपको शायाद ये अजीब लगे, लेकिन वैज्ञानिक अनुसंधान से पता चलता है कि ये आदतें वास्तव में आपके लिए बेहज अच्छी होती हैं। आज हम आपको रोजमर्रा की कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके मूड को बेहतर बनाती हैं और मानसिक स्वस्थ्य के लिए भी लाभदायक होती हैं। और विज्ञान भी इस बात की पुष्ठी व समर्थन
करता है।
InPuts From - health.com

हार्वर्ड शोध में पाया गया है कि वे लोग जो अपने घर में एक हफ्ते के लिए गुलाब के फूल या इनकी पत्तियां आदि रखते हैं वे अधिक सक्रिय और कम चिंतित रहते हैं। इसके अलावा वे लोग जो घर में ताज़े फूल रखते हैं वे लोग अधिक तरोताज़ा और खुश रहते हैं।

साल 2014 में सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि रोज़मर्रा में आपके खर्च करने की आदतें आपको मानसिक तौर पर बेहद प्रभावित करती हैं और बुद्धिमानी से किए गए खर्चे आपको ज्यादा खुश रखते हैं। उदाहरण के तौर पर हफ्ते में एक बार घूमने जाना, मानसिक सुख के लिए कपड़ों आदि समान की शॉपिंग करने से कहीं ज्यादा लाभादायक होता है।

हम जब भी कहीं बाहर से घर आते तो मुंह और पैरों को ताज़े पानी से धो लेना चाहिए। ऐसा करने पर हमारी थकान भी दूर होती है और चिड़चिड़ापन भी कम होता है। दिमाग को शांति मिलती है।

नियमित व्यायाम व मेडिटेशन करने वाला लोग ज्यादा खुश और शांत रहते हैं। इसके लिए बेहतर होगा हफ्ते में तीन बार के लिए समय निश्चित कर लें। 45 से 60 मिनट का समय खुद के लिए निकालें। व्यायाम करना एक तरह से अपनी सेहत के साथ कार्यकुशलता को प्रभावी बनाने का तरीका भी है। दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी कुछ ऐसी ही गतिविधियां हैं। व्यायाम लिम्फैटिक सिस्टम को बेहतर बनाता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और मन भी खुश रहता है। यदि संभव है तो अपने किसी अच्छे दोस्त या पार्टनर के साथ मिलकर व्यायाम करें। इसके अलावा सुबह की अच्छी शुरुआत करना और फेसबुक से दूरी बनाकर रखना भी आपको खुश और शांत रखता है।

साल 2012 में 12,000 लोगों पर हुए एक अध्ययन से पता चला कि वे लोग जिनमें विटामिन डी का स्तर कम होता है, वे डिप्रेशन का शिकार होने के बहुत अधिख जोखिम पर होते हैं। तो यदि आपको भी ड्रिप्रेशन की शिकायद लगती है तो एक बार अपने डॉक्टर से विटामिन डी के स्तर की जांच भी करवा लें।

प्लोस वन (Plos One)के साल 2014 के अध्ययन के अनुसार स्वीट सोडा के चार या इसे अधिक केन प्रति दिन पीने से किससी व्यक्ति में अवसाद का जोखिम 30 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ जाता है। जबकि आइस्ड कॉफी के चार कप एक दिन में पीने से अवसाद का जोखिम 10 प्रतिशत तक कम हो जोता है।
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।