आदतें जो आपकी खुशियां छीन सकती हैं
आपकी कुछ आदतें आपके खुशियों को खत्म कर सकती हैं। इन आदतों को दूर करने के लिए जरूरी है कि इनको जान लिया जाए और इससे दूर रहा जाए।

खुश रहना कला है। यह हर किसी के बस की बात नहीं। कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद ही अपनी आदतों के कारण जीवन में आने वाली खुशियों से दूर हो जाते हैं। हम सब में कई ऐसी आदतें हैं जो हमारी खुशियों को ग्रहण लगा सकती हैं। अच्छा होगा कि इन्हें जान लिया जाए और इनसे दूर रहा जाए।

हर इंसान एक समान नहीं होता। हर किसी में कोई ना कोई गुण जरूर होता है। लेकिन जब आप अपनी तुलना किसी और से करते हैं तो अकसर आप अपने कमतर गुणों को दूसरों के बेहतर गुणों से मिलाते हैं। जिसकी वजह से आपको लगता है कि सामने वाला आपसे बेहतर है। ये आदत आपकी खुशियों को छीन सकती है।

अगर आप अपनी लाइफ को दूसरों के नजरिए से देखेंगे तो पाएंगे आपको जीवन में औरों से कहीं अधिक मिला है। लेकिन जब आपकी खुद की राय ली जाएगी तो आप निश्चित ही अपने जीवन से असंतुष्ट होते हैं। सब कुछ ठीक है लेकिन आपको संतुष्टि नहीं है। आपकी अपेक्षाएं लगातार बढ़ती जाती हैं।

गलत लोगों से गलत अपेक्षा रखना न सिर्फ दुख देता है, बल्कि दूसरों से हमारे संबंधों और बातचीत पर भी असर डालता है। ऐसे में अनावश्यक तनाव और झुंझलाहट को कम करने का सबसे अच्छा रास्ता है, दूसरों से अपनी अपेक्षाओं में कमी करना।

अगर आप कभी गौर करें तो पाएंगे दूसरों की शिकायत करने के बाद कोई भी अच्छा महसूस नहीं करता। इससे आपकी सकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है जो कि आपकी खुशियों को ग्रहण लगा सकती है।

अगर आपके अंदर बदले की भावना ने जन्म ले लिया तो आप कभी खुश नहीं रह पाएंगे। बदला लेने के बाद भी आपको कोई खुशी नहीं मिलेगी। हो सकता है कि सामने वाले ने आपके साथ बुरा किया हो, लेकिन बदला लेने की भावना से अपना भविष्य को खराब न करें।

जो लोग आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते, वो इसे व्यक्तिगत तौर पर ले लेते हैं। अगर आप जीवन में खुश रहना चाहते हैं, तो आपको आलोचना और प्रशंसा दोनों को समान रूप से लेना चाहिये। लोग जो कहते हैं उसे ध्यान से सुनें लेकिन उसे दिल पर ना लें।

खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप नकारात्मक लोगों के साथ ना रहें। या उनका प्रभाव खुद पर ना पड़ने दें। हो सकता है कि आपके ऑफिस में नकारात्मक लोग हों। लेकिन, आपकी जिम्मेदारी है कि आप खुद को इस वातावरण से बचायें।

ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अपनी जिंदगी से ज्यादा दूसरों की जिंदगी से वास्ता होता है। ऐसे लोग अपनी खुशी पर खुश होने की जगह उनकी खुशी पर दुख व्यक्त करते हैं। ऐसे लोग कभी भी खुश नहीं रह पाते हैं।
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